विदेशों में खालिस दूध (100 प्रतिशत) दूध का इस्तेमाल हम देसी लोग दही बनाने या नहाने (बालों में लगाने) के लिए ही इस्तेमाल करते हैं! अब समझ में आया आपको कि हमारा ग्वाला इन गौरों से कितना ज्यादा समझदार है या था! वर्षों से वह अपनी इस सामाजिक कल्याण की ज़िम्मेवारी को बखूबी निभा रहा है! आपके पूछने पर वह दूध में पानी मिलाकर दूध बेचने की बात को हमेशा नकारता है … आपके फायदे के लिए वह झूठी कसमें खाता है…भला क्यूँ? …क्योंकि वह इस बात में विश्वास करता है — नेकी कर कूएं में डाल!
विदेश में भी आजकल दूध का दूध और पानी का पानी करने की कोई जरूरत नही पड़ती क्योंकि एक प्रतिशत, दो प्रतिशत या फिर “फैट फ्री’ दूध पानी ही की तरह होता है! दो प्रतिशत फैट वाले दूध को एक प्रतिशत करने के लिए खरीद दारों को सिर्फ यह करना होता है कि घर आकर दो प्रतिशत वाले दूध के एक गेलन के दूध वाले डिब्बे के साथ एक गेलन पानी और मिला लिया जाये! लेकिन, हम वह भी नही करते। दुकानदार यह काम हमारे लिए सरेआम दूध के डिब्बों पर लिख कर करते हैं और हम उन्हें ऐसा करने के लिए खुशी खुशी उनके द्वारा निर्धारित दाम देते हैं ! यहाँ लोग (विदेश में) इस बात पर एतराज़ नही करते कि दूध में पानी है क्योंकि दूध वाली कंपनिया दूध के डिब्बों पर लिख देती हैं कि उसमे क्रीम की कितनी मात्रा है (एक प्रतिशत/दो प्रतिशत दूध)
इसके विपरीत भारतियों को दुख और गिला इस बात का होता है कि ग्वाला उनसे धोखा करता है , वह उन्हे यह नही बताता कि उसने उसमे कितना पानी मिलाया है !
मैं शर्त लगा कर कहता हूँ कि अपना एक भी भारतीय एतराज़ नही करेगा अगर ग्वाला आकर उन्हे बता दे कि दूध में आधा हिस्सा पानी है और दूध-पानी के मिश्रण का रेट पचास या साथ रूपये लीटर है – दूध लेना हो तो लो नही तो अपनी भैंस रख लो या बकरी!… लोगों को स्प्रेटा दूध से भी काम चलाने का सुझाव वह दे सकता है !
आप समझदार हैं – देश में दूध पीने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। उनकी अपेक्षा, दूध देने वाले जानवरों की संख्या दिन-प्रतिदिन घट रही है …ऐसी दशा में ग्वाला पानी न मिलाये तो क्या करे? दूध में आपके लिए अंगूरों का जूस तो वह मिलाने से रहा! यकीन करें आप उसे तब भी नही बॅकशेंगे!
हाँ, विदेश में इतना ज़रूर है कि अगर किसी का हाजमा खालिस दूध का हो तो खालिस दूध मिल ज़रूर जाता है! वहाँ खालिस और पानी समान दूध का एक ही भाव होता है लेकिन अपनी मर्ज़ी से यहाँ का उपभोक्ता पानी वाले (कम क्रीम वाले) दूध को खरीदता है!
अपने देशियों का अपने देश में ही ग्वालों के प्रति दुर्व्यवहार है, विदेशों में चूँ तक नही करते! वे अपनी मर्ज़ी से पानी वाला दूध खरीदतें हैं और दुकानदार को उसकी मर्ज़ी के दाम देतें हैं! अपने भारतियों का यह जुल्म है कि नही?
खैर, भारत में सस्ता तो आजकल मौची भी नही है! इन डाक्टरों को रोने से कोई फायदा? किसको किसको रोये, बस आवा ही खराब है!