नीलम गुप्ता
आज छुट्टी का दिन है ………
आज
बच्चे देर से उठेंगे
तय नहीं है
कब नहायेंगे
नहायेंगे भी या नहीं
घर भर में फ़ैल जायेंगी
किताबें , अखबार के पन्ने ,
मोज़े , कपडे , यहाँ वहां इधर – उधर
सारा दिन चलेगा
टीवी , मोबाइल और कम्प्यूटर
देखी जायेगी फिल्म , होगी चैट
खेले जायेंगे वीडियो गेम
आज छुट्टी का दिन जो है …
आज
साहब उठेंगे देर से
बिस्तर पर ही पियेंगे चाय
फिर घंटो पढेंगे अखबार
जमेगी दोस्तों की महफ़िल
लगेंगे कहकहे
करेंगे तफरी
बुलायेंगे उसे पास
ना नुकुर पर
हवा में उछाल देंगे वही पुराना जुमला
” आखिर तुम सारा दिन करती क्या रहती हो
आज छुट्टी का दिन जो है ……….
वो उठेगी थोडा जल्दी
कामवाली ने ले रखी है छुट्टी
निपटा लेगी बर्तन
सबके उठने से पहले
बदल देगी रसोई
के अखबार
आज धुलेंगे ज्यादा कपडे
पूरी करने है कुछ अच्छा बनाने की फरमाइश
लानी है हफ्ते भर की सब्जी तरकारी
बनाना है
बच्चों का टाइम टेबल
आज ही टाइम है
सजाना है करीने से घर
आज छुट्टी का दिन जो है……..