ऐसे ही वो व्यक्ति भी पछता रहा था| उसने अपने दोस्तों से सॉरी भी बोली , पर वो बहुत हर्ट थे , उनका घाव हरा था , इसलिए उन्होंने मना कर दिया | अब तो उस व्यक्ति को और भी पछतावा हुआ , उसने मन में सोंचा की ये बात उन साधू से कही जाए जो गाँव के बाहर रहते हैं | शायद वो कुछ चमत्कार कर सकें |
वो साधू के पास जा कर बोला , ” हे महात्मा मैं अपने कहे हुए शब्द वापस लेना चाहता हूँ | महात्मा ने उसकी ओर देखा और कहा , ” ठीक है पर अभी मैं व्यस्त हूँ , अच्छा सुनो , मेरा एक काम करो , वो टोकरी चौराहे पर रख दो |
उस व्यक्ति ने टोकरी उठा ली | उसमें कबूतर व् अन्य चिड़ियों के पंख भरे हुए थे | व्यक्ति ने वो टोकरी उठा कर चौराहे पर रख दी | शाम को वो फिर साधू के पास गया | साधू ने कहा , ” वो टोकरी उठा लाओ , देखना एक भी पर कम न हों , उसके बाद मैं तुम से बात करूंगा |
व्यक्ति टोकरी लेने गया … पर वो तो खाली हो चुकी थी | सारे पर उड़ गए थे , उन्हें वापस टोकरी में भरना असंभव था | उसने साधू के पास जा कर उन्हें खाली टोकरी देते हुए कहा , ” लीजिये , बस ये टोकरी बची है , पंख तो सब उड़ गए , अब उन्हें किसी भी प्रकार से इकट्ठा नहीं किया जा सकता |
साधू उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा कर बोले, ” बस यही बात मैं तुम्हें बताना चाहता था … निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं हो सकते , उन्होंने कहाँ पर कितना बड़ा घाव बना दिया है तुम कभी नहीं जान सकते |
अब तुम चाह कर भी अपनने शब्द वापस नहीं ले सकते … पर आगे से सोंच कर जरूर बोल सकते हो |
प्रेरक कथाओं से
टीम ABC
बहुत प्रेरणा दायक…. इसीलिए हमेशा सोच समझ कर बोलना चाहिए
प्रेरक कथा
प्रेरणास्पद।