#तटस्थ#
वह कशमकश में है
वह किस तरफ है
क्योकि उसे मालूम है
वह किस तरफ है
वह किस तरफ है
क्योकि उसे मालूम है
वह किस तरफ है
#गाली और क्रांति#
वह सब को गाली देता है
व्यवस्था को
समाज को
खुद को भी
उसके लिये
गाली ही क्रांति है
व्यवस्था को
समाज को
खुद को भी
उसके लिये
गाली ही क्रांति है
#एक……#
वह मंच पर
दहाड़ता है
और जमीन पर
हांफता है
दहाड़ता है
और जमीन पर
हांफता है
#ज़मीनी कवि#
उसकी रचना में
सिर्फ जमीन होती है
कविता कही नही
सिर्फ जमीन होती है
कविता कही नही
#आलिंगन#
उसने गले लगाया
मै सिहरा नही
चीख उठा!!
मै सिहरा नही
चीख उठा!!
#सत्यवादी#
वह हमेशा
सच बोलता है
इसलिये
कभी बोलता नही
सच बोलता है
इसलिये
कभी बोलता नही
#सच्चे वीर#
वे सच्चे वीर थे
उन्होंने
केवल पुरुषों की
हत्या की
स्त्रियों और बच्चों को
छोड़ दिया
उन्होंने
केवल पुरुषों की
हत्या की
स्त्रियों और बच्चों को
छोड़ दिया
#दर्द#
मेरे दिल में उठा
मैंने ही महसूस किया
मै ही तड़पा
मुझी से खत्म हुआ
मैंने ही महसूस किया
मै ही तड़पा
मुझी से खत्म हुआ
#खुद्दार#
वह रोज ऐलान करता है
वह बिका नही है
इस तरह
रोज़ बेचता है
अपने ‘न बिकने’ को
वह बिका नही है
इस तरह
रोज़ बेचता है
अपने ‘न बिकने’ को
#देशभक्त#
वह देशभक्त है
इसलिये
कुछ नही करता
सिवा देशभक्ति के
इसलिये
कुछ नही करता
सिवा देशभक्ति के
अजय चन्द्रवंशी
आपकी क्षणिकाएं, ग़ज़ल, मुक्तक और खासकर साहित्य समीक्षा,सभी अदभूत अनुपम है..!!
धन्यवाद मित्र