शब्द
मीठे /कडवे
बनाओं तो बन जाते
शस्त्र
तीखे बाण /कानों को अप्रिय
आदेश
हौसला ,ढाढंस ऊर्जा बढ़ाते
मौत को टोक कर
रोक देते
उपदेशो से कर देते अमर
शब्दों का पालन
भागदौड़ भरी दुनिया से परे
सिग्नल मुहँ चिढा रहे
बिन बोले
सौ बका और एक लिखा
कैसे वजन करें
इंसाफ की तराजू
शब्द झूट के
हो जाते विश्वास की कसमो में
बेवजह तब्दील
चंद रुपयों की खातिर
अनपढ़ों को मालूम
शब्द बिकते
पढ़े लिखे बने अंजान
वे खोज रहे शब्दकोश
जहाँ से बिन सके
बिकने वाले सत्य
और मीठे शब्द
संजय वर्मा “दृष्टी “