किताबों
फ़ोटो में
ड्राइंगरूम
ओफिसों में ही
बचें हैं गाँधी
नहीं हैं तो बस
सबके दिलों में नहीं हैं
शिक्षाएँ उनकी
पुस्तकालयों,भाषणों में
क़ैद है
चरख़ा
म्यूज़ियम में
जब उन्हें
जगाना होगा
गाँधी जयंती और
शहीद दिवस मनाना होगा
मध्यावधि-पूर्णावधि चुनावों में
वोट माँगने होंगे
तभी ढूँढा जाएगा
खोये गाँधी को
अन्यथा तो वे
आउट ऑफ़ डेट
आउट ऑफ़ फ़ैशन
आउट ऑफ़ पॉलिटिक्स हैं।
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई,देहरादून