पेशंन का हक
उस दिन पेशन
दफ्तर मे एक बूढी मां को गोद मे उठाए पुत्र को देख मैं चौकं गयी। घोटालो को रोकने
हेतू सरकारी आदेशो की पालना के कारण सभी वृद्ध वृद्धा सुबह से ही जमा थे अपने
जीवित होने का प्रमाण देने।एक वृद्धा तो ठंड सहन
ना कर पाने के कारण हमेशा के लिये ठंडी हो गयी थी।
अब फिर सरकार ने
बैकं से पेशन देने का राग अलापा।अब पेशन बैंक से आयेगी इस बात से असहाय वृद्ध
ज्यादा दुखी थे जिनके हाथ मे नगद पैसे आते थे।
उस दिन बैंक मे
एक बूढी स्त्री ने आते ही पूछा.,.मेरी पेशन आ गई?हां””पर 500 रूपये खाते मे
छोडने होगे।खाता जो खुला है।
उस पर वो दुखी
होकर बोली “”””पर अब मुझे 1000 रूपये जरूर दे दो।क्योकि सावन मे
मेरी विवाहिता पुत्री मायके आने वाली है।मैं200 रूपये कटवा दूगी हर महीने।तभी मेरी
आंखो के सामने शहर के अमीर आडतिये की शक्ल घूम गयी,जो इतना धनी होते हुऐ भी पैशन हेतू
चक्कर काट रहा था। असहाय लोगो की मदद रूप मे इस सरकारी पेंशन का वास्तविक हकदार
कोन है? काश लोग पेशंन की परिभाषा समझ पाते।।
दफ्तर मे एक बूढी मां को गोद मे उठाए पुत्र को देख मैं चौकं गयी। घोटालो को रोकने
हेतू सरकारी आदेशो की पालना के कारण सभी वृद्ध वृद्धा सुबह से ही जमा थे अपने
जीवित होने का प्रमाण देने।एक वृद्धा तो ठंड सहन
ना कर पाने के कारण हमेशा के लिये ठंडी हो गयी थी।
अब फिर सरकार ने
बैकं से पेशन देने का राग अलापा।अब पेशन बैंक से आयेगी इस बात से असहाय वृद्ध
ज्यादा दुखी थे जिनके हाथ मे नगद पैसे आते थे।
उस दिन बैंक मे
एक बूढी स्त्री ने आते ही पूछा.,.मेरी पेशन आ गई?हां””पर 500 रूपये खाते मे
छोडने होगे।खाता जो खुला है।
उस पर वो दुखी
होकर बोली “”””पर अब मुझे 1000 रूपये जरूर दे दो।क्योकि सावन मे
मेरी विवाहिता पुत्री मायके आने वाली है।मैं200 रूपये कटवा दूगी हर महीने।तभी मेरी
आंखो के सामने शहर के अमीर आडतिये की शक्ल घूम गयी,जो इतना धनी होते हुऐ भी पैशन हेतू
चक्कर काट रहा था। असहाय लोगो की मदद रूप मे इस सरकारी पेंशन का वास्तविक हकदार
कोन है? काश लोग पेशंन की परिभाषा समझ पाते।।
लघुकथा
रीतू गुलाटी ऋतु
रीतू गुलाटी ऋतु
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सही कहा किसी भी योजना का हक उसके वास्तविक हकदार को ही मिलना चाहिए।