स्त्री ही स्त्री की शक्ति – मैत्रेयी पुष्पा

सुविख्यात लेखिका
 अवसर था  हिंदी भवन में हिंदी मासिक पत्रिका अटूट बंधन के  सम्मान समारोह २०१५ के  आयोजन का  | कार्यक्रम की मुख्य अतिथि सुविख्यात लेखिका व् साहित्य एकादमी दिल्ली की उपाध्यक्ष श्रीमती मैत्रेयी पुष्पा जी थी व् मुख्य वक्ता अरविन्द सिंह जी( राज्यसभा टी. वी ) व् सदानंद पाण्डेय जी ( एसोसिएट एडिटर वीर अर्जुन ) थे | प्रस्तुत है एक रिपोर्ट 
मैत्रेयी जी की सौम्य छवि में हर स्त्री को अपनापन  महसूस होता है | ये उस अपनेपन का असर ही तो है की मैत्रेयी जी बड़ी ही बेबाकी से स्त्री मन की बात को अपनी कलम के माध्यम से व्यक्त करती रही हैं | और स्त्रियों के जीवन को आसान बनाने की लड़ाई लडती रही हैं |
 

एक स्त्री ही स्त्री की शक्ति

सबसे पहले  श्रीमती मैत्रेयी पुष्पा जी ने सरस्वती प्रतिमा के आगे दीप जला कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया |
उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि एक स्त्री ही स्त्री की शक्ति हैं | उन्होंने आगे
कहा कि ये पुरुष प्रधान समाज की सोंच है की
,” एक स्त्री दूसरी स्त्री को पसंद नहीं करती हैं, या नीचा
दिखाने का प्रयास करती है
, उनमें परस्पर वैमनस्य होता है | वास्तविकता इससे बिलकुल उलट है  |स्त्री की उपस्थिति  में दूसरी स्त्री अपने को सुरक्षित व् सहज महसूस करती है |उसे आत्म रक्षा के लिए बनावटी आवरण नहीं ओढने पड़ते | यही कारण है की एक स्त्री दूसरी स्त्री का दुःख बहुत अच्छी तरह से समझ सकती है व् बाँट सकती है

मैत्रेयी पुष्पा जी ने महिला सिपाहियों के सामने दिए गए अपने भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि जब वो विद्यार्थी थी व् बस से स्कूल जाया करती थी तो स्त्री होने के नाते उन्हें जो कष्ट , ताने , अपमान सहने पड़ते थे उसे वो मौन होकर झेलने को विवश थी | रास्ते में एक थाना पड़ता था | दिल करता था बस से कूद कर वहां उस दुर्व्यवहार की शिकायत करे परन्तु पुरुष पुलिस कर्मियों के दुर्व्यवहार के किस्से उन्हें भयभीत करते थे | अगर कोई महिला पुलिस कर्मी वहां होती तो वह जरूर बस से उतर कर थाने जाती और बस उससे लिपट कर रो लेती | न वो कुछ कहती न वो कुछ सुनती पर सारा दर्द बिना कहे सुने बयाँ हो जाता |
 
उन्होंने आगे कहा की उनके इन शब्दों को सुन कर महिला सिपाही द्रवित हो उठी और हर महिला ने आगे आकर अपना एक किस्सा सुनाया | जो पुरुष शोषण कि दास्ताँ थी | सारा हाल सिसकियों से भर उठा |थोड़ी देर पहले जो महिलाएं अपने  सिपाही बनने  के अपने फैसले पर बहुत खुश नहीं थी वो गर्व से भर उठी व् उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि एक स्त्री   दूसरी स्त्री की उपस्थिति  में सुरक्षित महसूस करती है |
श्रीमती पुष्प ने बताया कि बाद में उन्होंने  उनके हर किस्से को उन्होंने अपनी पुस्तक
“ फाइटर
कि डायरी” 
में उद्घृत किया है | जो उनकी अति लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है |  
 

संपादन के क्षेत्र में महिला रचनाकारों का आगे आना सुखद

 

अपनी बात पर जोर देते हुए श्रीमती पुष्पा ने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाओ का आगे आना जरूरी हैं क्योंकि ये दूसरी महिलाओ को सुरक्षा का अहसास दिलाता है | उन्होंने ख़ुशी जाहिर की संपादन के क्षेत्र में आज महिलाएं आगे आ रही हैं | पर अभी और महिलाओं को आगे आना चाहिए | ये अभी तक स्त्रियों के लिए वर्जित क्षेत्र
था
| इस क्षेत्र में महिलाओं का आगे आना पुरुष संपादकों द्वारा महिला रचनाकारों के शोषण को रोकेगा | जिससे उनकी लेखनी मुखर हो सकेगी |

उन्होंने आगे कहाँ की साहित्य जीवन की शिक्षा देता हैं | व्यक्ति डाक्टर हो सकता है , इंजिनीयर हो सकता है , पर जिसने साहित्य नहीं पढ़ा उसने जीवन को नहीं पढ़ा
|

 
 

प्रचार से नहीं विषय – वस्तु से चलती हैं पत्रिकाएँ


पत्र पत्रिकाओं के विषय में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक पत्रिका को रचनाकार मिल सकते हैं , बहुत प्रयास से उसका प्रचार प्रसार भी किया जा सकता है ,परन्तु अगर उसकी विषय वस्तु में दम नहीं होगा तो पाठक नहीं मिलेंगे | जिसक पत्रिका की विषय वस्तु में दम होगा उसे पाठक ढूंढ ढूंढ कर पढेंगे | रचना ठोस व् सत्य आधारित होनी चाहिए फिर चाहे उसमें आधुनिक जीवन शैली का वर्णन हो या लोकजीवन  का |
 

लोग हिंदी पढना चाहते हैं

उन्होंने इस दुष्प्रचार का विरोध किया कि लोग हिंदी पढना नहीं चाहते हैं | सच्चाई ये है कि लोग हिंदी साहित्य को पढना चाहते हैं, पर भ्रामक प्रचार से दूर हो रहे हैं | बार – बार ये बात फैलाई जा रही है की लोग हिंदी नहीं पढना चाहते | जो की सच नहीं है | उन्होंने डी यू के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा की की वहां एक बार
जाने पर उन्होंने छात्र – छात्राओं के मन में हिंदी के प्रति अथाह प्रेम देखा | परन्तु अफ़सोस इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है |
इसके लिए स्कूल  कॉलेजों में कविता कहानी की कार्यशाला यें लगाने पर बल दिया |
 
 

 


अपने भाषण के अंत में उन्होंने एक बार फिर कहा की हर क्षेत्र में  स्त्रियो का आगे आना सुखद है और वः अपनी कलम से उनके लिए हर संभव लड़ाई लडती रहेंगी | 
 
टीम ABC
 

 

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1 thought on “स्त्री ही स्त्री की शक्ति – मैत्रेयी पुष्पा”

  1. मैत्रैयी पुष्पा जी के बारे में बहुत सुना हैं। काश में भी कभी उन से मिल पाऊं…

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