संकलन – प्रदीप कुमार सिंह
मेरे पिता आईएएस अधिकारी थे। मैंने बेगमपेट स्थित हैदराबाद पब्लिक स्कूल से
अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की। बचपन से ही मैंने सोच लिया था कि मुझे टेक्नोलाॅजी
के क्षेत्र में बड़ा काम करना है।
अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की। बचपन से ही मैंने सोच लिया था कि मुझे टेक्नोलाॅजी
के क्षेत्र में बड़ा काम करना है।
मुझे अपनी मंजिल पता थी:-
मैं हर चीज को उसकी
संपूर्णता में जानना-समझना चाहता था। मुझे याद है, मणिपाल इंस्टीटयूट आॅफ टेक्नोलाॅजी में आने के बाद
मैं अपने भविष्य के बारे में बहुत सोचता था। क्लास में मैं अध्यापकों से लगातार
सवाल करता था, जबकि मेरे दोस्त खामोश बैठे रहते थे। सवाल पूछने की मेरी आदत से अध्यापक भी कई
बार परेशान हो जाते थे। वहां हम दोस्तों के बीच अपने भविष्य पर बात करते थे। मेरे
दोस्त कहते थे कि हार्डवेयर का भविष्य तो सन माइक्रोसिस्टम्स में है। लेकिन मैं
उन्हें कहता था कि मुझे साॅफ्टवेयर के क्षेत्र में जाना चाहिए, मुझे मार्केटिंग में होना
चाहिए और माइक्रोसाॅफ्ट मेरी मंजिल होनी चाहिए।
संपूर्णता में जानना-समझना चाहता था। मुझे याद है, मणिपाल इंस्टीटयूट आॅफ टेक्नोलाॅजी में आने के बाद
मैं अपने भविष्य के बारे में बहुत सोचता था। क्लास में मैं अध्यापकों से लगातार
सवाल करता था, जबकि मेरे दोस्त खामोश बैठे रहते थे। सवाल पूछने की मेरी आदत से अध्यापक भी कई
बार परेशान हो जाते थे। वहां हम दोस्तों के बीच अपने भविष्य पर बात करते थे। मेरे
दोस्त कहते थे कि हार्डवेयर का भविष्य तो सन माइक्रोसिस्टम्स में है। लेकिन मैं
उन्हें कहता था कि मुझे साॅफ्टवेयर के क्षेत्र में जाना चाहिए, मुझे मार्केटिंग में होना
चाहिए और माइक्रोसाॅफ्ट मेरी मंजिल होनी चाहिए।
मेरे जीवन का टर्निंग पाॅइंट:-
1992 में मैंने अनुपमा से शादी
की, जो मेरे साथ स्कूल
में पढ़ती थी और मेरे पिता के दोस्त की बेटी थी। उसी साल मैंने माइक्रोसाॅफ्ट जाॅइन
की। शादी ने मेरा जीवन बदल दिया और माइक्रोसाॅफ्ट ने मुुझे वैश्विक पहचान दिलाई।
हालांकि मैं ‘हर घर, हर डेस्क पर एक कंप्यूटर’ के बिल गेट्स के लक्ष्य को एक छोटा और तात्कालिक लक्ष्य
मानता था, क्योंकि वह लक्ष्य तो करीब एक दर्शक में ही पूरा हो चुका था। मैं उन चंद लोगों
में से था, जिसने कंपनी को क्लाउड कम्यूटिंग के बारे में बताया। नतीजतन कंपनी ने इसमें
निवेश करना शुरू किया और जल्दी ही माइक्रोसाॅफ्ट ने क्लाउड कम्प्यूटिंग की वह
तकनीक विकसित की, जिसने आईटी क्षेत्र की तस्वीर तो बदली ही, इससे माइक्रोसाॅफ्ट की आय में बहुत उछाल आया। वर्ष 2014 में माइक्रोसाॅफ्ट का सीईओ
बनना मेरे जीवन का एक बड़ा घटनाक्रम था।
की, जो मेरे साथ स्कूल
में पढ़ती थी और मेरे पिता के दोस्त की बेटी थी। उसी साल मैंने माइक्रोसाॅफ्ट जाॅइन
की। शादी ने मेरा जीवन बदल दिया और माइक्रोसाॅफ्ट ने मुुझे वैश्विक पहचान दिलाई।
हालांकि मैं ‘हर घर, हर डेस्क पर एक कंप्यूटर’ के बिल गेट्स के लक्ष्य को एक छोटा और तात्कालिक लक्ष्य
मानता था, क्योंकि वह लक्ष्य तो करीब एक दर्शक में ही पूरा हो चुका था। मैं उन चंद लोगों
में से था, जिसने कंपनी को क्लाउड कम्यूटिंग के बारे में बताया। नतीजतन कंपनी ने इसमें
निवेश करना शुरू किया और जल्दी ही माइक्रोसाॅफ्ट ने क्लाउड कम्प्यूटिंग की वह
तकनीक विकसित की, जिसने आईटी क्षेत्र की तस्वीर तो बदली ही, इससे माइक्रोसाॅफ्ट की आय में बहुत उछाल आया। वर्ष 2014 में माइक्रोसाॅफ्ट का सीईओ
बनना मेरे जीवन का एक बड़ा घटनाक्रम था।
कविता अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है:-
खाली वक्त में मैं कविताएं
और रूसी उपन्यास पढ़ना पसंद करता हूूं। मैं कविताओं को अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ
माध्यम मानता हूं। भारतीय और अमेरिकी कविताएं मैं खूब पढ़ता हूं। मैं बचपन में अपनी
स्कूल की क्रिकेट टीम का हिस्सा था और अब भी समय मिलने पर टीवी पर टेस्ट मैच देखता
हूं। मैं मानता हंू कि टीम वर्क की समझ और नेतृत्व करने की क्षमता मुझमें इसी खेल
के कारण विकसित हुई है। हालांकि फुटबाॅल भी मेरा पसंदीदा खेल है। सिएटल स्थित
पेशेवर फुटबाॅल टीम सी-हाॅक का मैं फैन हूं। मैं फिटनेस के प्रति सजग हूं और हमेशा
दौड़ता हूं।
और रूसी उपन्यास पढ़ना पसंद करता हूूं। मैं कविताओं को अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ठ
माध्यम मानता हूं। भारतीय और अमेरिकी कविताएं मैं खूब पढ़ता हूं। मैं बचपन में अपनी
स्कूल की क्रिकेट टीम का हिस्सा था और अब भी समय मिलने पर टीवी पर टेस्ट मैच देखता
हूं। मैं मानता हंू कि टीम वर्क की समझ और नेतृत्व करने की क्षमता मुझमें इसी खेल
के कारण विकसित हुई है। हालांकि फुटबाॅल भी मेरा पसंदीदा खेल है। सिएटल स्थित
पेशेवर फुटबाॅल टीम सी-हाॅक का मैं फैन हूं। मैं फिटनेस के प्रति सजग हूं और हमेशा
दौड़ता हूं।
मैं एक पारिवारिक आदमी हूं:-
मेरा स्वभाव मेरे काम के ठीक
विपरीत है। मैं एक पारिवारिक आदमी हूं। आज भी काम के बाद मेरा वक्त पत्नी और तीन
बच्चों के इर्द-गिर्द ही बीतता है। स्कूल और काॅलेज के दोस्तों के संपर्क में मैं
आज भी हूं। पर मैं सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हूं। वर्ष 2010 के बाद मैंने ट्वीट नहीं
किया। हालांकि मुझे भाषण देना अच्छा लगता है। लेकिन रिजर्व रहना पसंद करता हूं।
विपरीत है। मैं एक पारिवारिक आदमी हूं। आज भी काम के बाद मेरा वक्त पत्नी और तीन
बच्चों के इर्द-गिर्द ही बीतता है। स्कूल और काॅलेज के दोस्तों के संपर्क में मैं
आज भी हूं। पर मैं सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हूं। वर्ष 2010 के बाद मैंने ट्वीट नहीं
किया। हालांकि मुझे भाषण देना अच्छा लगता है। लेकिन रिजर्व रहना पसंद करता हूं।
सत्या नडेला से विभिन्न साक्षात्कारों पर आधारित
साभार – अमर उजाला
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