उसे देखा . बहुत
बदली सी लगी
.पूछा क्या बात है भई .कुछ ज्यादा
ही भरी हुई सी लग रही हो.उसकेबोलने
से पहले ही कई ओर से जवाब आया
..अरे भई खाते पीते घर की हैं…अब कुछ
तो अंग लगना ही चाहिए न.
और वो बढ़ते
शरीर पे साड़ी कसते हुए बस मुस्करा दी पर आँखे उसका साथ न दे सकी.
जी हाँ मोटापा ..एक ऐसा
बोझ जो दबे पाँव आता है और न जाने कब ग्रहण
की तरह शरीर के लग जाता है पता ही नहीं चल पाता और जब पता
चलता है तब तक तो ये लगता है खोने अपना आपा और फिर सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता चला जाता है.
बदली सी लगी
.पूछा क्या बात है भई .कुछ ज्यादा
ही भरी हुई सी लग रही हो.उसकेबोलने
से पहले ही कई ओर से जवाब आया
..अरे भई खाते पीते घर की हैं…अब कुछ
तो अंग लगना ही चाहिए न.
और वो बढ़ते
शरीर पे साड़ी कसते हुए बस मुस्करा दी पर आँखे उसका साथ न दे सकी.
जी हाँ मोटापा ..एक ऐसा
बोझ जो दबे पाँव आता है और न जाने कब ग्रहण
की तरह शरीर के लग जाता है पता ही नहीं चल पाता और जब पता
चलता है तब तक तो ये लगता है खोने अपना आपा और फिर सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता चला जाता है.
आज भारत में
हर तीसरा व्यक्ति या तो अधिक भारी है या फिर मोटापे से ग्रसित है और इस प्रकार भारत में 3 करोड़ लोग
मोटापे का शिकार हैं और अगले 20 वर्षो में
इसकी संख्या दुगुनी होने की संभावना है
. ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिजीज ( GBD) की रिपोर्ट
के अनुसार वज़न जनित बीमारियों का भार भुखमरी से अधिक हो गया है
. आज कुपोषण 8 वें स्थान
पे है और मोटापा 6 ठे पे ,जो अपनेआप
में बेहद चौंका देने वाले तथ्य हैं
पढ़िए -टेंशन को न दें अटेंशन
हर तीसरा व्यक्ति या तो अधिक भारी है या फिर मोटापे से ग्रसित है और इस प्रकार भारत में 3 करोड़ लोग
मोटापे का शिकार हैं और अगले 20 वर्षो में
इसकी संख्या दुगुनी होने की संभावना है
. ग्लोबल बर्डन ऑफ़ डिजीज ( GBD) की रिपोर्ट
के अनुसार वज़न जनित बीमारियों का भार भुखमरी से अधिक हो गया है
. आज कुपोषण 8 वें स्थान
पे है और मोटापा 6 ठे पे ,जो अपनेआप
में बेहद चौंका देने वाले तथ्य हैं
पढ़िए -टेंशन को न दें अटेंशन
ये तो हुई
आंकड़ों की बात पर सबसे
महत्व पूर्ण तथ्य है ये जानना की आखिर ये मोटापा है क्या
?? कब,
कैसे और क्यों ये बढ़ने लगता है अपने आकार में ??आखिर कैसे जाने
की शरीर मोटापे की ओर अग्रसर है
. तो आइये समझे मोटापे का गणित जो बेहद सरल है
—–
आंकड़ों की बात पर सबसे
महत्व पूर्ण तथ्य है ये जानना की आखिर ये मोटापा है क्या
?? कब,
कैसे और क्यों ये बढ़ने लगता है अपने आकार में ??आखिर कैसे जाने
की शरीर मोटापे की ओर अग्रसर है
. तो आइये समझे मोटापे का गणित जो बेहद सरल है
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मोटापा — कैसे खोने लगा है आपा ( भाग -1)
मोटापा एक शारीरिक
माप है जिसमे वज़न को लम्बाई के अनुपात में मापा जाता है और इस माप को बॉडी मास इंडेक्स
(BMI )कहते हैं . इसे मापने
का बेहद सरल फार्मूला है जिसके अनुसार
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माप है जिसमे वज़न को लम्बाई के अनुपात में मापा जाता है और इस माप को बॉडी मास इंडेक्स
(BMI )कहते हैं . इसे मापने
का बेहद सरल फार्मूला है जिसके अनुसार
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शरीर का वजन ( किलोग्राम
में
)
में
)
BMI === ———————————–
( शरीर
की लम्बाई मीटर में
) 2
की लम्बाई मीटर में
) 2
इस सूत्र में
वजन व लम्बाई का मान रखकर कोई भी व्यक्ति अपना BMI जाँच सकता
है और नीचे दिए गए चार्ट के आधार पे ये यह परख सकता है कि कहीं वो अधिक भार
या मोटापे की और अग्रसर तो नही हो रहा है और साथ ही वो अपनी श्रेणी का निर्धारण कर सकता है. BMI का मोटापा
सम्बन्धी चार्ट निम्नानुरूप सारणीकृत है
वजन व लम्बाई का मान रखकर कोई भी व्यक्ति अपना BMI जाँच सकता
है और नीचे दिए गए चार्ट के आधार पे ये यह परख सकता है कि कहीं वो अधिक भार
या मोटापे की और अग्रसर तो नही हो रहा है और साथ ही वो अपनी श्रेणी का निर्धारण कर सकता है. BMI का मोटापा
सम्बन्धी चार्ट निम्नानुरूप सारणीकृत है
क्रम संख्या BMI श्रेणी
1. 18—-25 स्वस्थ
2. 25—-30 अधिक भारी
3. 30—-35 मोटापा I श्रेणी ( खतरा
आरम्भ
)
आरम्भ
)
4. 35—-40 मोटापा II श्रेणी (खतरे
की ओर अग्रसर
)
की ओर अग्रसर
)
5. 40 से अधिक मोटापा III श्रेणी ( खतरे
के निशान से ऊपर
)
के निशान से ऊपर
)
BMI मोटापे
से सम्बंधित सूचना देने का सर्वाधिक उपयुक्त इंडेक्स है और इसे किसी भी सामान्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है इस माप की एक मात्र
कमी ये है कि यह शरीर कि मांस पेशियों के भार एवं वसा जनित भार में अंतर नही कर पाता है
. अतः BMI एक सूचना मपक
है जो व्यक्ति को आने वाले खतरों से आगाह कर देता है.
से सम्बंधित सूचना देने का सर्वाधिक उपयुक्त इंडेक्स है और इसे किसी भी सामान्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लिया जा सकता है इस माप की एक मात्र
कमी ये है कि यह शरीर कि मांस पेशियों के भार एवं वसा जनित भार में अंतर नही कर पाता है
. अतः BMI एक सूचना मपक
है जो व्यक्ति को आने वाले खतरों से आगाह कर देता है.
मोटापा दो प्रकार का होता है
—-
—-
1..कमर व पेट
पर जमी वसा से उपजा मोटापा
( सेब आकृति का शरीर
)
पर जमी वसा से उपजा मोटापा
( सेब आकृति का शरीर
)
2..कूल्हों, जांघो व हाथों
पे जमी वसा से उपजा मोटापा
( नाशपाती आकर का शरीर
)
पे जमी वसा से उपजा मोटापा
( नाशपाती आकर का शरीर
)
इन दोनों प्रकार के मोटापे में कमर व पेट पर वसा के जमाव
से उत्पन्न मोटापा अधिक खतरनाक व हानिकारक है|
से उत्पन्न मोटापा अधिक खतरनाक व हानिकारक है|
कब, कैसे और क्यों
ये बढ़ने लगता है अपने आकार में शरीर
??
ये बढ़ने लगता है अपने आकार में शरीर
??
अब सवाल
आता है कि मोटापा किस कारण से उत्पन्न होता है और फिर लगातार बढ़ता चला जाता है
. मोटापे का मूल स्त्रोत है अधिक भोजन
और कम शारीरिक श्रम जो वर्तमान जीवन पद्धति का एक अहम
हिस्सा हो गया है.
इससे शरीर में बची हुई अतिरिक्त ऊर्जा धीरे धीरे वसा कोशिकाओ में जमा हो जाती है और मोटापे का रूप ले लेती है
आता है कि मोटापा किस कारण से उत्पन्न होता है और फिर लगातार बढ़ता चला जाता है
. मोटापे का मूल स्त्रोत है अधिक भोजन
और कम शारीरिक श्रम जो वर्तमान जीवन पद्धति का एक अहम
हिस्सा हो गया है.
इससे शरीर में बची हुई अतिरिक्त ऊर्जा धीरे धीरे वसा कोशिकाओ में जमा हो जाती है और मोटापे का रूप ले लेती है
आरम्भ में यह प्रक्रिया धीमी गति से होती है जिस पर समय रहते ध्यान न दिए जाने पर यह विकराल रूप धारण कर लेती है अर्थात शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता,
खपत एवं संग्रहण में असंतुलन से उत्पन्न होता है मोटापा और इसकी परवाह न करने पे ये विस्तार पाता चला जाता है
इन दो कारणों के अलावा मोटापा बढ़ने के अन्य कारण ये हो सकते हैं
—–
—–
1.भोजन की मात्र
के साथ भोजन की क्वालिटी अर्थात
भोजन में संगृहीत ऊर्जा व भोजन में शामिल अवयव
के साथ भोजन की क्वालिटी अर्थात
भोजन में संगृहीत ऊर्जा व भोजन में शामिल अवयव
2.भोजन करने
का समय
का समय
3.नींद की अवधि
व गुणवत्ता
व गुणवत्ता
4.शरीरिक श्रम
व व्यायाम का कु प्रबंधन
व व्यायाम का कु प्रबंधन
5.बढ़ता तनाव
मोटापा इन सारे
कारणों का मिला जुला परिणाम है जो शरीर
की ऊर्जा नियंत्रण प्रणाली को प्रभावित करते हैं जससे ये प्रणाली अनियंत्रित व अनियमित हो जाती है व मोटापा बढ़ने लगता है हमारा शरीर एक कारखाने की तरह से है जिसमे अनेको कार्य प्रणालियां क्रियाशील रहती हैं
. इनमे से ऊर्जा नियंत्रण प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसका स्वप्रबंधन बेहद शानदार होता है जिसमें वाञ्छित कार्यों के लिए ऊर्जा की खपत के साथ साथ बुरे दिनों
( जब किसी भी कारण से भोजन प्राप्त न हो
) के लिए ये कुछ ऊर्जा को बचा के रख लेता है ताकि शरीर में ऊर्जा की आपूर्ति सुचारू बनी रहे और शरीर कार्य करते रहें
कारणों का मिला जुला परिणाम है जो शरीर
की ऊर्जा नियंत्रण प्रणाली को प्रभावित करते हैं जससे ये प्रणाली अनियंत्रित व अनियमित हो जाती है व मोटापा बढ़ने लगता है हमारा शरीर एक कारखाने की तरह से है जिसमे अनेको कार्य प्रणालियां क्रियाशील रहती हैं
. इनमे से ऊर्जा नियंत्रण प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसका स्वप्रबंधन बेहद शानदार होता है जिसमें वाञ्छित कार्यों के लिए ऊर्जा की खपत के साथ साथ बुरे दिनों
( जब किसी भी कारण से भोजन प्राप्त न हो
) के लिए ये कुछ ऊर्जा को बचा के रख लेता है ताकि शरीर में ऊर्जा की आपूर्ति सुचारू बनी रहे और शरीर कार्य करते रहें
शरीर की ऊर्जा
नियंत्रण प्रणाली एक मेटाबोलिक प्रक्रिया है जो पूरे शरीर में आवश्यकता व कार्य के अनुरूप ऊर्जा का बंटवारा करती है जिसमें शरीर के अनेक एन्जाइम्स
, प्रोटीन्स के साथ अनेक हार्मोन भी भाग लेते हैं
. यह एक जटिल प्रक्रिया है जो शरीर में बिना रुके लगातार चलती है जिससे शरीर में ऊर्जा की निरंतरता को बनाये रखा जाता है
नियंत्रण प्रणाली एक मेटाबोलिक प्रक्रिया है जो पूरे शरीर में आवश्यकता व कार्य के अनुरूप ऊर्जा का बंटवारा करती है जिसमें शरीर के अनेक एन्जाइम्स
, प्रोटीन्स के साथ अनेक हार्मोन भी भाग लेते हैं
. यह एक जटिल प्रक्रिया है जो शरीर में बिना रुके लगातार चलती है जिससे शरीर में ऊर्जा की निरंतरता को बनाये रखा जाता है
किन्तु आवश्यकता
से अधिक ऊर्जा की प्राप्ति (भोजन के रूप
में ) होने पर इस कार्य
प्रणाली के एन्जाइम्स व हार्मोन्स पर अतिरिक्त कार्य भार बढ़ जाता है और ऐसे में ये अपना कार्य संतुलन खो देते हैं व प्रणाली फेल हो जाती है फलतः
प्राप्त अत्यधिक भोजन रूपी ऊर्जा खपत के बिना संग्रहित होने लगती है और मोटापे की परतों के रूप में शरीर के विभिन्न भागों पर दिखाई देने लगती है मेटाबॉलिज़्म शरीर की वह व्यवस्था
है जो ऊर्जा के संश्लेषण व विखंडन दोनों को संतुलित रखती है
. इसके बिगड़ने से ऊर्जा का संतुलन बिगड़ता है और इससे शरीर के विभिन्न अंगो की कार्य प्रणाली पर सीधा प्रभाव पड़ता है और शरीर अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है.
से अधिक ऊर्जा की प्राप्ति (भोजन के रूप
में ) होने पर इस कार्य
प्रणाली के एन्जाइम्स व हार्मोन्स पर अतिरिक्त कार्य भार बढ़ जाता है और ऐसे में ये अपना कार्य संतुलन खो देते हैं व प्रणाली फेल हो जाती है फलतः
प्राप्त अत्यधिक भोजन रूपी ऊर्जा खपत के बिना संग्रहित होने लगती है और मोटापे की परतों के रूप में शरीर के विभिन्न भागों पर दिखाई देने लगती है मेटाबॉलिज़्म शरीर की वह व्यवस्था
है जो ऊर्जा के संश्लेषण व विखंडन दोनों को संतुलित रखती है
. इसके बिगड़ने से ऊर्जा का संतुलन बिगड़ता है और इससे शरीर के विभिन्न अंगो की कार्य प्रणाली पर सीधा प्रभाव पड़ता है और शरीर अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है.
हमारे शरीर के निर्माण में तीन मूलभूत आधारी पदार्थ है
1.कार्बोहाइड्रेट्स अर्थात सभी प्रकार की शर्कराएँ
व मीठा जो शरीर को कार्य करने के लिए निरंतर ऊर्जा देती हैं
व मीठा जो शरीर को कार्य करने के लिए निरंतर ऊर्जा देती हैं
2.प्रोटीन अर्थात
दालें,
दूध व इससे बने पदार्थ मछली अंडा आदि जो शरीर की मांसपेशियों हड्डियों त्वचा व विभिन्न अंगों
का निर्माण करता है
दालें,
दूध व इससे बने पदार्थ मछली अंडा आदि जो शरीर की मांसपेशियों हड्डियों त्वचा व विभिन्न अंगों
का निर्माण करता है
3.वसा या लिपिड
अर्थात घी तेल आदि जो उच्च ऊर्जा वाले पदार्थ है जो शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा देने के साथ शरीर के विभिन्न अंगो का ढांचा बनाने में प्रोटीन का सहयोग करते हैं
अर्थात घी तेल आदि जो उच्च ऊर्जा वाले पदार्थ है जो शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा देने के साथ शरीर के विभिन्न अंगो का ढांचा बनाने में प्रोटीन का सहयोग करते हैं
4.इसके अलावा
विटामिन्स
,खनिज लवण,
व पानी शरीर की विभिन्न
कार्य प्रणालियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक है
विटामिन्स
,खनिज लवण,
व पानी शरीर की विभिन्न
कार्य प्रणालियों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक है
इसलिए इनमे
से किसी भी एक खाद्य पदार्थ की कमी या अधिकता शरीर
की ऊर्जा कार्य प्रणाली अर्थात मेटाबॉलिज्म पर सीधा प्रभाव डालती है
. अतः जब भोजन जीवन की आवश्यकता न होकर आनंद प्राप्ति के लिए किया जाने लगता है तब यह मोटापे को दिया जाने वाला सीधा सीधा आमंत्रण है जिसमें शर्करा व वसा
(मीठा व घी /तेल ) का मिश्रण
इस प्रकार के व्यवहार को प्रेरित करने वाला घातक मिश्रण है जो बिना भूख भी खाने केलिए मजबूर करने लगता है और मोटापा अपना असर दिखाने लगता है . यह बहुत
कुछ नशे की लत जैसा
ही है.
से किसी भी एक खाद्य पदार्थ की कमी या अधिकता शरीर
की ऊर्जा कार्य प्रणाली अर्थात मेटाबॉलिज्म पर सीधा प्रभाव डालती है
. अतः जब भोजन जीवन की आवश्यकता न होकर आनंद प्राप्ति के लिए किया जाने लगता है तब यह मोटापे को दिया जाने वाला सीधा सीधा आमंत्रण है जिसमें शर्करा व वसा
(मीठा व घी /तेल ) का मिश्रण
इस प्रकार के व्यवहार को प्रेरित करने वाला घातक मिश्रण है जो बिना भूख भी खाने केलिए मजबूर करने लगता है और मोटापा अपना असर दिखाने लगता है . यह बहुत
कुछ नशे की लत जैसा
ही है.
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मोटापा के बारे मे आपने बहुत अच्छी जानकारी share की है
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