कविता के सौदर्य में उपमा से चार -चाँद लग जाते हैं | ऐसे में सावन की चंचलता , अल्हड़ता , शोख नजाकत भरी अदाएं देख कर क्यों न कवि उसे १८ साल की लड़की समझ बैठे | आइये पढ़ें एक रिमझिम फुहारों में भीगी सुन्दर कविता
सावन अट्ठारह साल की लड़की है
सावन———–
सीधे-साधे गाँव की,
एक अट्ठारह साल की लड़की है.
भाभी की चुहल और शरारत,
बाँहों मे भरके कसना-छोड़ना,
एक सिहरन से भर उठी——-
वे सुर्ख से गाल की लड़की है.
सावन——–
सीधे-साधे गाँव की,
एक अट्ठारह साल की लड़की है.
वे उसका धान की खेतों से तर-बतर,
बारिश मे भीगते हुये,
घर की तरफ लौटना,
और उस लौटने मे उसके,
पाँव की सकुचाहट,
उफ! गाँव मे सावन——–
बहुत ही मादक और कमाल की लड़की है.
सावन———
सीधे-साधे गाँव की,
एक अट्ठारह साल की लड़की है.
न शायर,न कवि, न नज़्म, न कविता
वे उर्दू और हिन्दी दोनो से कही ऊपर,
किसी देवता,फरिश्ते के हाथ से छुटी,
इस जमीं पे उनके——–
खयाल की लड़की है.
सावन———-
सीधे-साधे गाँव की,
एक अट्ठारह साल की लड़की है.
@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी.
जज कालोनी, मियाँपुर
जिला—जौनपुर–222002 (उत्तर-प्रदेश).
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