आंटी -अंकल की पार्टी और महिला दिवस

आंटी -अंकल की पार्टी और महिला दिवस




कल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक लेख लिखने की सोंच रही थी, लेकिन
शाम को मुहल्ले की एक शादी में जाना था लिहाज़ा लेख को रात को लिखने की सोंच हम
शादी में पहुंचे | वहां पहुँचते ही आंटी अंकल ने अपने पास बुला लिया | हम वहाँ
उनके पास जा  कर बैठ गए |  थोड़ी बातों के बाद खाने –पीने का सिलसिला शुरू
हुआ | अंकल 80 +हैं और उनके कई परहेज चल रहे हैं | 



पापा की वो डांट या  जिन्दगी की परीक्षा में पास होने का मंत्र 




जैसे ही अंकल कुछ लेने आगे बढे
आंटी ने जोर से आवाज़ लगाईं रुकिए चाट खानी है आपको, चाट, एसिडिटी नहीं हो जायेगी |
अंकल रुक गए, फिर खुद ही उनका मन देख कर चाट बनवा लायीं और बोली ,” देखिये मैंने
खट्टा कम डलवाया है , ये खा लीजिये | “ थोड़ी देर बाद अरे ये पनीर मत लीजिये हैवी
करेगा | अरे वो मत लीजिये , हाँ ये ले लीजिये ये ठीक रहेगा , आंटी की फ़िक्र साफ़
दिखाई दे रही थी ,और अंकल किसी छोटे बच्चे की तरह ख़ुशी –ख़ुशी उनकी बात मान रहे थे
| आंटी हम लोगों से कहने लगीं ,समझते ही नहीं , बीमार पड़ जायेंगें , इतना
स्वादिष्ट खाने के लिए मचलते हैं , सुनते ही नहीं , देखना पड़ता है मुझे ही , पतिदेव
मुस्कुरा दिए | 





तभी अंकल कॉफ़ी ले कर आ गए | आंटी बोली ,” अब काफी क्यों ले आये आप
, फिर आइसक्रीम मत खाइएगा , गर्म के बाद ठंडा मत लीजियेगा गला ख़राब हो जाएगा | पर
अंकल कहाँ मानने वाले थे थोड़ी देर बाद कुल्फी की जिद करने लगे ,अरे एक ले लेता हूँ
कुछ नहीं होता | काफी मना  करने के बाद आंटी पसीजी , ठीक हैं , ले लीजिये घर चल के
चाय बना दूँगी | 



जिंदगी का चौराहा


पतिदेव मेरी तरफ मुखातिब हो कर बोले , “ देखो तुम भी ऐसे ही करना
बुढापे में , और मैं जो रात रात में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर लिखने की सोंच
रही थी वो घर आकर इस बात पर सर्च करने लगी की पुरुषों को बुढापे में कैसे डांटे
J 



कम या ज्यादा ये हाल लगभग हर बुजुर्ग दम्पत्ति का है |जो पुरुष जवानी में
पत्नी को बोलने का अधिकार भी नहीं देता वह बुढापे में उसकी डांट खाना चाहता है …
क्यों ? क्योंकि शरीर अस्वस्थ होने पर वो बच्चा बन जाता है , बिलकुल मासूम सा
बच्चा , जिसकी जिम्मेदारी उसकी माँ पर होती है .. और पत्नी  अपने पति की माँ बन कर अपने मातृत्व पर फिर से
इतरा उठती है |




कितना अत्याचार है ये पुरुषों का महिलाओं पर 🙂 या इसी का नाम है परिवार 




नीलम गुप्ता 


यह भी पढ़ें …
इतना प्रैक्टिकल होना भी सही नहीं

रानी पद्मावती और बचपन की यादें




आपको आपको  लेख   आंटी -अंकल की पार्टी और महिला दिवस   कैसा लगा  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको अटूट बंधन  की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम अटूट बंधनकी लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | 

Leave a Comment