रंगनाथ द्विवेदी
बाबाओ को गदराई दैहिकता ललचा रही———–
औरत इन्हें भी हमारी तरह भा रही।
सारे प्रवचन भुल रहे,
बिस्तर पर हर रात एक यौवन का सेवन,
तन्दुरुस्ती एैसी कि एक जवान से ज्यादा——-
औरत की जिस्म पे बाबा जी झूल रहे।
कामोत्तेजना के तमाम आसन कोई इनसे पुछे,
दाँतो तले पहरे पे खड़े सेवक अपनी अँगूली दबा रहे,
साठ के बाबा जी के क्या कहने कि बीना शिलाजीत खाये,
इनके कमरे की हर ईट से जैसे कामसूत्र चीखे।
सभी बाबा एक-एक कर फँस रहे,
जेल मे आशाराम बापू आह भर रहे,
सीडी किंग नित्यानंद,
जेल मे चोरी-चोरी अश्लील किताब मंगा,
अपना अंग विशेष पकड़े———–
बड़ी समाधिस्त अवस्था मे मस्तराम को पढ़ रहे,
फिर भी इन चरित्रहीनो के भक्त है,
कि मानते नही,
पुलिस,पैरामिलट्री,कर्फ्यू तक लगाना पड़ रहा,
लेकिन वाह रे इन गलिजो के भक्त,
इतनी निकृष्ट गुरुता का अंधापन,
कि पंजाब और हरियाणा के बलात्कारी को बचाने के लिये,
अपने ही राज्य के बेटे लड़ रहे,
शायद इसी से एै “रंग”,
अब हमारे देश मे राम-रहीम से———-
बलात्कारी बाबा बढ़ रहे।
@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर(उत्तर–प्रदेश)।
तुम धन्य हो इस देश के तथाकथित बलात्कारी बाबाओ जो इतना इस देश की आस्था का श्री वर्द्धनकर आप चार चाँद लगा रहे।