सुमित्रा गुप्ता
तुम्हीं से है……..
कभी शिकवा शिकायत है
कभी मनुहार इबादत है
मेरे प्यारे, मेरे भगवन, मेरे बंधु,
तुम्हीं से है, तुम्हीं से है
पायी तेरी इनायत है
करी तेरी इबादत है
तू सामने हो या ना भी हो
मुझे तेरी जरूरत है
मेरेे प्यारे, मेरे भगवन, मेरे बंधु
तुम्हीं से है, तुम्हीं से है
जग में बहुत ही नफरत है
जग में बहुत ही गफलत है
तेरे दर पे ही शराफत है
तेरे दर पे ही नजाकत है
मेरे प्यारे, मेरे भगवन, मेरे बंधु
तुम्हीं से है, तुम्हीं से है
सखी’ने चाहा मुद्दत से
सखी’ ने चाहा शिद्दत से
छोड़ कर दुनियां के नाते
लगायी प्रीत दिलबर से
निभाते सभी रिश्तों को
प्रभु तुझसे ही मोहब्बत है
मेरे प्यारे, मेरे भगवन, मेरे बंधु
तुम्हीं से है, तुम्हीं से है……..