फागुन है


फागुन है


फागुन का मौसम यानि होली का मौसम , रंगों का मौसम जो न केवल मन को आल्हादित
करता है बल्कि 
एक अनोखी उर्जा से भर देता
है | ऐसे में
  कविता “ फागुन है “ अपनी
रंगों से भरी पिचकारी के रंगों से पाठकों को भिगोने को तैयार है…

कविता -फागुन है  


मदभरी गुनगुनी धूप मे फागुन है,
आम की अमराई,कोयल की कूक मे फागुन है।

ढ़लती उम्र में कोई पढ़ रहा दोहे,
कोई कह रहा गोरी!तुम्हारे रुप मे फागुन है।


प्रीत के,प्यार के हर कही बरस रहे रंग,
फिर भी किसी विरहन के हूक मे फागुन है।


कोई हथेली से मल रहा गुलाल,
तो कही किसी प्रेमी के चूक मे फागुन है।


ढ़ोल की थाप पर मेरा झुम रहा मन,
हाय!रंग–कितने शुरुर मे फागुन है।





रचयिता—-रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर–222002 (up)


कवि व् लेखक





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2 thoughts on “फागुन है”

  1. बहुत ख़ूब …
    कहाँ कहाँ नहि है फागुन … चारों और बिखरा है इस रचना के माध्यम से …

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