किताबें

किताबें

मैंने हमेशा कल्पना की है कि स्वर्ग एक तरह का पुस्तकालय है -जोर्ज लुईस बोर्गेज 

किताबें मनुष्य की सबसे अच्छी दोस्त होती हैं | ये अपने अंदर  विश्व का सारा ज्ञान समेटे हुए होती हैं | केवल किताबों को पढ़कर एक कोने में रख देना ही काफी नहीं है उन्हें समझ कर उस ज्ञान को आत्मसात करना ही हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए | 

किताबें /Kitaabein poem in Hindi


मुझे 
मुफ़्त में 
न लेना कभी 
जब भी लो 
मूल्य देकर ख़रीदना 
मैं अलमारी में 
बंद होकर नहीं,
तुम्हारे 
हृदय में 
मीत बन कर 
रहना चाहती हूँ 
मन से मन तक की 
निर्बाध यात्रा 
करना चाहती हूँ 
सुगंध बन सर्वत्र 
बिखरना चाहती हूँ
—————————


किताबें


२—
मिल 
जाती हूँ
विमोचन कार्यक्रमों में 
मुफ़्त में 
तो सहेज कर 
रख लेते हो अपने 
सजे-धजे ड्रॉइंगरूम की 
बड़ी सी अलमारी में
आने-जाने वालों पर 
अपने पुस्तक प्रेमी होने का
प्रभाव डालने को, 
पर पढ़ते नहीं कभी तुम मुझे!
सुनो! 
एक सलाह देती हूँ 
जहाँ भी 
कोई भी तुम्हें 
दे कोई पुस्तक मुफ़्त में 
तो मना करना सीख लो 
लेनी ही तो 
उसका मूल्य देना सीख लो 
मूल्य दोगे तो 
कम से कम 
अपने दिए पैसों का 
मूल्य चुकाने को 
उसे पढ़ने की 
आदत डालना तो 
सीखोगे।
—————-
डा० भारती वर्मा बौड़ाई


लेखिका

यह भी पढ़ें … 

आपको  किताबें कैसी  लगी अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको अटूट बंधन  की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम अटूट बंधनकी लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |


FILED UNDER- BOOKS, HINDI POETRY, HINDI POEM

1 thought on “किताबें”

Leave a Comment