जीवन में अक्सर हमें दो चीजों में से एक का चयन करना होता है| पर कई बार हम सही चीज का चयन नहीं कर पाते हैं| इसके अतिरिक्त कई बार ऐसा भी होता है कि हम अपनी चयनित चीजों को सही priority में नहीं रख पाते हैं | जिसके कारण बाद में बहुत नुक्सान उठाना पड़ता है|ऐसा ही किस्सा दीपू और सोनू का था|
motivational Hindi story-sonu ki mithai
दीपू और सोनू दो दोस्त थे | दोनों बेहद गरीब थे| खाने को मुश्किल से ही मिलता था| मिठाई तो बिलकुल ही नहीं मिल पाती थी| दोनों मिठाई खाने के लिए तरसते रहते|
ऐसे में जब किसी फंक्शन
में दोनों जाते तो भरपेट खाना और मिठाई देख कर दोनों के मुंह में पानी आ जाता|
में दोनों जाते तो भरपेट खाना और मिठाई देख कर दोनों के मुंह में पानी आ जाता|
दीपू पहले मिठाइयाँ खा
लेता फिर भूंख बची रहने पर खाना खाता और सोनू सोचता पहले खाना खा लूँ फिर जी भर के मिठाई खाऊंगा |
लेता फिर भूंख बची रहने पर खाना खाता और सोनू सोचता पहले खाना खा लूँ फिर जी भर के मिठाई खाऊंगा |
अब खाना खा कर उसका पेट इतना भर
जाता की वो मिठाई खा ही नहीं पाता | और अगर जबरदस्ती खा भी ली तो उल्टियां शुरू हो
जाती |
जाता की वो मिठाई खा ही नहीं पाता | और अगर जबरदस्ती खा भी ली तो उल्टियां शुरू हो
जाती |
अब ऐसा फंक्शन तो साल , ६ महीने में कहीं देखने को मिलता था| फिर अगले ६ महीने तक सोनू तरसता ही रहता और सोंचता, ” काश उसने पहले मिठाई खायी होती तो?”
मित्रों हम में से अधिकतर लोग अपने जीवन की प्राथमिकताएं नहीं तय कर पाते इस कारण न सफल हो पाते हैं न खुश| जीवन में ख़ुशी व् सफलता के लिए यह देखना जरूरी है की हम पहले कौन सा काम करें और बाद में कौन सा | क्योंकि अगर किये जाने वाले कामों का कर्म बिगाड़ दिया तो सफलता संदिग्ध हो जाती है|
टीम ABC
जब स्वामी विवेकानंद जी ने डायरी में लिखा , ” मैं हार गया हूँ “
सफलता का हीरा
पापा ये वाला लो
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