अगर किसी बच्चे से पूंछा जाए ,” बेटा मम्मी कैसी होती हैं ? तो वो क्या जवाब देगा : सबसे अच्छी |पर आज हम बात कर रहे हैं उस बच्चे की ,जिसको अपनी मम्मी गन्दी नज़र आयीं | जाहिर है माँ का दिल तो टूट ही जाएगा | जिस बच्चे के लिए इतनी मेहनत करो , चिंता करो फिर भी वो हमको गन्दा कहता है | पर देखना यह है की , फिर कैसे उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और अपनी मम्मी उसे अच्छी नज़र आने लगीं | तो चलते हैं नीता भाभी के घर , जहाँ उनके ननद स्वेता आई हुई है |
स्वेता ने पूँछ ही लिया | हालांकि
उसे पता था बात जरूर चिंटू की होंगी | उसी ने दिल दुखाया होगा नीता भाभी का
| फिर भी भाभी के मुँह से सुनना
जरूरी था | भाभी
सुबकते हुए बोली अब क्या बताऊ तुम्हे , रोज की बात है ये चिंटू | जनाब जमीन से उगे नहीं हैं और
कोई बात न मानने की जैसे कसम खा ली है | अभी खाना खिला रही थी | मैगी चाहिए , रोटी दाल तो गले से उतरती नहीं | जब मैंने मना किया तो वही पुराना
डायलॉग ” तुम
गन्दी मम्मी हो , हर बात
पर टोंकती हो , अपनी
मर्जी चलाती हो | “अब तुम
ही बताओ स्वेता , ५ साल के
बच्चे से रोज -रोज अपने लिए गन्दी मम्मी सुन कर कैसा लगेगा ? जिसके लिए दिन भर काम में लगी
रहती हूँ वो ही कुछ समझाने पर, गलत काम में रोकने पर गन्दी मम्मी कह देता है |
हां भाभी
, आप बात
तो सही कह रही हैं | बुरा तो
लगता होगा | चिंटू को
ऐसे नहीं कहना चाहिए | चलिए कोई
बात नहीं मैं उसे समझा दूँगी | नीता भाभी को तसल्ली हो गयी | स्वेता ने रात को चिंटू को मना लिया | चिंटू आज मम्मी के साथ नहीं , बुआ के साथ सोना | मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊँगी | चिंटू खुश हो कर ताली बजाने लगा
| वाह बुआ , वाह , कहानी तो मैं जरूर सुनूंगा | रात को चिंटू बुआ स्वेता के पास
आ कर लेट गया और प्यार से उसका मुंह अपनी और करके बोला ,” हां बुआ सुनाओ कहानी , कौन सी कहानी सुनाओगी , राक्षस की , परियों की , या जादू वाले तालाब की , जिसमें बड़ा सा अजगर रहता था | स्वेता ने चिंटू के गाल पर मीठी
चपत लागाते हुए कहा , ” मैं तुम्हे दो मम्मीयों की कहानी सुनाउंगी | कहानी का नाम है ,” अच्छी मम्मी , गन्दी मम्मी | ” चिंटू कौतुहल से बुआ का मूंह
देखने लगा | अरे वाह
आज तो बुआ कोई नयी कहानी सुनाएंगी | स्वेता ने कहानी सुनना शुरू किया…….
बहुत
पहले की बात है , दो मम्मियां थी | दोनों के
२ साल का एक -एक बेटा था | दोनों ही
अपने बेटों को बहुत प्यार करती थी | पर जैसा की कहानी का नाम है , वैसे ही एक मम्मी अच्छी थी , जो अपने बेटे को किसी बात पर
टोंकती नहीं थी | जो वो
करना चाहता था करने देती थी | दूसरी थी गन्दी मम्मी | वो तो बस ! जो भी उसे गलत लगता उस पर
टोंक देती | थी न
गन्दी मम्मी ,” स्वेता
ने चिंटू से प्रश्न किया | हाँ बुआ
! बहुत गन्दी मम्मी थी | बच्चों
को ऐसे बात -बात पर टोंकना अच्छी बात नहीं है | जैसे मम्मी को ही सब पता होता है | बच्चों को कुछ भी नहीं | सच में गन्दी मम्मी | स्वेता ने मुस्कुरा कर आगे
कहानी सुनना शुरू किया |
की बात है दोनों बच्चे रसोई में खेल रहे थे | दोनों को आग बहुत अच्छी लगी | लाल नारंगी कितनी सुन्दर , दोनों बच्चे उसे पकड़ने के लिए
घुटूँ घुटुँ आगे बढ़ने लगे | अब गन्दी
मम्मी तो गन्दी थी | तुरंत
रोक दिया अपने बेटे को | अरे आग
की तरफ नहीं | बेचारा
रोता रह गया | पर गन्दी
मम्मी तो गन्दी मम्मी , आदत से मजबूर | पर वो दूसरा बच्चा उसकी मम्मी तो
अच्छी थी | बच्चे को
रोकती नहीं थी | सो पहुँच
गया आग के पास और पकड ली आग | पर ये क्या उसकी चीखों से घर हिल गया | उसका पूरा हाथ जल गया | मम्मी डॉक्टर के पास ले कर
दौड़ीं | इतनी
सारी दवाइयां खाई दर्द झेला फिर ठीक हुआ |
थे | खाना
गन्दी जमीन पर गिर गया | गन्दी
मम्मी ने तो टोंक दिया | अरे ये
खाना नहीं , पेट खराब
हो जाएगा वो बेचारा बच्चा मन मसोस के रह गया | पर अच्छी मम्मी ने बिलकुल मना नहीं
किया | उसके
बेटे ने गन्दा खाना खाया | पेट खराब
हुआ , तीन दिन
अस्पताल में रहना पड़ा | बड़े बड़े
इंजेक्शन लगे | चिंटू
रुआसा सा होने लगा | और बुआ , फिर आगे क्या हुआ , उसने पूंछा ? हां अब तो कहानी खत्म होने वाली
है |
एक बार
की बात है | दोनों
मम्मीयाँ छत पर बैठ कर बातें कर रही थी | और बच्चे खेल रहे थे | तभी दोनों बच्चे बिना मुंडेर
वाली छत पर किनारे जाने लगे | गन्दी मम्मी ने तो अपने बेटे को रोक लिया | उफ़ वो नहीं सुधरेगी , गन्दी जो थी |स्वेता ने बुरा सा मुंह बना कर
कहा | और वो
अच्छी मम्मी वाला बच्चा बिना मुंडेर की छत के किनारे की तरफ बढ़ने लगा | आगे आगे और…. आगे … और | बस बुआ बस चिंटू ने बीच में बात
काटते हुए हुए कहा ,” अरे कोई
रोको उसको वो गिर जाएगा , उसके चोट
लग जायेगी , वो मर भी
सकता है , जो मम्मी
उसको नहीं रोक रही है वो अच्छी मम्मी नहीं है वो गन्दी मम्मी है , बहुत गन्दी मम्मी है , दुनिया की सबसे गन्दी मम्मी है , कहते कहते चिंटू सुबकने लगा |
जो अपने
बच्चे की भलाई के लिए उसे नहीं टोंकती वो तो गन्दी मम्मी ही हुई , अच्छी नहीं स्वेता ने चिंटू की
बात का समर्थन करते हुए कहा | पर तुम जा कहाँ रहे हो , अगले ही पल स्वेता ने दूसरे कमरे में
जाते हुए चिंटू से पूंछा ? मुझे
नहीं सुननी कहानी, बुआ मैं
जा रहा हूँ अपनी अच्छी मम्मी के पास |
स्वेता
मुस्कुरा कर बोली बाय चिंटू , अब चिंटू को अच्छी और गन्दी मम्मी के बीच का फर्क जो समझ आ
गया था
इसी तरह बच्चों को अच्छी कहानियों के माध्यम से सही-गलत की पहचान करानी चाहिए। सुंदर कहानी!
धन्यवाद ज्योति जी
सार्थक पोस्ट … बालमन को समझाइश देने का तरीका सही हो ये जरूरी है | आभार
धन्यवाद