धर्मपरायण परिवार में नई बहू के आगमन के उपलक्ष्य में रामचरितमानस का पाठ एवं विद्वजनों द्वारा व्याख्यान रखा गया । सारा परिवार बाहर व्याख्यान सुन रहा था वहीं सुनसान पाकर किसी ने बहू को दबोच लिया । पलटकर जो देखा तो दूर के रिश्ते का देवर था । नजर मिलते ही उसने कुत्सित ढंग से आंख दबाई ” भौजाई में तो आधा हिस्सा होता ही है । ”
बाहर प्रसंग चल रहा था लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक काट दी थी और सूर्पनखा विलाप करती हुई लौट रही थी ।
बहू ने जोर का धक्का दिया और पास पडी फांसुल उठाकर आधा हिस्सा मांगनेवाले उस पुरूष से उसका पुरा पुरूषत्व छिन लिया ।
उसकी चीखपर पुरा पांडाल कमरे के आस पास जमा हो गया ।
पुरा परिवार पुरूष के भविष्य की चिंता में लीन हो गया था । हर कोई नई बहू को कोस रहा था ।
रामचरितमानस की विवेचना कर रहे व्यास सामने आये , उन्होंने भी बहू के कृत्य को गलत ठहराया ।
क्यों नहीं ठहराते आखिर सीताएं स्वयं रावण का वध करने लगें तो राम की महिमा का बखान कैसे होगा । आखिर रोजी रोटी का सवाल जो है ।