कई सालपहले की बात है जब प्रिया के भाई की शादी
थी | उसने बड़े मन से
तैयारी की थी | एक – एक कपडा मैचिंग ज्वेलरी खरीदने के लिए उसने घंटों कड़ी धुप
भरे दिन बाज़ार में बिताये थे | पर सबसे ज्यादा उत्साहित थी वो उस लहंगे के लिए जो उसने अपनी ६
साल की बेटी पिंकी के लिए खरीदा था | मेजेंटा कलर का | जिसमें उतनी ही
करीने हुआ जरी का काम व् टाँके गए मोती , मानिक | उसी से मैचिंग चूड़ियाँ , हेयर क्लिप व्
गले व् कान के जेवर यहाँ तक की मैचिंग सैंडिल भी खरीद कर लायी थी | वो चाहती थी की
मामा की शादी में उसकी परी सबसे अलग लगे | जिसने भी वो लहंगा देखा | तारीफों के
पुल बाँध देता तो प्रिया की ख़ुशी कई गुना
बढ़ जाती | शादी का दिन भी आया | निक्ररौसी से एक घंटा पहले पिंकी लहंगा पहनते कर
तैयार हो गयी | लहंगा पहनते ही पिंकी ने शिकायत की माँ ये तो बहुत भारी है , चुभ
रहा है | प्रिया ने उसकी बात काटते हुए कहा ,” चुप पगली कितनी प्यारी लग रही है ,
नज़र न लग जाए | उपस्तिथित सभी रिश्तेदार भी कहने लगे ,” वाह पिंकी तुम तो परी लग
रही हो |एक क्षण के लिए तो पिंकी खुश हुई | फिर अगले ही क्षण बोलने लगी , माँ
लहंगा बहुत चुभ रहा है भारी है | प्रिया फिर पिंकी को समझा कर दूसरे कामों में लग
गयी | पर पिंकी की शिकायत बदस्तूर जारी रही | बरात प्रस्थान के समय तक तो उसने
रोना शुरू कर दिया | वो प्रिया का हाथ पकड़ कर बोली माँ मैं ठीक से चल नहीं पा रही
हूँ मैं शादी क्या एन्जॉय करुँगी | प्रिया को समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे | अगर
पिंकी लहंगा नहीं पहनेगी तो इतने सारे पैसे बर्बाद हो जायेंगे , जो उसने लहंगा
खरीदने के लिए खर्च किये थे | फिर वो इस अवसर पर पहनने के लिए कोई दूसरा कपडा भी
तो नहीं लायी है | नाक कट जायेगी | पर उससे पिंकी के आँसूं भी तो नहीं देखे जा रहे
थे | अंतत : उसने निर्णय लिया और पिंकी का लहंगा बदलवा कर साधारण सी फ्रॉक पहना दी |
पिंकी माँ से चिपक गयी | प्रिया भी मुस्कुरा कर बोली ,”जा पिंकी अपनी आज़ादी एन्जॉय
कर “ फिर तो पूरी शादी में पिंकी छाई रही | हर बात में बढ़ – चढ़ कर हिस्सा लिया | क्या
डांस किया था उसने | सब उसी की तारीफ़ करते रहे |
बरसों बाद आज
माँ बेटी उसी मोड़ पर खड़े थे | पिंकी मेडिकल सेकंड ईयर की स्टूडेंट है |उसको डॉक्टर
बनाने का सपना प्रिया का ही था | पिंकी का
मन तो रंगमंच में लगता था , फिर भी उसने माँ का मन रखने के लिए जम कर पढाई की और
इंट्रेंस क्लीयर किया | कितनी वह वाही हुई थी प्रिया की | कितनी भाग्यशाली है | कितना
त्याग किया होगा तभी बेटी एंट्रेंस क्लीयर कर पायी | प्रिया गर्व से फूली न समाती
| परन्तु पिंकी ने इधर मेडिकल कॉलेज जाना शुरू किया उधर उसका रंगमंच से प्रेम उसे
वापस बुलाने लगा | उसने माँ से कहा भी पर प्रिया
ने उसे समझा – बुझा कर वापस पढाई में लगा दिया | पिंकी थोड़े दिन तो शांत रहती | फिर
वापस उसका मन रंगमंच की तरफ दौड़ता | करते – करते दो साल पार हो गए | पिंकी थर्ड
इयर में आ गयी | अब उसका मन पढ़ाई में बिलकुल नहीं लगने लगा | वो अवसाद में रहने
लगी | प्रिया को भय बैठ गया | अगर इसने पढ़ाई छोड़ दी तो समाज को क्या मुँह दिखायेगी
| सब चक – चक करेंगे | फिर दो साल में पढाई में इतने पैसे भी तो लगे हैं उनका
क्या होगा | वो तो पूरे के पूरे बर्बाद हो जायेंगे | पर बेटी का अवसाद से भरा
चेहरा व् गिरती सेहत भी उससे नहीं देखी जा रही थी | अंतत : उसने निर्णय लिया और एक
कागज़ पर लिख कर पिंकी के सिरहाने रख दिया | उसने लिखा था , “ पिंकी , मैं जानती
हूँ एक बार फिर मेरे पहनाये लहंगे का बोझ बहुत ज्यादा हो गया है | मैं जानती हूँ
तुम तकलीफ में हो , तुमसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा है | मैं तुम्हे एक बार फिर
इसके बोझ से आज़ाद करती हूँ | जाओ अपनी मर्जी की फ्रॉक पहनो और लाइफ एन्जॉय करो | पिंकी जब सो कर उठी तो उसकी निगाह कागज़ कर गयी |
जिसे पढ़ते ही वो एकदम खुश हो गयी | आ कर प्रिया के गले से लग कर बोली ,” थैंक्स माँ
, थैंक यू सोमच |
“ आज पिंकी रंगमंच की उभरती हुई कलाकार
है | उसके कई शोज हो चुके हैं | उसे भविष्य से बहुत सी उम्मीदें है और वो अपनी
लाइफ का एक – एक लम्हा एन्जॉय कर रही है |
मोड़ से गुज़र रहे हैं और आप कोई निर्णय नहीं ले पा रही हैं तो प्रिया जी की आप को सलाह है की
..
चाहिए | परन्तु अगर हमारे सपने हमारे बच्चों के सपनों से टकराते हैं तो हमें अपने
बच्चों के सपनों को तरजीह देनी चाहिए | क्योंकि हमारे बच्चे को उस काम के साथ
जिंदगी गुजारनी है | हम अपनी जिन्दगी अपने या अपने माँ –पिता की मर्जी से गुज़र
चुके हैं | हमें अपने से प्रश्न करना चाहिए की क्या हम इस लाइफ से खुश हैं | क्या
अपने बारे में मेरी यही मर्जी थी | अगर उत्तर हां में मिलता है तो हमें अपने बच्चे
को भी मौका देना चाहिए | अगर उत्तर न में मिलता है तो हमें पता होगा की हम खुश
नहीं है | तो क्या हम अपने बच्चे के लिए भी ऐसी ही नाखुश जिंदगी की कल्पना कर रहे
हैं | मुझे यकीन है हर पेरेंट्स का उत्तर
न ही होगा | ये सच है की अगर बच्चा आधा रास्ता छोड़ कर पीछे लौटता है तो आर्थिक रूप से भारी नुक्सान होता है | पर यह नुक्सान बच्चों की ख़ुशी के आगे कुछ नहीं |
आखिरकार हम पैसा कम और बचा उन्ही के लिए तो रहे हैं |
बनाना चाहते हैं
| अगर हम उसमें खुश हैं तो हम जिंदगी में कुश रहेंगे | जिसके कारण हमारे आदर अन्य
गुण खुद ही आ जाते हैं | क्योंकि सकारात्मकता अन्य गुणों को खींच लेती है | व्
नकार्त्मकता क्रोध , घृणा , जलन आदि भावों को उत्पन्न करती है | स्वाभाव को
चिडचिडा बनती है | अगर हम कहते हैं की हमारा बच्चा सकारात्मक हो खुश हो व् उसका
बेस्ट वर्जन सामने आ सके तो हमें उसके मन की राह चुनने में सहयोग देना चाहिए |
वो टूट जाती है | द्रणता एक अच्छा गुण है | पर जबरदस्ती कहीं टिके रहना सही नहीं
है | आपको पसंद आ रहा हो या न आ रहा हो पर आपने एक बार फैसला ले लिया तो अब आप को
उसे निभाना ही है | चाहे जिन्दगी अवसाद में ही क्यों न भर जाए | तो इसमें नुकसान
किसका है | जाहिर है आपका और आप के बच्चे का | जिंदगी लक्ष्य बनाने और उसे प्राप्त
करने का ही तो नाम है | हमारे ज़माने में नौकरी या काम पैसा कमाने का जरिया होते थे
| और लक्ष्य होते थे , मकान , कार , जेवर आदि | जमाना बदलने के साथ मनपसंद काम भी
लक्ष्य हो गया है |वो उसके बिना खुश नहीं रह पाते | कई बच्चों को उनका लक्ष्य शुरू में ही मिल जाता
है | या समझ आजाता है | कई हिट एंड ट्रायल से सीखते हैं | अगर बच्चे ने किसी काम
में अपना मन लगाया , उसे काम पसंद नहीं आया | तो वो असफल नहीं है बस यह उस काम को
बदले का इशारा भर है |
नहीं कल क्या होने वाला है तो उसमें एक दो साल की अनसर्टेनटी और उठायी जा सकती है | ये सच है की आगे कुछ
अच्छा नहीं भी हो सकता है पर आपके बच्चे को ये विश्वास तो रहेगा की आपने उसे उसके
सपनों की दिशा में छलांग लगाने का अवसर दिया | उस पर , उसके सपनों पर विश्वास किया
| यकीन मानिए ये विश्वास उसे जीवन में कुछ
अच्छा पाने की दिशा में सहायक होगा | देखा जाए तो हर बच्चे में प्रतिभा है पर हर
बच्चे में अपनी प्रतिभा पर विश्वास नहीं होता | अगर वो अनसर्टेनति की दिशा में आगे
बढ़ने का निर्णय लेता है तो इसका मतलब है की उसे अपने पर विश्वास है | आपको बस उसके
विश्वास पर विश्वास करना है |
वांछित को हां कहना है
जाते हैं | तब आप उन चीजों को हां कह सकते
हैं जो आपको पसंद हैं | मेडिकल में पढ़ते हुए पिंकी के पास बिलकुल समय नहीं था | वो
अपनी पसंद की चीजों को यह कह कर टाल देती की समय जब होगा तब करुँगी | परन्तु जब
उसका काम ही उसकी पसंद का हो गया तो उसे कभी ऊब ही नहीं होती | काम के बाद भी वो
तरोताजा रहती है व् वो सब कर पाती है जो उसे करने में मजा आता है | चाहे वो
स्विमिंग हो , पेंटिंग हो या सिंगिंग |
एक फूल की तरह हैं वो तभी खिलेंगे जब उन्हें उनकी मर्जी की मिटटी मिलेगी |
प्रिया सिंह , फरीदाबाद
बाजपेयी
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#अगला_कदम के बारे मेंहमारा जीवन अनेकों प्रकार की तकलीफों से भरा हुआ है | जब कोई तकलीफ अचानक से आती है तो लगता है काश कोई हमें इस मुसीबत से उबार ले , काश कोई रास्ता दिखा दे | परिस्तिथियों से लड़ते हुए कुछ टूट जाते हैं और कुछ अपनी समस्याओं पर कुछ हद तक काबू पा लेते हैं और दूसरों के लिए पथ प्रदर्शक भी साबित होते हैं |
जीवन की रातों से गुज़र कर ही जाना जा सकता है की एक दिया जलना ही काफी होता है , जो रास्ता दिखाता है | बाकी सबको स्वयं परिस्तिथियों से लड़ना पड़ता है | बहुत समय से इसी दिशा में कुछ करने की योजना बन रही थी | उसी का मूर्त रूप लेकर आ रहा है
” अगला कदम “
जिसके अंतर्गत हमने कैरियर , रिश्ते , स्वास्थ्य , प्रियजन की मृत्यु , पैशन , अतीत में जीने आदि विभिन्न मुद्दों को उठाने का प्रयास कर रहे हैं | हर मंगलवार और शुक्रवार को इसकी कड़ी आप अटूट बंधन ब्लॉग पर पढ़ सकते हैं | हमें ख़ुशी है की इस फोरम में हमारे साथ अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ व् कॉपी राइटर जुड़े हैं |आशा है हमेशा की तरह आप का स्नेह व् आशीर्वाद हमें मिलेगा व् हम समस्याग्रस्त जीवन में दिया जला कर कुछ हद अँधेरा मिटाने के प्रयास में सफल होंगे
” बदलें विचार ,बदलें दुनिया “
हमें अपने बच्चों पर अपने सपने नहीं लादने चाहिए , उन्हें वही काम करने की इज़ाज़त देनी चाहिए जो वो करना चाहते हैं , अच्छा आर्टिकल – सरिता जैन
dhanyvad