क्‍या सिखाता है कमल का फूल?


कमल के फूल को योग और अध्‍यात्‍म में एक प्रतीक के रूप में देखा जाता है। योगिक शब्दावली में बोध व अवबोधन के अलग- अलग पहलुओं को हमेशा से कमल के तरह-तरह के फूलों से तुलना की गई है। शरीर के सात मूल चक्रों के लिए कमल के सात तरह के फूलों को प्रतीक चिह्न माना गया है।
कमल के फूल को एक प्रतीक के रूप में इसलिए चुना गया है क्योंकि जहां कहीं कीचड़ और दलदल बहुत गाढ़ा होता है वहां कमल का फूल बहुत अच्छी तरह से खिल कर बड़ा होता है। जहां कहीं पानी गंदा हो और मल-कीचड़ से भरा हो, कमल वहीं पर सबसे बढ़िया उगता है। जीवन ऐसा ही है। आप दुनिया में कहीं भी जायें, और तो और अपने मन के अंदर भी, हर तरह की गंदगी और कूड़ा-करकट भरा मिलेगा। अगर कोई कहे कि उसके अंदर मैल नहीं है तो फिर या तो उसने अपने अंदर नहीं झांका या फिर वह सच नहीं बोल रहा है, क्योंकि मन तो आपके वश में है ही नहीं। इसने वह सब-कुछ बटोर लिया है जो उसके रास्ते आया है। आपके पास यह विकल्प तो है कि आप इसका इस्तेमाल कैसे करें लेकिन यह विकल्प नहीं है कि आपका मन क्या बटोरे और क्या छोड़े। आपके मन में जमा हो रही चीजों को ले कर आपके पास कोई विकल्प नहीं है। आप बस यही तय कर सकते हैं कि आप किस तरह से अपने मन की जमापूंजी का इस्तेमाल करें। दुनिया में हर तरह की गंदगी और कूड़ा-करकट है और यह सारा मैल, यह सारा कूड़ा आपके मन में समाता ही रहता है।


मल और कूड़ा-करकट देखने से कुछ लोगों को एलर्जी हो जाती है। उनको गंदगी और कूड़ा-करकट गवारा नहीं होता इसलिए वे खुद को इन सब चीजों से दूर ही रखते हैं। वे सिर्फ उन्हीं दो-तीन लोगों के साथ मिलते-जुलते, उठते-बैठते हैं, जिनको वे एकदम सही मानते हैं और बस यही लोग उनकी जिंदगी में रह जाते हैं। आज दुनिया में बहुत लोग ऐसा कर रहे हैं क्योंकि उनको सारी गंदी, सारी निरर्थक चीजों से एलर्जी है। वे एक कोठरी में बंद जिंदगी-सी जी रहे हैं। कुछ दूसरे तरह के लोग ऐसे हैं जो सोचते हैं कि “दुनिया मल-दलदल और कूड़े-करकट से भरी-पटी है तो चलो मैं भी इस कीचड़ का ही हिस्सा बन जाता हूं” और फिर वे भी उसी दलदल में मिल जाते हैं।
लेकिन एक और भी संभावना है और वह यह कि आप इस कूड़े-करकट और मल-दलदल को खाद की तरह इस्तेमाल करें और खुद को एक कमल के फूल की तरह खिलायें। कमल के फूल ने इस मल, गंदगी और कूड़े-करकट को किस तरह एक सुंदर और सुगंधित फूल में रूपांतरित कर दिया है! आपको एक कमल के फूल की तरह बनना होगा और गंदे हालात से अनछुए बाहर निकल कर कमल के फूल की तरह खिलना होगा। गंदे-से-गंदे हालात में होने के बावजूद आपको अपनी खूबसूरती और खुशबू बरकरार रखने के काबिल बनना होगा। अगर किसी के पास ऐसी कला है तो वह अपने जीवन-दुख के दलदल में बिना डुबे, उससे बिल्‍कुल अछूता उपर-उपर निकल जाएगा और जो व्यक्ति इस काबिलियत को पहचान कर उसको नहीं तराशता उसको यह जिंदगी जाने कितने तरीकों से तोड़-मरोड़ कर खत्म कर देती है। हर इंसान के अंदर कमल के फूल की तरह खिलने और जीने की काबिलियत होती है।


ओमकार मणि त्रिपाठी 

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