बातूनी लड़की

बातुनी लड़की


मुस्लिम हो गई———–
मुझ ब्राह्मण के गोद की वे बातूनी लड़की।
एक वालिद सा मेरा ख़याल रखती थी,
आज आई तो———-
पर दहलीज़ पे कुछ पल रुक,
फिर अपनी आँख में आँसू लिये लौट गई,
शायद वे समझ गई———
कि अब वे पहले की तरह गले से नही लग सकती,
क्योंकि मुस्लिम हो गई समय के साथ——–
मुझ ब्राह्मण वालिद की वे बातुनी लड़की।
सर से पाँव तलक——–
बुरके से ढकी मुझे न जाने क्यू ,
आज एक मज़हब की कैद मे लगी एै “रंग”—
इस वालिदे ब्राह्मण की वे बातुनी लड़की।

@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर(उत्तर-प्रदेश)।


लेखक




आपको आपको  कविता  “बातूनी लड़की  कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

Leave a Comment