विश्व गौरैया दिवस पर दो कविताएँ

विश्व गौरैया दिवस पर दो कविताएँ
20 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय गौरैया दिवस मनाया जाता है | इसका मुख्य उद्देश्य गौरैया और अन्य घरेलू चिड़ियों के  बारे में जागरूकता पैदा करना है , ताकि इनकी लुप्त होती प्रजाति को बचाया जा सके | ये एक पहल है भारत की nature foever society व् बहुत सारे अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण समूहों की | इसी चेतना अभियान को जगाते हुए गौरैया पर दो कवितायें 


विश्व गौरैया दिवस पर दो कविताएँ


गौरैया-१
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हों 
भले ही 
कितने ही 
नाम तुम्हारे 
गुबाच्ची, पिछुका
चिमनी, चकली
घराछतिया, चराई पाखी 
चेर, चिरी, झिरकी, चिरया,
पेसर डोमिस्टिकस आदि-आदि 
पर मुझे तो 
भाता है तुम्हारा 
छोटा सा 
प्यारा सा नाम 
गौरैया!
माना कि
शहरीकरण के नए दौर में
नहीं हैं घरों में बगीचे
नहीं है घरों में 
ऐसी कोई जगह 
जहाँ बना सको 
घोंसले तुम 
अपने मन से 
पर सुनो गौरैया!
ऐसा नहीं कि
कोई सोचता नहीं 
तुम्हारे लिए 
अख़बारों में 
लिखे जा रहे लेख 
आयोजित हो रही है 
सभाएँ-चर्चाएँ 
जिनके केंद्र में 
होती हो तुम 
किसी ने तो 
अपने पूरे घर को 
बना दिया तुम्हारा घर 
तो कोई प्लाईवुड के 
घर बना कर 
बाँटने में लगा है 
कई कारागारों में 
क़ैदियों ने बनाए है 
तुम्हारे लिए 
छोटे-छोटे प्यारे घर 
जिन्हें वहाँ से 
ख़रीद कर लोगों ने 
लगाए हैं तुम्हारे लिए घर 
तुम वहाँ रहने 
ज़रूर जाना 
जहाँ भी रखा है 
किसी ने तुम्हारे लिए पानी 
वहाँ पानी पीने 
ज़रूर जाना 
जब गर्मी लगे तो 
नहाना भी 
खाने के लिए बिखेरे दाने 
खाना भी 
मेरे मोहल्ले के 
छोटे-छोटे बच्चे
राह देखते हैं नित 
उनके लिए 
हम सबके लिए 
हमारे अँगना में 
फिर से आना 
चहचहाना 
आओगी न 
गौरैया!



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गौरैया-२
———
गौरैया
मेरे आँगन की 
मेरी बेटी सी हो कर 
उड़नछू हो गई
जैसे वो आती है 
ससुराल से 
घड़ी भर के लिए 
बस वैसे ही 
गौरैया भी
आती है भूले-भटके कभी 
पानी की दो बूँद पीने 
और जब से 
पड़ोसी के विद्वेष ने 
कटवाया अशोक का 
हर-भरा पेड़ 
जो हो गया ठूँठ सा 
रूठ गई तभी से गौरैया 
भूल गई रास्ता 
मेरे घर का 
रोज रखती हूँ 
मिट्टी के चौड़े बर्तन में 
पानी उसके लिए 
देखो कब आती 
पीने पानी 
मेरी रूठी 
गौरैया रानी!
मत कर मनमानी 
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डा० भारती वर्मा बौड़ाई

लेखिका
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