सच – झूठ की परख

                                               

सच - झूठ की परख

आजकल जरा – जरा सी बात  पर लोगों में वाद विवाद हो जाता है | हर कोई अपने ही पक्ष को सत्य मानकर दलील पर दलील देता हैं ,किसी दूसरे को सुनने को तैयार नहीं होता |  ऐसी बहस का कोई भी अंत नहीं होता | क्योंकि कई बार कोई भी तर्क पूरा सच नहीं होता |

Motivational story in Hindi- sach- jhooth ki parakh

                           एक बार एक गाँव में 6 अंधे रहते थे | तभी उस गाँव में  एक सर्कस आया, जिसमें हाथी थे| उन व्यक्तियों ने हाथी  को कभी देखा नहीं था , बस सुना था , वो उसे छू कर उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहते थे | वो  महावत के पास पहुंचे व् अपनी इच्छा जाहिर की | महावत ने सबसे बूढ़े और सबसे शांत हाथी  से मिलने की इजाज़त दे दी |

वो सब ख़ुशी -ख़ुशी हाथी  से मिलने गए | और उसी छू  कर महसूस करने लगे | सब ने हाथी के अलग – अलग हिस्से को छुआ |

पहले व्यक्ति ने हाथी के पैर को छुआ , उसे लगा हाथी खंबे जैसा होता है |
दूसरे ने उसके पेट को छुआ , उसे लगा हाथी दीवार जैसा होता है |
तीसरे व्यक्ति ने हाथी के कान को छुआ , से लगा हाथी  बड़े पंखे जैसा होता है |
चौथे व्यक्ति ने हाथी के दांत को छुआ , उसे लगा हाथी एक बड़ी नली जैसा होता है |
पांचवें व्यक्ति ने हाथी की सूंढ़ को छुआ , उसे लगा हाथी अजगर जैसा होता है |
छठे व्यक्ति ने हाथी की पूँछ को छुआ , उसे लगा हाथी रस्सी जैसा होता है |

 जब वो वापस लौट कर आये तो हाथी  के बारे में वो बताने लगे जो उन्होंने अनुभव किया है | पर सबके अनुभव अलग थे | थोड़ी ही देर में वो सब लड़ने लगे | सब को अपना अनुभव सही लग रहा था | कोई किसी की बात मानने को तैयार नहीं था |

तभी गाँव का एक व्यक्ति वहां से गुज़रा उनको लड़ते देख कर कारण पूंछा ?
पूरी बात जानने के बाद वो बोला , ” आप सब सही कह रहे हैं , आप सब ने सही अनुभव किया , पर आपका अनुभव हाथी  का एक हिस्सा है , पूउरा हाथी आप सब के अनुभवों को मिला कर बनता है |

                         मित्रों , धर्म हो या कर्म हो या कोई अन्य विवाद ,हम सब अक्सर अपन तर्क को सही मान कर लड़ते हैं | पर पूरा सच या पूरा झूठ कुछ नहीं होता | बस वो सच का एक हिस्सा होता है |

टीम ABC

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