पापा , ये वाला लो

                                     दोस्तों , कहा गया है की बच्चे मन के सच्चे होते हैं |ऐसी ही एक छोटे बच्चे की कहानी मैं आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ | जो बचपन की मिठास से भरी है | 
चार साल का छोटा सा बच्चा राजू अपने पापा -मम्मी व् दादी बाबा के साथ रहता था |राजू सब का लाडला था | कभी कभी उसके पापा  कहते की  राजू के साथ थोड़ी सी कड़ाई से पेश आना चाहिए | ज्यादा लाड – प्यार की वजह से वो जिद्दी होता जा रहा है |
 पर कोई उनकी बात सुनता ही नहीं था | तो पापा ने खुद ही राजू को सुधारने की ठान ली | 
एक बार राजू को उसकी दादी ने दो सेब दिए | राजू उन सेबों को खाने से स्थान पर खेलने लगा | खेलते – खेलते वहीँ बिस्तर के पास रख दिए और दूसरे खिलौनों से खेलने लगा | तभी राजू के पापा आये | 
उन्होंने राजू के पास सेब देख कर उसे बांटना सिखाने के लिए कहा ,” राजू तुम्हारे पास तो दो सेब हैं | एक सेब मुझे दे दो |  राजू को खिलौनों  में व्यस्त देखकर पापा ने फिर कहा ,” राजू , एक सेब मुझे दे दो | नन्हें राजू ने सुना ही नहीं | वो तो अपने खेल में ही मस्त रहा |
अब पापा को थोडा गुस्सा आ गया | वो जोर से बोले ,” राजू तुम्हारे पास दो सेब हैं | कायदे से तुम्हें इन्हें बांटना चाहिए | बांटना तो दूर तुम मुझे मांगने पर भी एक भी नहीं दे रहे हो |ऊपर से मेरी बात भी नहीं सुन रहे हो | ये बहुत गलत बात है | चलो ठीक है | तुम नहीं दे रहे हो तो मैं खुद ही ले लेता हूँ | पापा सेब लेने आगे बढ़ने लगे | 
अब राजू का ध्यान पापा की बात पर गया | उसने झट से दोनों सेब उठा लिए और बोला एक  मिनट पापा | कहते हुए उसने एक सेब  की एक बाईट ली | पापा ने दूसरे सेब की तरफ हाथ बढ़ाया | तभी राजू ने दूसरे सेब की भी एक बाईट ले ली | 
अब तो पापा को नाराज़गी महसूस हुई की राजू इतना छोटा होने के बाद स्वार्थी हो गया है | अपनी चीजे किसी से शेयर ही नहीं करना चाहता | पापा उसे डाँटने ही वाले थे | तभी राजू का मीठा सा स्वर गूंजा …
“ये वाला लो पापा , ये ज्यादा मीठा है “

                             पापा का गुस्सा एक मिनट में छू मंतर हो गया | उनकी आँखे नम हो गयीं और उन्होंने राजू को गले से लगा लिया | और बोले ,” i love you बेटा |
दोस्तों , राजू कितना प्यारा बच्चा था | वह अपने पापा को best देना चाहता था | पर पापा उसकी feelings नहीं समझ पाए | एक सेकंड के लिए ही धोखा खा गए | वो तो बच्चा था जल्द ही confusion दूर हो गया | पर कई बार टीन एज आने के बाद पेरेंट्स व् बच्चों में ये कान्फुजन दूर नहीं हो पाता | जहाँ एक तरफ पेरेंट्स को लगता है की बच्चे उन पर ध्यान नहीं देते | उनसे कुछ शेयर नहीं करते | पर कई बार बच्चे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि वो अपने पेरेंट्स को बेस्ट देना चाहते हैं | इस कारण तनाव में चले  जाते हैं | जरूरत है दोनों इस पर खुल कर बात करें | व् पहले से ही धारणा बना लेने के स्थान पर  सही समय पर प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करें |
सुबोध मिश्रा 
यह भी पढ़ें ….
 महात्मा गाँधी जी के 5 प्रेरक प्रसंग
सफलता का हीरा
बोनसाई


खीर  में कंकण




 बाल मनोविज्ञान पर ये कहानी आप को कैसी लगी | अगर आप को यह कहानी पसंद आई हो तो इसे शेयर करें व् हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | 

Leave a Comment