किसी भी काम को तुरंत सफलता नहीं मिलती , खासकर अगर वो कोई रचनात्मक काम है | लेखन ऐसा ही काम है पर उसमें निरंतर प्रयास जारी रखने से देर -सवेर सफलता मिलती ही है |
लघुकथा -लेखिका
“निशू, तुम सोशल साइट्स पर हर वक्त क्या करती
रहती हो?”
“तुम दफ्तर चले जाते
हो और बच्चे स्कूल। उसके बाद खाली समय में बोर होती रहती थी। मैंने सोचा क्यों ना
कुछ लिखूं, अपने रोजमर्रा के अनुभवों के बारे में, अपने मन के भावों के बारे में।
बस मेरा समय कट जाता है
इसीबहाने से।”
“समय काटने के और भी
तो तरीके हैं बच्चों को ट्यूशन देने लगजाओ और नहीं तो कम से कम कपड़े ही सिलने लग
जाओ। चार पैसे तुम्हारे ही काम आएंगे।” अभिषेक
ने ताना मारते हुए कहा।
बात
तो कुछ सही थी। बच्चों को टयूशन देने का तो समय नहीं था। आखिर उसे अपने बच्चों
को भी पढ़ाना ही होता था। घर में सिलाई मशीन भी थी। उसने कपड़े सिलना शुरू कर
दिया। लेकिन उसने अपने अनुभवों और भावनाओं को सोशल साइट्स पर लिखना नहीं छोड़ा।
उन्हें वह रचनाओं का रूप देती रही।
एक
दिन एकपाक्षिक पत्रिका की तरफ से निमंत्रण मिला।
“निशा जी, हम
आपको अपनी पत्रिका के
लिए अनुबंधित करना चाहते हैं। आपकीरचनाएं सचमुच महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी हैं।
हम चाहते हैं कि आप महिलाओं के लिए एक पाक्षिक कालम लिखें। बाद में हम इन रचनाओं
पुस्तक रूप में प्रकाशित करना चाहेंगे। अनुबंध कीशर्तें साथ हैं। कालम लिखने के लिए आपको मानदेय
मिलेगा और पुस्तकों की बिक्री पर नियमानुसार आपको रायल्टी दी जाएगी।“
अब अभिषेक खुद इस
बात को लोगों को बताते नहीं थकता था। निशा अब अपने शहर में सफल लेखिका का पर्याय बन
चुकी थी।
खनगवाल
कहानी बहुत प्रेरक है और सच्चाई के करीब भी है, मैंने भी जबसे ब्लॉग बना कर ऑनलाइन लेखन शुरू किया तबसे इससे मिलती जुलती प्रतिक्रिया मिली हैं।पर मन की खुशी के लिए भी कुछ जरूर करना चाहिए ।
प्रेरणादायक कहानी।