26 जनवरी 2018 को हमारे देश का संविधान लागू हुए 68 साल हो जायेंगे|
अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी हासिल करने के बाद हमने देश को अपनी तरह से चलाने के लिए
अपने संविधान की रचना की थी| हमारा यह संविधान महज कागजी दस्तावेज नहीं है वरन
इसमें समाहित तमाम कायदे –क़ानून नियम –निर्देश पूरे देश के नागरिकों के हितों की
नुमाइंदगी करते हैं | इस संविधान में इस
बात की पूरी व्यवस्था की गयी है कि देश के हर नागरिक को उसके मौलिक अधिकार मिल
सकें, उसके अधिकारों की रक्षा हो सके और वो अपनी मर्जी के अनुसार स्वतंत्रता
पूर्वक जीवन जी सके| व्यक्ति और समाज के विकास के लिए प्रतिबद्ध इस संविधान की
निष्ठां और गरिमा को ध्यान में रखते हुए सरकार काम करे , ऐसी अपेक्षा हमारे
संविधान के निर्माताओं ने की थी|
अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी हासिल करने के बाद हमने देश को अपनी तरह से चलाने के लिए
अपने संविधान की रचना की थी| हमारा यह संविधान महज कागजी दस्तावेज नहीं है वरन
इसमें समाहित तमाम कायदे –क़ानून नियम –निर्देश पूरे देश के नागरिकों के हितों की
नुमाइंदगी करते हैं | इस संविधान में इस
बात की पूरी व्यवस्था की गयी है कि देश के हर नागरिक को उसके मौलिक अधिकार मिल
सकें, उसके अधिकारों की रक्षा हो सके और वो अपनी मर्जी के अनुसार स्वतंत्रता
पूर्वक जीवन जी सके| व्यक्ति और समाज के विकास के लिए प्रतिबद्ध इस संविधान की
निष्ठां और गरिमा को ध्यान में रखते हुए सरकार काम करे , ऐसी अपेक्षा हमारे
संविधान के निर्माताओं ने की थी|
क्यों बढ़ रहा है गण और तंत्र के बीच फासला
संविधान बनना एक बात है और उस पर अमल करना दूसरी बात | दुखद है कि संविधान की मूल भावना को 68 साल बाद भी अक्षरश :लागू नहीं किया जा सका | जो गणतंत्र बनना चाहिए था वो भीड़ तंत्र में तब्दील हो गया |
राजनैतिक दलों और नौकरशाहों की आपाधापी देश में व्याप्त भ्रस्टाचार के मूल में है |नौकरशाहों में आज न ईमानदारी है न नैतिकता और न ही सपने देखने की सृजनशील क्षमता और न ही सपनों को आकार देने का सुद्रण संकल्प
आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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