आज पद्मावत फिल्म के रिलीज होने की तिथि पास आती जा रही है| चारों तरफ पद्मावत और रानी पद्मावती की चर्चा हैं | ऐसे में मुझे रानी पद्मावती के नाम से जुदा अपने बचपन का एक वाकया याद आ रहा है|
बात उस समय की है जब मैं क्लास 5 th में थी | हमारे स्कूल में पांच
मिनट के एक्शन के साथ झांकी कॉम्पटीशन था | हमारी क्लास ने भगत सिंह द्वारा
असेम्बली में बम फेंकने का एक्ट लिया था | हमारी क्लास के ही दूसरे सेक्शन ने रानी
पद्मावती के जौहर व्रत की झाँकी का |
मिनट के एक्शन के साथ झांकी कॉम्पटीशन था | हमारी क्लास ने भगत सिंह द्वारा
असेम्बली में बम फेंकने का एक्ट लिया था | हमारी क्लास के ही दूसरे सेक्शन ने रानी
पद्मावती के जौहर व्रत की झाँकी का |
जिस दिन कॉम्पटीशन होना था | हम सब तैयार हो
कर पहुँच गए | क्योंकि हम लोगों को कोर्ट में बैठना था | हमारे कपडे नार्मल थे व्
पडोसी क्लास की लडकियाँ ढेर सारे गहने ,लहंगा –चुन्नी में लकदक करते इतरा रही थी |
कर पहुँच गए | क्योंकि हम लोगों को कोर्ट में बैठना था | हमारे कपडे नार्मल थे व्
पडोसी क्लास की लडकियाँ ढेर सारे गहने ,लहंगा –चुन्नी में लकदक करते इतरा रही थी |
बाल सुलभ हंसी मज़ाक चल रहा था | जहाँ हम लोग कह कह रहे थे … तुम्हारा एक्ट बढ़िया
है, कितना सज के आये हो तुम लोग, हमें तो कितने सिंपल कपड़े पहनने पड़ रहे हैं, और वो खिलखिलाते हुए बच्चे हम लोगों को जौहर के लिए बनाये गए कुंड में
कुदा रहे थे , साथ में कहते जा रहे थे, ” तुम भी कूद जाओ, तुम भी कूद जाओ| माहौल बहुत हंसी मज़ाक भरा
था |
है, कितना सज के आये हो तुम लोग, हमें तो कितने सिंपल कपड़े पहनने पड़ रहे हैं, और वो खिलखिलाते हुए बच्चे हम लोगों को जौहर के लिए बनाये गए कुंड में
कुदा रहे थे , साथ में कहते जा रहे थे, ” तुम भी कूद जाओ, तुम भी कूद जाओ| माहौल बहुत हंसी मज़ाक भरा
था |
अपने सेक्शन का एक्ट खत्म होने के बाद हम प्रिंसिपल व् टीचर्स की टीम
के साथ उस सेक्शन का एक्ट देखने पहुँच गए | क्योंकि उस एक्ट के चर्चे बहुत थे| एक्ट शुरू हुआ| रानी पद्मिनी ने स्त्री स्वाभिमान के लिए प्राणों का बलिदान करने की बात की, एक-एक कर के लडकियां उसमें कूदने लगीं | एक्ट खत्म हो गाया| तालियों की जगह एक सन्नाटा पसर गया, जैसे दिल में कुछ गड़ सा गया| हम सब रो रहे थे | एक्ट के बाद थोड़ी देर
पहले खिलखिलाती हुई अपनी ड्रेस पर इतराती रानियाँ बनी लड़कियाँ
बेतहाशा रो रही थी | पद्मिनी बनी लड़की तो कुछ पल के लिए बेहोश हो गयी | प्रिंसिपल , टीचर्स सब रो रहे थे | हमारी वाइस प्रिंसिपल जो विदेशी
मूल की थीं | उन्होंने आँखों में आँसू भर कर सैल्यूट किया |
के साथ उस सेक्शन का एक्ट देखने पहुँच गए | क्योंकि उस एक्ट के चर्चे बहुत थे| एक्ट शुरू हुआ| रानी पद्मिनी ने स्त्री स्वाभिमान के लिए प्राणों का बलिदान करने की बात की, एक-एक कर के लडकियां उसमें कूदने लगीं | एक्ट खत्म हो गाया| तालियों की जगह एक सन्नाटा पसर गया, जैसे दिल में कुछ गड़ सा गया| हम सब रो रहे थे | एक्ट के बाद थोड़ी देर
पहले खिलखिलाती हुई अपनी ड्रेस पर इतराती रानियाँ बनी लड़कियाँ
बेतहाशा रो रही थी | पद्मिनी बनी लड़की तो कुछ पल के लिए बेहोश हो गयी | प्रिंसिपल , टीचर्स सब रो रहे थे | हमारी वाइस प्रिंसिपल जो विदेशी
मूल की थीं | उन्होंने आँखों में आँसू भर कर सैल्यूट किया |
थोड़ी देर पहले हँसते खिलखिलाते बच्चे रो रहे थे | किसी को उस समय
भारतीय सवाभिमान , विदेशी आक्रांता व् स्त्री अस्मिता जैसे शब्द नहीं पता थे | हम
सब को मन में था तो एक सम्मान ऐसी स्त्रियों के लिए जिन्होंने अपने स्वाभिमान की
रक्षा के लिए अपने प्राण उत्सर्ग कर दिए| निश्चय ही रानी पद्मावती हमारे देश का गौरव हैं, और हर भारतीय को उन पर गर्व हैं|
भारतीय सवाभिमान , विदेशी आक्रांता व् स्त्री अस्मिता जैसे शब्द नहीं पता थे | हम
सब को मन में था तो एक सम्मान ऐसी स्त्रियों के लिए जिन्होंने अपने स्वाभिमान की
रक्षा के लिए अपने प्राण उत्सर्ग कर दिए| निश्चय ही रानी पद्मावती हमारे देश का गौरव हैं, और हर भारतीय को उन पर गर्व हैं|
वंदना दुबे
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इतना प्रैक्टिकल होना भी सही नहीं
13 फरवरी 2006
बीस पैसा
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फोटो क्रेडिट –wikimedia commons