किसी को उपहार में क्या दें पर विशेष लेख
घरेलू उत्सव ( शादी विवाह, जन्मदिन, गृह प्रवेश आदि) तथा तीज – त्योहारों का उपहारों से एक खूबसूरत रिश्ता है जो समय – समय पर आदान – प्रदान करने से हमारे खूबसूरत रिश्तों को और भी खूबसूरती तथा मजबूती प्रदान करते रहते हैं! उपहार सिर्फ एक वस्तु ही न होकर उपहार देने वालों के भावनाओं का द्योतक होता है इसलिए अवसर के हिसाब से उपहारों का चयन सोच समझकर करना चाहिए जिससे उपहार प्राप्त करने वालों के हृदय में आपके लिए विशेष स्थान बन सके!
जरूरी नहीं कि उपहार कीमती ही दिया जाये! अपने सामर्थ्य के अनुसार ही उपहार का चयन करना चाहिए ताकि उपहार देकर तो खुशी मिले ही और लेने वाले भी उपहार लेकर प्रसन्न हों, न कि उपहार के बोझ से खुद को दबा हुआ महसूस करें!
मौके के अनुरूप हो उपहार
@ जैसे यदि त्योहार दीपावली का है तो इस अवसर पर मिठाइयों के साथ-साथ बर्तन, भी दिया जा सकता है.. यदि उपहार महंगा देना हो तो ज्वैलरी भी अपने सामर्थ्य के अनुसार दिया जा सकता है!
उसी प्रकार होली में रंग गुलाल के साथ-साथ मेवा मिठाइयाँ, आदि दिया जा सकता है!
@ जन्मदिन पर बच्चों के उम्र का ध्यान रखते हुए ही खिलौने तथा कपड़ो का चयन करना चाहिए
! वैसे भी बच्चों को अपने जन्मदिन का बेसब्री से प्रतीक्षा रहता है और साथ ही अपने विशेष रिलेटिव से विशेष गिफ्ट की अपेक्षा भी ! जन्मदिन के अवसर पर गिफ्ट की बात पर मुझे अपने बेटे आर्षी की बात याद करके अभी भी हँसी आ जाती है जब वह करीब पाँच वर्ष का था तो अपने जन्मदिन पर मिले हरेक गिफ्ट को अपने बिस्तर पर फैलाकर बोल रहा था आज हम सबसे अमीर हो गये हैं..!
@ शादी विवाह में तो बहुत कुछ देने का आप्शन होता है फिर भी आवश्यकता और पसंद को ध्यान में रखते हुए ही उपहार देना चाहिए ! उसी प्रकार विवाह की वर्ष गांठ पर भी बहुत से आप्शन होते हैं उपहार देने के लिए!! फिर भी कुछ विशेष उपहार विशेष खुशी देते हैं!
एकबार मैं अपनी सहेली के विवाह के पच्चीवीं वर्षगांठ पर साड़ी कपड़ो के साथ-साथ चूड़ी केश में भर कर रंग बिरंगी चूड़ियाँ तथा कंगन उपहार में दे दी… उसके बाद तो वह हर त्योहार पर मुझे फोन करके कहती थी कि आज तुम्हारी वाली ही चूड़ियाँ पहनी हूँ यह सुनकर सच में मन बहुत खुश हो जाता था !
@ अपने यहाँ गृह प्रवेश के अवसर पर भी उपहार देने की परम्परा है ! इसमें ज्यादातर नये घर में जरूरी सामान ( बर्तन, चादर. ब्लैंकेट्स, सजावटी सामान आदि ) देना उचित होता है !
गृह प्रवेश से याद आयी करीब ढाई वर्ष पूर्व की अपने गृह प्रवेश की बात…. फरवरी का महीना था और गुलाबी ठंड! मुझे तो वैसे भी ठंड बहुत कम लगती है उसमें भी व्यस्तता और खुशी की गर्मी की वजह से ठंड मेरे आसपास भी नहीं फटकती थी! रात में मेहमानों के सोने की व्यवस्था देखते हुए कुछ बातचीत करके करीब बारह एक बजे मध्य रात्रि में अपने कमरे में आकर कुछ देर बिस्तर पर लेटी तो ठंड महसूस होने लगी! बिस्तर आदि दूसरे फ्लैट में रखा गया था जिसमें मेहमान सोये थे! अब इतनी रात गये किसी मेहमान को भी दरवाजा खटखटाकर परेशान नहीं करना चाहती थी ! फिर मेरे दिमाग में आया और मैं अपना वार्डरोब खोलकर गिफ्ट देखने लगी तो एक सबसे बड़े मोटे गिफ्ट को ऊपर से ही छूकर देखी तो मेरे मन में कुछ उम्मीद की किरण जगी .. खोलकर देखी तो बिल्कुल मेरे अनुमान के अनुरूप ही गिफ्ट में खूबसूरत दोहर निकला जिसे ओढ़ कर हम रात बिताये! यह उपहार मेरी ननद की सास ने दी थी जो मेरे लिए सबसे उपयोगी और खूबसूरत स्मृतिचिन्ह के रूप में मेरे बिस्तर के साथ-साथ मेरे जेहन में अब तक बसा हुआ है!
चलन में है रिटर्न गिफ्ट
गिफ्ट में रिटर्न गिफ्ट की परम्परा भी काफी खूबसूरत होती हैं जो मेहमानों के लौटते समय मेजबानों के द्वारा दिया जाता है!
अभी पिछले वर्ष की ही बात है जब हम अपने फुफेरे भाई के बेटे की शादी अटेंड कर हल्द्वानी से पटना काठगोदाम एक्सप्रेस ट्रेन से लौट रहे थे ! उस ट्रेन में कैंटीन नहीं था! सुबह ब्रश करने के बाद मैंने भाभी का दिया हुआ रिटर्न गिफ्ट का डब्बा खोली तो उसमें साड़ी कपड़े के साथ ही तरह – तरह की सूखी मिठाइयाँ तथा तरह – तरह के नमकीन भी मिले जिसे देखकर मन खुश हो गया! और हम समय से स्वादिष्ट नाश्ता का आनन्द उठा सके!
सिर्फ दिखावा न हो उपहार
याद रखें उपहार कभी भी दिखाने और फोकस के लिए कभी नहीं देना चाहिए जो सिर्फ देखने में ही सुन्दर हो और जब बाद में पता चले तो उपहार लेने वाले मन ही मन आपके प्रति दुर्भावना पाल लें !
जैसे बहुत से लोग डुप्लीकेट सिल्क की साड़ी या फिर डुप्लीकेट कपड़े दे देते हैं जो देखने दिखाने में तो बहुत अच्छे लगते हैं लेकिन लेने वाले इधर उधर दान ही कर दिया करते हैं! कम कीमत में ही देना हो तो काॅटन के कपड़े भी दिये जा सकते हैं जिसे लेने वाला खुद पहन सके !
वैसे आजकल आॅनलाइन गिफ्ट की सुविधाएँ भी उपलब्ध हैं जो की आज की जेनरेशन के लिए काफी सुविधाजनक है!
जो भी दें जब भी उपहार दें तो ऐसा दें जो मन को छू जाए
©किरण सिंह
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बेगम अख्तर मल्लिकाएं ग़ज़ल को सलाम
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