बोर्ड परीक्षा

बोर्ड परीक्षा

धड़कते
दिल से जया ने
10वीं का परिणाम
इंटरनेट पर देखा। उसके पिच्यानवे प्रतिशत अंक आए थे। इतने प्रतिशत नंबर तो उसने
कभी भी प्राप्त नहीं किए थे। उसके पापा का हर दूसरे साल ट्रांसफर हो जाता था
,
इसलिए उससे पहले ही किसी न किसी छात्र या छात्रा के प्रति
अध्यापिकाओें के मन में साॅफ्ट काॅर्नर रहता था। यहाँ इस स्कूल में जया आठवीं
क्लास में आई थी। जया की क्लास में ही नेहा पढ़ती थी और नेहा की मम्मी ही
3 सालों से उनकी क्लास
टीचर
रही हैं।


लघुकथा -गिरगिट

स्कूल
के टैस्ट और परीक्षा में नेहा के ही सर्वाधिक अंक आते थे। हालाँकि जया जानती थी कि
अगर न्याय हो तो उसे ही अधिक अंक प्राप्त होंगे। जब उसे कम नंबर मिलते तो वह
चुपचाप रोती भी थी। पर उसे विश्वास था कि बोर्ड परीक्षा में दूध का दूध और पानी का
पानी हो जाएगा।



लघुकथा -सेंध

अगले
दिन अखबार में उसके फोटो सहित इंटरव्यू छपा था
, नेहा
के बहुत कम अंक आए थे। जया को माँ की बात समझ में आ गई थी
,
कि ईश्वर के घर देर भले ही है,
लेकिन अंधेर नहीं है। आखिर उसे कड़ी मेहनत का पुरस्कार मिल
गया था।
डाॅ॰
अलका अग्रवाल
भरतपुर
( राज)



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