सुशील यादव
122२ 1222 १22
तुफानों का गजब मंजर नहीं है
इसीलिए खौफ में ये शहर नहीं है
तलाश आया हूँ मंजिलो के ठिकाने
कई जादूगरी होती यहाँ थी
कहें क्या हाथ बाकी हुनर नहीं है
गनीमत है मरीज यहाँ सलामत
अभी बीमार चारागर नहीं है
दुआ मागने की रस्म अदायगी में
तुझे भूला कभी ये खबर नही है