एक कहानी है पर हम पढना दूसरे की चाहते हैं | लेकिन आज मैं अपनी ही जिंदगी की एक ऐसी
कहानी साझा कर रही हूँ जो बेहद दर्दनाक है पर उस घटना से मुझे जिंदगी भर की सीख मिली
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जब एक दुखद घटना से मिली जिंदगी की बड़ी सीख
रेलवे गेट पड़ता था| दरअसल रेलवे गेट के दूसरी तरफ तीन स्कूल थे | तीनों का टाइम
सुबह 8 बजे था| अक्सर 7:40 पर गेट बंद हो
जाता था | हम तीनों स्कूल के बच्चे कोशिश करते थे कि 7 : 40 से पहले ही रेलवे लाइन
क्रॉस कर लें , क्योंकि अगर एक बार गेट बंद हो गया तो वो ८ बजे ही खुलता | उस गेट
से स्कूल की दूरी करीब 5-7 मिनट थी पर
फिर भी हमें लेट मान लिया जाता | हमारे स्कूल की प्रिंसिपल बच्चों को गेट के अन्दर तो घुसने देतीं पर दो
पीरियड क्लास में पढने को नहीं मिलता | लेट होने पर हम बच्चे स्कूल के प्ले
ग्राउंड में किताब ले कर बैठ जाते व् खुद ही पढ़ते | कॉन्वेंट स्कूल होने के कारण
बच्चों पर कोई टीचर हाथ नहीं उठती थी |
रेलवे गेट और रूपा से दोस्ती
वहीँ दूसरे स्कूल में सख्ती कम थी वहाँ बच्चों को डांट खा कर अन्दर जाने मिलता था | हम लोगों को सख्त हिदायत थी कि रेलवे
लाइन क्रॉस न करों, इसलिए कभी लेट हो जाने पर हमें इंतजार करने और स्कूल में सजा
पाने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं था | बच्चे तो बच्चे ही होते हैं , २० मिनट शांति
से बैठना मुश्किल था | तीन स्कूल के कई बच्चे इकट्ठे हो जाते, कुछ पैदल जाने वाले
बच्चे भी रुक जाते | बच्चों की बातचीत व् खेल शुरू हो जाते | ऐसे में हमारी दोस्ती दूसरे रिक्शे में जाने वाली नेहा व् रूपा से हो गयी | कभी जब हम साथ –साथ लेट होते
तो आपस में बाते करते , कभी लंच का आदान –प्रदान भी हो जाता | रूपा से मेरी कुछ ज्यादा ही बनती थी| तब फोन घर-घर नहीं थे , हमारा स्कूल भी एक नहीं था , इसलिए जितनी दोस्ती थी उतनी ही देर की थी|
बहुत देर तक रेलवे गेट का बंद रहना
तभी नेहा ने रूपा से कहा ,” चलो , रेलवे लाइन क्रॉस करते हैं , वर्ना मैंम बहुत डांटेंगी | ट्रेन आने का समय हो चुका था | रूपा रेलवे लाइन क्रॉस नहीं करना चाहती थी | उसने कहा , छोड़ो , अब क्या फायदा ? नेहा जोर देते हुए बोली ,” अभी ट्रेन आ रही हैं फिर पाँच मिनट तक ट्रेन पास होगी , फिर जब गेट खुलेगा तो भीड़ बढ़ जाएगी हम पक्का लेट हो जायेंगे | रूपा ने स्वीकृति में सर हिलाया | नेहा आगे बढ़ गयी और लाइन तक पहुँच गयी | रूपा भी अधूरे मन से उसके पीछे -पीछे पहुँच गयी | ट्रेन आती हुई दिख रही थी | लोग बोले हटो बच्चों ,ट्रेन आ रही है, पर सवाल पाँच मिनट देरी का था | रूपा ने कहा रहने दो , नेहा बोली जल्दी से भाग कर पार कर लेंगें , मैं तो जा रही हूँ | नेहा पार हो गयी | हम लोगों को एक दर्दनाक चीख सुनाई दी | ट्रेन के गुज़रते ही नेहा रोती हुई दिखाई दी , रूपा का कहीं पता नहीं था | हम कुछ समझ पाते तब तक रिक्शे वाले ने रिक्शा आगे बढ़ा दिया |घबराए से हम स्कूल पहुंचे |
वो दर्दनाक खबर
स्कूल पहुँचते ही खबर आ गयी कि दूसरे स्कूल की एक बच्ची ट्रेन से कट गयी है | ट्रेन उसे २०० मीटर तक आगे घसीटते हुए ले गयी है | ओह रूपा … क्या अब वो हमें दुबारा नहीं दिखेगी | हम सब लेट हुए बच्चे जो स्कूल ग्राउंड में थे रूपा को याद कर रोने लगे | थोड़ी देर में कन्डोलेंस मीटिंग हुई , इस हृदयविदारक घटना के कारण रूपा को श्रद्धांजलि देते हुए स्कूल की छुट्टी कर दी गयी | अपनी स्पीच में प्रिंसिपल सिस्टर करेसिया ने कहा कि ये घटना बहुत दुखद है पर ट्रेन के इतना करीब आने पर रेलवे लाइन क्रॉस करना उस बच्ची की गलती थी | आप सब लोग थोडा पहले घर से निकलिए पर रेलवे लाइन तब तक क्रॉस ना करिए जब तक ट्रेन न निकल जाए |
मेरे अनुत्तरित प्रश्न
मेरे आँसू थम नहीं रहे थे | दुःख की इस घडी में बाल मन में एक अजीब सा प्रश्न उठ गया, नेहा जाना चाहती थी , रूपा नहीं जाना चाहती थी , वो तो गलत काम नहीं कर रही थी , फिर ईश्वर ने उसे अपने पास क्यों बुला लिया | अगर दोनों गलत थे तो भी दोनों को पास बुलाते सिर्फ रूपा का क्यों ? मैंने ये बात अपनी क्लास टीचर को बतायी | उन्होंने मुझे चुप कराते हुए कहा ,” बेटा ये ईश्वर की मर्जी होती है , कब किसको बुलाना है , किसको बचाना है वो जानता है | तो क्या ईश्वर अन्याय करता है ? मैंने पश्न किया , वो बोलीं , ” सब पहले से लिखा होता है | पर मेरा मन मान नहीं रहा था | ईश्वर परम पिता है फिर ईश्वर इतना अन्यायी क्यों है ? अगर गलती थी तो दोनों की थी , अगर ईश्वर ने एक की रक्षा की तो दूसरे की भी करनी चाहिए |
जब मुझे मिली एक सीख
वंदना बाजपेयी
इतना प्रैक्टिकल होना भी सही नहीं
रानी पद्मावती और बचपन की यादें
बहुत ही अच्छी सीख देती कहानी..
धन्यवाद पम्मी जी
बहुत बढ़िया सीख देता संस्मरण। सच मे कितना दर्दनाक होता हैं इतने भयानक दृश्य को अपने आँखों से देखना।
धन्यवाद ज्योति जी
बहुत सुंदर
धन्यवाद
बहुत गहरी शिक्षा दे जाती है आपकी कहानी … ख़ुद पे विश्वाश होना और उस पे क़ायम रहना ज़रूरी है …