आप अकसर क्या व्यक्त करते हैं – खेद या आभार


वंदना बाजपेयी 

मृत
व्यक्ति को किसी जीवित व्यक्ति से अधिक फूल मिलते हैं क्योंकि खेद व्यक्त करना
आभार व्यक्त करने से ज्यादा आसान है – ऐनी फ्रैंक
 

 
                     
                वो मेरा
स्टूडेंट था
| तकरीबन १० साल बाद मुझसे मिलने आया था |
अभी क्या करते हो ? पूछने  पर उसने सर झुका
लिया  
, केवल चाय की चुस्कियों की गहरी आवाजे आती रहीं |
मुझे अहसास हुआ की मैंने कुछ गलत पूँछ लिया है |

माहौल को हल्का करने के लिए मैं किसी काम के बहाने उठ कर जाने को हुई तभी
उसने चुप्पी तोड़ते हुए कहा
, ” एक दुकान संभालता  हूँ ,  बस गुज़ारा हो जाता है | ” फिर सर झुकाए झुकाए ही बोला ,”मुझे खेद हैं |
 काश ! मैंने समय पर आप की सलाह मान ली होती तो आज मेरी तकदीर
कुछ और होती
| ” 



पढ़िए – कोई तो हो जो सुन ले

कोई बात नहीं |जहाँ
हो अब आगे बढ़ने का प्रयास करो
|  हालांकि जब तुम मुझसे
मिलने आये थे तो मुझे आशा थी की तुम मेरी सालाह के लिए आभार व्यक्त करने आये हो
|”मेरे सपाट उत्तर के बाद पसरा मौन  उसके जाने के बाद भी मेरे मन में
पसरा रहा
|

 
                     
                     
    
वो मेरा ब्रिलियेंट स्टूडेंट था | पर जैसे – जैसे क्लासेज आगे बढ़ी वो पढ़ाई से जी चुराने लगा | मैंने कई बार उसे समझाने का प्रयास किया की मेहनत ही सफलता का मूलमंत्र है
| पर वो मेहनत  से जी चुराता रहा | स्कूल बदलने के बाद मेरा उससे संपर्क नहीं रहा | आज
आया भी तो खेद व्यक्त करने के लिए
|


 जीवन की कितनी बड़ी विडंबना है की हम सही समय पर सही काम नहीं करते और खेद
व्यक्त करने के लिए बहुत कुछ बचा कर रखते हैं
|

न सिर्फ
कैरियर के मामले में बल्कि आपसी रिश्तों में
, लोक व्यवहार
में
| कितने लोग अपने बीमार रिश्तेदारों से आँख बचाते रहते
हैं और समय निकल जाने पर खेद व्यक्त करते हुए कहते हैं की
,” आप ने तो हमें बताया ही नहीं |” उस समय बताते तो हम ये ये ये कर देते | सड़क पर गरीब ठंड  से मर रहा है , हममे से कितने उसे अपने घर के एक्स्ट्रा
कम्बल दे देते हैं
, अलबत्ता उसके मरने के बाद शोक अवश्य
करते हैं की काश हमने तब उसे कम्बल दे दिया होता
| बेहतर
होता की हम उसे पहले कम्बल दे देते और ईश्वर का आभार व्यक्त करते की उसने हमें इस
लायक बनाया है की हम किसी की मदद कर सकें
|कई बार तो हम अपने बच्चों के मामले में भी समय रहते लापरवाही करते हैं फिर कहते है | समय का फेर है हम उस समय ध्यान नहीं दिया | उदाहरणों की लम्बी लिस्ट 
है | 


पढ़िए – चमत्कार की तलाश में बाबाओं का विकास

                                         क्या आप जानते हैं की ऐसा क्यों होता है | ऐसा इसलिए होता है क्योंकि  आभार् व्यक्त  करना मेहनत मांगता है | आभार
व्यक्त करना समय पर तीमारदारी मांगता है
, आभार व्यक्त करना
 अपने अहंकार को कम करना मांगता है , आभार व्यक्त करना समय का सदुप्रयोग मांगता है | … खेद व्यक्त करना आसान राह है  पर
यह एक ऐसी राह है जिसकी कोई मंजिल नहीं है
| तमाम सुडा ,
कुडा और वुडा हमें जहाँ हैं वहीँ पर रोक कर रखते हैं |

मंजिल सदा सही समय पर सही काम करने वालों को मिलती है |

आप अक्सर क्या व्यक्त करते हैं – खेद या आभार 

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