प्रस्तुत हैं उषा अवस्थी जी की दो कवितायें शिवोहम व् चाँदनी कितनी सुहानी चाँदनी
शिवोहम
ब्रम्हांड बने जब तन कोई
कैलाश बने कोई मन
उस मन परवत पर विचरण करते
गौरि शंभु हरदम
मन रत्नाकर विस्तृत अगाध
प्रज्ञा मंदर और रज्जु श्वास
से करे कोई मंथन
उसके सब कलुष हलाहल पीते
नीलकंठ हरदम
कर कुसुम- चाप, अभिमान भरे
जब मदन बाण पर धार धरे
करता समाधि भंजन
तब ही कामारि त्रिलोकनाथ
खोलें तिनेत्र हरदम
जिसका तन काशी मन गंगा
उस पुण्य सलिला भागीरथी में
करता कोई अवगाहन
भव- बंध काट आनंद धाम
भेजें प्रभु हर हरदम
2- चाँदनी, कितनी सुहानी- चाँदनी
चाँदनी, कितनी सुहानी, चाँदनी
ज्यों उड़ेले मधु- कलश
कोई सजीली कामिनी,।
चाँदनी, कितनी सुहानी, चाँदनी
डाली- डाली फूल- फूल पर
नर्तन करती धूल- धूल पर
विहंस- विहंस मुकुलित विटपों पर
है बिखेरे रागिनी
चाँदनी, कितनी सुहानी, चाँदनी
डाल किरण- माला धरती पर
अम्बर करता प्रणय- निवेदन
अन्तर में अनुराग समेटे
भू लजीली भामिनी
चाँदनी, कितनी सुहानी, चाँदनी
चन्द्र- रश्मियों की डोरी से
बाँध रहा अलकावलियाँ नभ
बिखर गईं मधुजा- मुख पर जो
बन हठीली यामिनी
चाँदनी, कितनी सुहानी, चाँदनी
लेखिका परिचय
नाम-उषा अवस्थी
शिक्षा- एम ए मनोविज्ञान
सम्प्रति- 1- समिति सदस्य ‘अभिव्यक्ति’ साहित्यिक संस्था, लखनऊ
2- सदस्य ‘भारतीय लेखिका परिषद’, लखनऊ
प्रकाशित रचनाएँ- ‘अभिव्यक्ति’ के कथा संग्रहों, भारतीय लेखिका परिषद’ की पत्रिका ‘अपूर्वा’, दैनिक पत्रों ‘दैनिक जागरण’ व ‘राष्ट्रबोध’, साप्ताहिक पत्र ‘विश्वविधायक’ एवं विविध पत्रिकाओं यथा ‘भावना संदेश’, ‘नामान्तर’ आदि में रचनाएँ प्रकाशित
विशेष-1- आकाशवाणी लखनऊ द्वारा समय समय पर कविताओं का प्रसारण
2- राष्ट्रीय पुस्तक मेले के कवियत्री सम्मेलन की अध्यक्षता
3- कुछ वर्षों का शैक्षणिक अनुभव
4- संगीत प्रभाकर एवं संगीत विशारद
बहुत सुंदर कविताएँ आदरणीय ऊषा जी।
धन्यवाद स्वेता जी