गिनते हुए ज़रूरतें वो निकला घर से
हड़बड़ाता ,बड़बड़ाता गिड़गिड़ाता !
वो निम्न मध्यम वर्गीय जीव !
बहुतायत में पायी जाने वाली -प्रजाति !
एक हाथ में दो -चार रोटियों व सुखी सब्जी से ठूंसा डिब्बा !
दूसरे हाथ से कस कर बस का डंडा पकड़े !
दिमाग में राशन ,बिजली -पानी के बिल !
बच्चों की फीस ,मकान का किराया !
जीनें को ज़रूरी, ज़रूरतों का सॉफ्टवेयर अपडेट करता हुआ !
धक्कों से धकेला जा कर पहुंचा काम पर !
खटता ,पिटता ,समेटता ,चुनता – न मालूम कितनी ज़रूरतों में से !
बहुत जरूरी कुछ ज़रूरतों –के कंकड़ !
इन कंकड़ों के ही चुभने से ही ,
उसके अस्तित्व से रिसते हैं ज़ख्म !
ज़ख्मों पर मरहम का समय नहीं है !
पैसों का पहाड़ खोद कर !
ज़रूरतों के गड्ढों में मिट्टी भरनी है !
डॉ .संगीता गाँधी
नई दिल्ली
नई दिल्ली