विश्वास

विश्वास

                                                                                      ईश्वर है की नहीं इस बात पर भिन्न भिन्न मत हो सकते हैं | और मत के अनुसार फल भी अलग – अलग होते हैं |   जो लोग ईश्वर पर ही नहीं किसी भी चीज पर अटूट विश्वास करते हैं  | उनके काम अवश्य पूरे होते हैं | आधुनिक विज्ञानं इसे subconscious mind  की चमत्कारी शक्ति के रूप में परिभाषित करती है |हमारा विश्वास हमारे आगे परिस्तिथियों का सृजन करता है | अविश्वास के कारण जीवन के हर क्षेत्र में नुक्सान उठाना पड़ता है और कभी – कभी खुद जीवन से भी | ऐसी ही एक कहानी है विशाल मल्होत्रा की | 

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विशाल मल्होत्रा को पहाड़ पर चढने का बहुत शौक था |बर्फ से ढके ऊँचे  – ऊँचे पर्वत उसे बहुत लुभाते थे |   यूँ तो विशाल दिल्ली में रहता था | पर उसने पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लिया था | अक्सर वो हिमालय की वादियों में अपने दल के साथ गर्मी की छुट्टियों में हिमालय पर फतह करने जाता था | इस दल के अटूट विश्वास  और उत्साह के कारण हिमालय भी कितनी बार दयालु हो कर उनके लिए रास्ते बना देता था |

विशाल का कांफिडेंस बढ़ता जा रहा था | इस बार अपने घरेलू कार्यक्रमों में व्यस्त होने के कारण मई के पर्वतारोहण  शिविर में अपने दोस्तों के साथ नहीं  जा सका था | दिसंबर  में एक दूसरा दल जाने वाला था | विशाल ने उनके साथ जाने की हामी भर दी | हालांकि दोस्तों ने समझाया था कि वो ज्यादा प्रशिक्षित दल है | वो जा सकता है | पर तुम्हारा अभी सर्दी के दिनों में पहाड़ों पर चढ़ने का प्रशिक्षण इतना नहीं हुआ है | पहाड़ों पर दिसंबर में बर्फ गिरने लगती है | मौसम खराब होने के कारण चढ़ना मुश्किल होता है | पर विशाल ने उनकी एक न सुनी | उसने कह मैंने उतना नहीं सीखा है तो क्या मैं कोशिश तो कर सकता हूँ | हम सब साथ में रहेंगे तो डर कैसा ?

नियत समय पर विशाल अपने दल के साथ पर्वत पर चढ़ाई करने चला गया |एक दिन जोर का बर्फीला तूफान आया | सारा दल तितिर- बितिर हो गया | शाम घनी हो चली थी | अँधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था | विशाल पागलों की तरह अपने साथियों को ढूंढ रहा था | अचानक से एक तेज हवा का झोंका आया | विशाल अपना संतुलन नहीं बनाये रख सका |

वो अपने रस्सी के सहारे हवा में झूल गया | अब सुबह तक कुछ नहीं हो सकता था | मृत्यु निश्चित थी | विशाल जोर जोर से ईश्वर को रक्षा के लिए पुकारने लगा | तभी आसमान से आवाज़ आई | मैं तुम्हारी अवश्य रक्षा करूँगा | पहले तुम बताओ तुम मुझ पर कितना विश्वास करते हो |

विशाल लगभग रोते हुए बोला ,” हे ईश्वर मुझे बचा लो | मैं आप पर पूरा विश्वास करता हूँ |

आसमान से फिर आवाज़ आई ,” क्या तुम सच कह रहे हो ?”

हाँ मैं बिलकुल सच कह रहा हूँ ,कृपया मुझे बचा लो , विशाल ने लगभग गिडगिडाते हुए कहा |

आसमान से फिर आवाज़ आई ,” ठीक है तो तुम अपनी रस्सी काट दो |”

विशाल का हाथ अपनी रस्सी पर गया नीचे खाई की गहराई सोंच कर उसे अजीब सी सिहरन हुई |  उसने आसमान की और देखा फिर रस्सी को छुआ …

सुबह जब पर्वतारोही बचाव दल हेलीकाप्टर से कल के तूफ़ान में फँसे  हुए लोगों को निकालने आया तो उन्हें रस्सी से झूलता हुआ विशाल का शव मिला जो रात की सर्दी बर्दाश्त नहीं कर पाया था और बुरी तरह अकड  गया था |

दल ने देखा की विशाल जमीन से सिर्फ १० फुट ऊपर था | अगर वो रस्सी काट देता तो उसकी जान बच जाती |

दोस्तों , अगर विशाल ने आकाशवाणी की बात मान कर अपनी रस्सी काट दी होती तो उसकी जान बच सकती थी | बात सिर्फ ईश्वर पर विश्वास या अविश्वास की नहीं है | हमें जिस जिस चीज पर जैसा – जैसा विश्वास होता है वही परिणाम हमारे जीवन में आते हैं | जिनको विश्वास होता  है की वो जीवन में कुछ कर सकते हैं वो कर सकते हैं | जिनको विश्वास होता है नहीं कर सकते वो नहीं कर पाते हैं | कई लोगों ने विश्वास के दम पर असाध्य रोग भी ठीक किये हैं और अनेकों लोग अविश्वास के कारण छोटे छोटे रोगों में बहुत तकलीफ पाते है व् परेशान  रहते हैं | दरसल अटूट विश्वास ईश्वर पर हो , खुद पर , डॉक्टर पर या किसी अन्य पर | यह हमारी आत्म शक्ति को बढ़ा देता है | हमारी आत्म शक्ति कोई भी चमत्कार कर सकती है |
नीलम गुप्ता

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3 thoughts on “विश्वास”

  1. विश्वास आत्मशक्ति का का एक रूप है … दरअसल वाही शक्ति इंसान को प्रेरित करती अहि विश्वास करने को और वो आगे बढ़ता रहता है … आशावान बना रहता है …
    प्रेरक प्रसंद रखा है यहाँ …

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