क्रांति ने मुश्किलें दी खेल से मिला प्यार – नादिया कोमानेची की अपनी कहानी

            




मेरा जन्म 12 नवंबर, 1961 को रोमानिया के एक छोटे से
शहर ओनेस्टी में हुआ था।
जल्द ही मेरे माता-पिता अलग रहने लगे। बचपन में मैं बहुत
ऊर्जावान और चंचल बच्ची थी
, जिसे काबू में रखना आसान नहीं था। इसलिए मेरी मां ने मुझे जिमनास्ट सीखने एक
स्थानीय टीम में भेजा।
छह वर्ष से ही प्रशिक्षण
            जब में कुछ वर्ष की थी,
तो मशहूर प्रशिक्षण
कारोली ने मुझे तलाशा। दरअसल वह किसी ऐसे जिमनास्ट की तलाश में थे
, जिसे वह शुरू से सिखा सकें। शुरू
में मुझे बस जिम से परिचय कराया गया। वह जगह मुझे बेहद पसंद आई
, क्योंकि वह हाईटेक खेल के
मैदान की तरह थी
, जहां मैट्स के साथ कई चीजें थीं, जिससे मैं लटक सकती थी। जिम मुझे इतना पसंद था कि
मेरी मां अक्सर मुझे धमकाती थी कि अगर तुमने स्कूल में अच्छे ग्रेड नहीं लाए
,
तो तुम्हारा जिम
जाना बंद हो जाएगा। इस तरह वह मुझे पढ़ाई में भी अच्छा करने के लिए प्रेरित करती
थीं।

चैदह की उम्र में परफेस्ट 10
            वर्ष 1970 से मैंने अपने गृहनगर की
टीम में प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया और रोमानियन नेशनल जीतने वाली
सबसे कम उम्र की जिमनास्ट बन गई।
14 वर्ष की उम्र में मैंने मांट्रियल में हुए 1976 के समर ओलंपिक में परफेक्ट 10 स्कोर हासिल किया और तीन
गोल्ड मेडल जीते। आधुनिक ओलंपिक के इतिहास में पहली बार किसी को परफेक्ट
10 मिला था। वर्ष 1975 में यूरोपियन चैंपियनशिप और
1976 में अमेरिकन कप भी
मैंने जीता।
1980 के ओलंपिक में भी मैंने दो गोल्ड मेडल जीता।


अमेरिकी जिमनास्ट से विवाह
            क्रांति के कारण रोमानिया
में रहना जब मुश्किल होने लगा
, तो मैं 1989 में अमेरिका आ गई। उस क्रांति ने राष्ट्रपति निकोलाइ
चाउसेस्कु की सरकार की उखाड़ फेंका।
1996 में मैंने अमेरिकी जिमनास्ट बार्ट कोनर से शादी कर
ली। बार्ट कोनर से मैं पहली बार
1976 में ही मिली थी, खेल के कारण ही मुझे मेरा प्यार मिला। मैं समझती
हूं कि खेल लोगों को करीब लाने का काम करता है। लेकिन हमने शादी बुखारेस्ट में की
,
जब अपना वतन छोड़ने
के बाद पहली बार मैं वहां गई थी। वर्ष
2001 में मुझे अमेरिकी नागरिकता मिल गई। अब मैं और कोनर
मिलकर एक एकेडमी चलाते हैं। हमारी एकेडमी में
1,500 बच्चे हैं। शुरूआत  में बच्चों को जिमनास्ट का प्रशिक्षण देना
अच्छा है
, भले ही बाद में वे चाहे जो करें, बच्चों को जिमनास्ट इसलिए अच्छा लगता है, क्योंकि वे झटका देना चाहते
हैं
, उड़ना चाहते हैं।


रिटायरमेंट के बाद जीवन
            1984 मैं रिटायर हो गई और
अमेरिका आने से पहले रोमानियाई टीम के कोच के रूप में काम किया। जब मैं जिमनास्ट
कर रही थी
, तब उपकरण अलग तरह के थे। तब जिमनास्ट करना काफी कठिन था, क्योंकि फ्लोर मैट काफी सख्त
होता था। अब फ्लोर मैट में स्प्रिंग होता है। यहां तक कि इन दिनों जिन वाॅल्ड टेबल
का उपयोग होता है
, वे ज्यादा सुरक्षित, चैडे़ होते हैं और उनमें स्प्रिंग लगे होते हैं, जो जिमनास्ट की बहुत ऊंचाई तक छलांग में मददगार
होते हैं।
                        हाल में भारत आई रोमानिया की जिमनास्ट नादिया
कोमानेची के
विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित

साभार: अमर उजाला

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