बता एै सिनेमा——————
आखिर तुम्हें हमारी इतिहास से,
इतनी अदावत क्यू है?
तेरे दामन मे———-
जोधा-अकबर और पद्ममावत क्यू है? ।
सवाल है मेरा तुझसे,
कि सिनेमा के वे सेंटीमेंटल सीन और अंतरंगता,
कोई मनोरंजन नही,
ये इतिहास की पद्ममिनी का,
सीने से खिचा आँचल है,
हद तो ये है कि,
इतने टुच्चे सिनेमाकारो के साथ आखिर—-
हमारे यहाँ की अदालत क्यू है? ।
ठीक है माना कि,
पद्ममावत जायसी की है,
लेकिन एक तरफ “लव माई बुरका” पे रोक,
लगाने वाली अदालत बता,
कि पद्ममावती हर सिनेमाघर मे लगे,
आखिर ये तेरी——–
दोमुँही इजाज़त क्यू है? ।
तेरे दामन मे———
जोधा-अकबर और पद्ममावत क्यू है? ।
@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर(उत्तर-प्रदेश)।
अभी-अभी पद्ममावत फिल्म पे आये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पे मेरी भावाभिव्यक्ति,सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का संम्मान करता हूं।मेरी इस रचना का ध्येय किसी जाति विशेष को आहत करना नही है,अगर एैसा भूलवस होता भी है तो आप हमे अपना छोटा अनुज समझ क्षमा करे।--रंगनाथ द्विवेदी।
फोटो क्रेडिट विकिमीडिया कॉमन्स
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