डाॅ सन्ध्या तिवारी
सद्यः विधवा चचेरी बहन ममता से काबेरी ने बहुत आत्मीय मगर शिकायती लहज़े में पूछा ; “दीदी आप मेरी ननद की शादी में क्यों नही आई ?”
ममता ने रुष्ट होते हुये कुछ तेज स्वर में कावेरी को झिडकते हुये कहा ;” बुलाऽयाऽ तुमने ?कार्ड तो छोडो तुमने एक फोन तक नही किया। तुमने सोचा होगा विधवा को अच्छे काम में क्या बुलाना ।बेकार की बातें बना रही हो।”
“नही दीदी हमने कार्ड अपको भेजा ।हम कसम खा रहे है ।फोन इसलिये नही किया, क्योकि जीजा जी के कारण आपका मन बैसे ही दुखी था। और हम अपनी खुशखबरी आपको सुनाते तो कुछ अच्छा नही लगता। और हाँ कार्ड हमने आपके नाम से भेजा था ।”
कुछ सोचते हुये वह फिक्क से हँस दी और बोली ; वही तो मै भी सोचूं कार्ड क्यों नहीं पहुंचा ।मुझे जब मेरे नाम से ससुराल मे कोई जानता ही नहीं तो डाकिया क्या जानेगा।जब से शादी हो के आई थी ,तभी से विनय की बहू ,अनय की भाभी , चिंटू मिंटू की मम्मी , सोनू की दादी यही नाम है मेरे ।मोहल्ले वाले वकीलिन नाम से जानते है
तुमने गलत नाम से कार्ड भेजा ।
तुम्हारे जैसी पढी लिखी से ऐसी गल्ती की उम्मीद नही थी ।
तुम भी न___
कावेरी अपलक ममता का चेहरा देखते हुये मन ही मन गलती किसकी थी सोच रही थी।
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बहुत करारा व्यंग।