कूजती है कोकिला अमराई में
गूंजती भ्रमरावली मधुराई में
चल रही सुरभित मृदुल शीतल पवन
कर रहे कलरव मधुर पक्षी मगन
इन्द्रधनुषी तितलियां इठला रहीं
झूमती लतिकाएं रस बरसा रहीं
पुष्प भारों से झुके पादप विपुल
खिल रहा सौन्दर्य धरती का अतुल
पीत सरसों खेत में लहरा रही
अवनि रंगों से सजी मुसका रही
बांसुरी चरवाहे की कुछ कह रही
प्रकृति की अद्भुत छटा मन हर रही
है इला की दीप्ति चित को खींचती
नयन पथ से चल ह्रदय को सींचती
उषा अवस्थी
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