नकाब घूँघट और टैटू





घूँघट और टैटू |हालांकि आपको ये तीनों बेमेल दिख रहे होंगे | कुछ लोग इसे धर्म से जोड़ने का प्रयास भी कर सकते हैं | पर इनका सम्बन्ध धर्म से नहीं लिंग से है | जी हां ! इनका सम्बन्ध स्त्री से हैं , उसकी सुन्दरता से भयभीत होकर उसे छुपाने से है | एक अपराधबोध जो युगों से समाज स्त्रियों के मन में भरता रहा है | जहाँ सुन्दर दिखना अपराध है |सब जानते हैं की पुरुषों की आपराधिक मानसिकता पर लगाम लागने के लिए स्त्री घुंघट या नकाब में अपना चेहरा ढकने को विवश होती रही |पर आज मैं विशेष रूप से बात करना चाहती हूँ टैटू की |और उससे जुडी स्त्री शोषण की दास्तान की |

वैसे टैटू से आज कोई अनजान नहीं है टैटू एक आर्ट है जिसको हम हिंदी में गोदना भी कहते हैं | हमारे देश में इसकी पुरानी परंपरा रही है |लोग फूल – पत्ती से लेकर अपने प्रियतम – प्रियतमा के नाम तक अपने शरीर पर गुदवाते हैं |प्रसिद्द खिलाडी जॉन बेकहम के बारे में तो कहा जाता है की उन्होंने अपने पूरे शरीर पर टैटू गुदवा लिए हैं | पर ये टैटू पुराने गोदना से थोड़े से अलग हैं | क्योंकि इनमें कई रंगों का प्रयोग किया जाता है | व् डिजाइन भी लज्जवाब होते हैं | यही टैटू आजकल फैशन में है | महिला हो या पुरुष सब इसके दीवाने हैं | और अगर युवा वर्ग की बात करे तो टैटू का नशा सर चढ़कर बोलता है यह कहना अतिश्योक्ति न होगी |ये सुन्दर और अलग दिखने की ललक ही तो है जो लोग इतना दर्द सह कर भी टैटू गुदवाते हैं | पर आप को जान कर हैरानी होगी की टैटू का जुड़ाव हमारे देश और शहर नहीं बल्कि सुदूर अंचलों से भी है। ऐसा ही एक उदाहरण है म्‍यांमार की पर्वत श्रृंखला का | जहाँ एक ऐसी जनजाति का निवास है जिसकी महिलाएं अपने पूरे चेहरे पर ही टैटू बनवाती हैं। परन्तु इनके टैटू और युवा वर्ग के टैटू प्रेम में जमीन आसमान का अंतर है | जहाँ युवा वर्ग सुदर या आकर्षक दिखने के लिए टैटू का प्रयोग करता है वही ये महिलाएं बदसूरत दिखने के लिए टैटू का प्रयोग करती हैं …. पर क्यों ?
जिसने मुझे इस विषय पर लिखने को विवश किया उस खबर के अनुसार साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ते हान लीन ने म्‍यांमार की यात्रा की और इस दौरान कुछ खास तस्‍वीरें लीं। उनके अनुसार जब वे म्‍यांमार जाने का सोच रहे थे तब वे जनजातियों पर शोध भी कर रहे थे। उन्‍होंने वहाँ चिन जनजाति के बारे में पता लगाया। यहां उन्‍होंने पाया कि औरतें अपने चेहरे पर टैटू बनवाती हैं।इसका कारण यह है कि महिलाओं का आकर्षण कम हो सके और उनके अपहरण या बर्मा के नरेश द्वारा उठा लिए जाने की संभावना से बचाया जा सके। यह एक पुरानी परंपरा है। साठ के दशक के बाद ये जनजाति मुन, दाई और मकांग में पैदा होने वाली कन्‍याओं को किशोरावस्‍था में चेहरे पर टैटू बनवाना होता था।इन टैटू के चौकोर खानों में छोटे डॉट होते हैं। दाई महिलाएं गहरे नीले रंग का उपयोग करती हैं। मकांग की महिलाएं नीले व हरे रंग को लगाती हैं। इनके बनाने का तरीका अजीब है। ये कांटों की सहायता से पशु की चर्बी व बैल के पित्‍त के मिश्रण से बनाए जाते हैं। इसे लगवाने में बहुत दर्द होता है। इसे बनाने में पूरा एक दिन लग जाता है। दो सप्‍ताह के समय में यह ठीक होता है। हालांकि बाद में म्‍यांमार शासन ने इसे अनुचित मानकर रोक लगाना शुरू किया ।पर आज उम्रदराज़ महिलाओं के चेहरे पर इसके निशान मौजूद हैं।

आज स्त्री पुरुष की समानता की बात चलती है | पर स्त्री पुरुष एक सामान हैं ऐसे उदाहरणों से इस बात की धज्जियां उड़ जाती हैं | जहाँ औरत का मुख्य उद्देश अपनी ख़ूबसूरती को कम करना हो ताकि पुरुषों की गन्दी नज़र से बच सकें … तो समानता नहीं पुरुषों और उनके अंदर निवास करने वाले पशुता का चेहरा नज़र आता है |इसे हम दूसरे देश की बात कह कर अपना पल्ला नहीं झड सकते | क्योंकि हमारे देश में भी बुरका या घुंघट घर की महिलायों को पुरुषों की नज़र से बचाने के लिए करने की परंपरा रही है | एक बुजुर्ग पुरुष की बात मुझे अक्सर याद आती है जिसने कहा था की सुन्दर लड़की केवल शादी के मंडप में अच्छी लगती है | बाकी समय उसके पिता , पति , भाई को तनाव से ही जूझना पड़ता है | घूँघट के पक्ष में अक्सर ये सुनने को मिलता है की हीरा तो छुपा कर ही रखा जाता है |प्रश्न तो उठता ही है की हीरे से स्त्री की तुलना उसे बहुमूल्य बताने की कोशिश है या या भावना विहीन बेजान पत्थर में तब्दील करने की कवायद ?भोपाल के एक कॉलेज ने महिलाओ के जीन्स पहनने पर पबदी भी शायद पुरुषो के भय से इन लड़कियों को बचने के लिए लगाईं होगी | अभी पिछले दिनों एक खबर आई थी की एक औरत ने अपने ऊपर तेज़ाब डाल लिया था | क्योंकि वो सुन्दरता के लिए दिए दिए गए पति व् ससुर के तानों से आजिज़ आ गयी थी |वो अकेली औरत नहीं थी , कई घरों में कैद कर दी गयी , कई घुंघट या नकाब में और कई टैटू में |

सुप्रसिद्ध खिलाडी शमी ने जब फेसबुक पोस्ट पर अपनी पत्नी के साथ फोटो पोस्ट की तो जैसे ज्वार – भाटा ही आ गया | एक शालीन से गाउन को लेकर तरह – तरह की फब्तियां कसी गयी | ये लोग धर्म के ठेकेदार थे या अपनी गन्दी नज़र का बयां कर रहे थे | धर्म कोई भी हो स्त्रियाँ पुरुषों की इस गन्दी नज़र से महफूज़ तो कहीं भी नहीं हैं ………….. नकाब , घुंघट या टैटू गुदवाने के बाद भी नहीं | अभी हालिया रिलीज ” पिंक में सहगल सर के अनुसार रूल नंबर वन टू टेन अगर महिलाओं के चेहरे को देखने से पुरुषो को तकलीफ होती हैं तो महिलाओं को नकाब , घुंघट और टैटू में कैद करने के बनस्पत उन्हें घरों में कैद रहना चाहिए | और तजुर्बा कहता है शेर पिंजड़े में कैद रखे जाते हैं और गायें खुले में घूमती हैं |
वंदना बाजपेयी 

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