डर का अस्तित्व

                             

डर का अस्तित्व

 हम सब लोग किसी न किसी चीज से डरते हैं | कई बार हम उस विषय में जानते ही नहीं पर फिर भी अनेकों डर अपने मन में पाले रहते हैं | यह डर हमारे अवचेतन मन में गहरे अपनी जडें जमा लेता है | जिससे निकल पाना सहज नहीं है | इससे निकलने के लिए बहुत इच्छाशक्ति की जरूरत होती है | आज इसी डर पर एक प्रेरक कथा प्रस्तुत की जा रही है |

Dar ka astitv – motivational story in Hindi

एक बार की बात है की एक बड़े पिंजरे में पाँच  बन्दर थे | उसी पिंजरे में एक सीढ़ी के ऊपर केले का गुच्छा लटका दिया गया | जैसे ही बंदरों ने केले का गुच्छा देखा वो सीढ़ी पर चढ़ने लगे | तभी उन् पर  पाइप से तेज धार से से ठंडा पानी डाला गया | सर्दी के दिन थे ठंडा पानी पड़ने से बन्दर डर गए व् सीढ़ी से नीचे उतर आये |

थोड़ी देर बाद एक  बन्दर ने उस सीढ़ी पर फिर चढ़ने की कोशिश की | फिर उस पर ठंडा पानी डाला गया | बन्दर डर गया और उतर आया | अब उन पांच बंदरों में से जो भी सीढ़ी की तरफ बढ़ता उस पर पानी डाला जाता जिससे वो सीढ़ी पर न चढ़ कर वापस लौट आता | थोड़ी देर में सारे बन्दर समझ गए कि सीढ़ी पर चढ़ने पर उन पर ठंडा पानी पड़ता है , इसलिए उन्होंने सीढ़ी पर चढ़ने का प्रयास ही छोड़ दिया | जबकि केले अभी भी वहीँ थे |

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अब उस बाड़े के चार बन्दर तो वही रहने दिए , पांचवाँ  बन्दर नए बंदर  से बदल दिया | नए बंदर को बिलकुल भी पता नहीं था कि सीढ़ी पर चढ़ने से ठंडा पानी पड़ता है | वो सीढ़ी की तरफ जाने लगा तो बाकी  चारों बंदरों ने उसे पकड कर वापस बिठा दिया | दो तीन बार प्रयास के बाद वो समझ गया कि सीढ़ी पर चढ़ना सेफ नहीं है | उसने सीढ़ी पर चढ़ने का इरादा छोड़ दिया |

अब एक और बन्दर को नए बन्दर से बदल दिया गया | अब बाड़े में तीन पुराने बन्दर व् दो नए बन्दर थे | जब सबसे नए बंदर ने सीढ़ी पर चढ़ना शुरू किया तो बाकी बंदरों ने उसे पहले की तरह नीचे की तरफ खींच लिया | आश्चय की बात ये  थी कि  इन बंदरों में वो पहली बार लाया गया बन्दर भी था जिस पर कभी ठंडा पानी नहीं पड़ा था |

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धीरे -धीरे सारे बन्दर  नए बंदरों से बदल दिए गए | अब किसी भी बन्दर पर पानी नहीं पड़ा था पर कोई भी ऊपर चढ़ कर केले लेने की कोशिश नहीं कर रहा था | भले ही उन्हें पता नहीं था कि ऐसा क्यों कर रहे हैं पर उन्हें ये  पता था कि ऐसा ही होता है |

                              मित्रों हमारे तमाम अन्धविश्वास इसी डर पर आधारित हैं | जिसमें हमें कारण पता नहीं होता फिर भी हम डर कर कोई नया काम नहीं करते क्योंकि हमें लगता है कि   आज से पहले  अगर किसी ने नहीं किया है तो कोई तो कारण होगा पर न तो हम उस कारण का पता लगते हैं और न ही उस डर को हटा कर आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं | आप भी देखें आप ने अपनी जिंदगी में क्या -क्या डर पाल रखे हैं और उन्हें दूर करने का प्रयास करें |

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4 thoughts on “डर का अस्तित्व”

  1. रोचक कहानी …
    इस कहानी के माध्यम से अन्ध्विश्ह्वास कैसे पनपता है और कैसे उसका समर्थन होता है … इस बात को बहुत सुन्दर तरीके से रखा गया है …

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  2. बिलकुल सही, डर हमारे मन में नहीं दिमाग मर होता है. जैसे इन बंदरों का.

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