‘तो क्या हो गया बेचारी विधवा है खुश हो जाएगी |’
ये शब्द जैसे ही सोनम
के कानो में पढ़े सहसा उसके कदम रूक गये दरअसल उसकी भाभी उसके भाई द्वारा उसे दिए
गये उपहार की उलाहना दे रही थी
| अभी कुछ तीन साल पहले ही सोनम का विवाह सार्थक से हुआ था | घर परिवार सब अच्छा था और ससुराल, ससुराल कम बल्कि मायका ज़्यादा लगता था वो अपने ससुराल में रानी की तरह
रहती थी |
के कानो में पढ़े सहसा उसके कदम रूक गये दरअसल उसकी भाभी उसके भाई द्वारा उसे दिए
गये उपहार की उलाहना दे रही थी
| अभी कुछ तीन साल पहले ही सोनम का विवाह सार्थक से हुआ था | घर परिवार सब अच्छा था और ससुराल, ससुराल कम बल्कि मायका ज़्यादा लगता था वो अपने ससुराल में रानी की तरह
रहती थी |
सार्थक उसे हमेशा
अपनी पैत्रक सम्पत्ति के बारे में बताता रहता था और कहता था हमे किसी पर भी ज़रुरत से
ज्यादा भरोसा नही करना चाहिए वो चाहता था की सोनम को भी उसकी सम्पत्ति की जानकारी
रहे | लेकिन ये बात जब भी वो शुरू करता सोनम कहती क्या जरूरत है मुझे ये सब
जानने की आप तो हमेशा मेरे साथ रहेंगे इस पर सार्थक कहता समय का कोई भरोसा नही है
चाहे पति हो या पत्नी उन्हें एक दुसरे के बारे में हर एक बात पता होनी चाहिए| जिससे की कभी एक को कुछ हो जाऐ तो दुसरे को दुःख के दिन न देखना पडे तुम
तो पढ़ी लिखी हो सब समझ भी सकती हो |
अपनी पैत्रक सम्पत्ति के बारे में बताता रहता था और कहता था हमे किसी पर भी ज़रुरत से
ज्यादा भरोसा नही करना चाहिए वो चाहता था की सोनम को भी उसकी सम्पत्ति की जानकारी
रहे | लेकिन ये बात जब भी वो शुरू करता सोनम कहती क्या जरूरत है मुझे ये सब
जानने की आप तो हमेशा मेरे साथ रहेंगे इस पर सार्थक कहता समय का कोई भरोसा नही है
चाहे पति हो या पत्नी उन्हें एक दुसरे के बारे में हर एक बात पता होनी चाहिए| जिससे की कभी एक को कुछ हो जाऐ तो दुसरे को दुःख के दिन न देखना पडे तुम
तो पढ़ी लिखी हो सब समझ भी सकती हो |
लेकिन सोनम उसकी
बातों पर ध्यान नही देती |
मगर हुआ वही जिसका
डर था सार्थक को एक गंभीर बिमारी हो गयी …..उसने बिमारी के दौरान ही सोनम को
सम्पत्ति के विषय में सब कुछ बता दिया था|
डर था सार्थक को एक गंभीर बिमारी हो गयी …..उसने बिमारी के दौरान ही सोनम को
सम्पत्ति के विषय में सब कुछ बता दिया था|
पति की मृत्यु के
बाद उसका बड़ा भाई उसे ये कहकर अपने घर ले आया था की तू मेरी बहन नही बल्कि बेटी है
लेकिन आज उसकी ये बेटी उसके लिए बेचारी विधवा बनकर रह गयी थी| उसका भाई ही उसकी सारी धन सम्पत्ति का लेखा जोखा रखता था और उससे अपने और
अपने परिवार के शौक भी पूरे कर लेता था |
बाद उसका बड़ा भाई उसे ये कहकर अपने घर ले आया था की तू मेरी बहन नही बल्कि बेटी है
लेकिन आज उसकी ये बेटी उसके लिए बेचारी विधवा बनकर रह गयी थी| उसका भाई ही उसकी सारी धन सम्पत्ति का लेखा जोखा रखता था और उससे अपने और
अपने परिवार के शौक भी पूरे कर लेता था |
जिस पर सोनम
ने कभी आपत्ति नही जताई |
लेकिन भाई की ऐसी बात सुनकर सोनम को बहुत ग्लानी हुई और उसके आत्म सम्मान
को गहरा आघात लगा उसे अपना आने वाला भविष्य अनिश्चित और दुखद लगने लगा क्योंकि वो
केवल एक विधवा ही नही थी बल्कि एक बच्ची की माँ भी थी उसे अफ़सोस हो रहा था की … उसे
आंखे बंद करके विश्वास नही करना चाहिए था |
को गहरा आघात लगा उसे अपना आने वाला भविष्य अनिश्चित और दुखद लगने लगा क्योंकि वो
केवल एक विधवा ही नही थी बल्कि एक बच्ची की माँ भी थी उसे अफ़सोस हो रहा था की … उसे
आंखे बंद करके विश्वास नही करना चाहिए था |
उस रात वो सो नही पायी सार्थक के शब्द
उसके कानो में गूंजते रहे | दूसरे दिन उसने अपनी सम्पत्ति की कमान खुद सम्भालने का निर्णय अपने
भाई को सुना दिया और सामान समेटकर अपने घर चली आई |
उसके कानो में गूंजते रहे | दूसरे दिन उसने अपनी सम्पत्ति की कमान खुद सम्भालने का निर्णय अपने
भाई को सुना दिया और सामान समेटकर अपने घर चली आई |
पंकज ‘प्रखर’
कोटा ,राज.
पंकज कुमार शर्मा “प्रखर”
(साहित्य भूषण सम्मानोपाधि से विभूषित)
लेखक ,लघुकथाकार एवं वरिष्ठ स्तंभकार
सम्पर्क:- 8824851984
E-mail: pankajprakhar984@gmail.com
*कोटा (राज.)*
यह भी पढ़ें ….
आपको आपको “आत्मसम्मान (लघुकथा)“ कैसी लगी | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें
keywords: short stories , very short stories, self respect,
बहुत खूब….
achchee kahani hai.