गोरखपुर के उन बह रहे तमाम आँसुओ को समर्पित एक पीड़ा——-
चालीस बच्चो की मौत पे भी शिकन नही——-
बड़ी मोटी है तेरी सियासी खाल गोरखपुर।
आॅक्सीजन की सप्लाई रुक गई,
अभी तलक आजाद है सी.ऐम.ओ.(C.M.O.),
मुझे तो शक है कि,
इन बच्चो की मौत के है———
यही दलाल गोरखपुर।
योगी यही के है इसी से मिट्टी डल रही है,
लेकिन जल गई है धुनी——
अब आयेंगे काग्रेंस,सपा,बसपा के लोग,
और बजायेंगे कुछ दिन नकली संवेदना लिये—–
अपने-अपने सियासी गाल गोरखपुर।
लेकिन वे आँखे भरी रहेंगी जिन आँखो में अभी तलक,
अपने बच्चे के खेलने,
और कानो को सुनने की किलकारियाँ थी,
शायद कभी नही भरेंगे,
उन बच्चो के खोने के ये घाव,
रुह कांप जायेगी इनकी ता उम्र,
और हमेशा इनकी जेहन मे रहेगा——
एक दर्द बनके तेरा अस्पताल गोरखपुर।
@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर(उत्तर–प्रदेश)।
गोरखपुर की घटना दिल दहला देने वाली है । ऐसी लापरवाही भविष्य में दूबारा ना हो इसके लिए सख्त कार्यवाही होनी ही चाहिए । आपने बिल्कुल सही कहा
"लेकिन वे आँखे भरी रहेंगी जिन आँखो में अभी तलक,
अपने बच्चे के खेलने,
और कानो को सुनने की किलकारियाँ थी,
शायद कभी नही भरेंगे,
उन बच्चो के खोने के ये घाव,
रुह कांप जायेगी इनकी ता उम्र,
और हमेशा इनकी जेहन मे रहेगा——
एक दर्द बनके तेरा अस्पताल गोरखपुर।
dhanyvad babita ji