अभी कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में जाना हुआ | वहां एक महिला मेरे पास आयीं , कुछ देर मुझसे बात करने के बाद बोलीं , ” आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा | यूँ तो जिन्दगी में बहुत से लोग मिलते हैं पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बहुत खास होते हैं जिनसे मिलकर लगता है कि ये तो बहुत अपने हैं … आप उनमें से एक हैं | उनकी बात सुन कर मैं थोडा असहज हुई , पर जल्द ही मेरी असहजता मुस्कुराहट में बदल गयी , जब मैंने उन्हें यही बात कार्यक्रम में उपस्थित बहुत से लोगों से कहते सुना |आज रिश्ते निभाए नहीं बनाये जातें | राजनीति में ही नहीं आम लोगों के छोटे -मोटे कार्यक्रमों में नए -नए गठबंधन तैयार होते हैं | रिश्ते बनाये रखना बहुत जरूरी है क्या पता कब कौन काम आ जाए | इसलिए लोग रिश्तों को इतनी ही ऑक्सीजन देने में विश्वास करते हैं कि वो बने रहे निभे न …
व्हाट्स एप से रिश्ते
सुबह -सुबह
व्हाट्स एप पर भेजे गए गुड मोर्निंग सन्देश
जितने ही रह गए हैं आज रिश्ते
जहाँ एक खूबसूरत गुलदस्ते पर
नीति वाक्य लिख कर
दबा दिया जाता है सेंड टू ऑल का बटन
ताकि बस बने रहे रिश्ते
मिलती रहे बस बने रहने जितनी ऑक्सीजन
ताकि कभी काम पड़ने पर ना हों संकोच या बेगानापन
आत्मीयता के आधार पर नहीं काम आने के आधार पर बनती है
प्राथमिकताओं की सूची
राजनीती में ही नहीं
आम लोगों के छोटे -छोटे कार्यक्रमों में भी
उपयोगिता के आधार पर बनते हैं नए -नए गठबंधन
अब नहीं समझाती घर की औरतें अपने -अपने पतियों को
हमें तो जाना ही पड़ेगा उनके घर
रिश्ता जो है
बल्कि देती हैं हिदायत
सुनो , बेटे की शादी है
अब सब को कर लो ग्रुप में शामिल
अभी तक तो दिया ही है व्यवहार
अब है वसूलने का समय
रह ना जाये कोई बाकी
और अगले ही दिन शामिल हो जाते हैं कई और नाम सेंड टू ऑल की लिस्ट में
जो कट जायेंगे बेटे की शादी के बाद
आकाश से देखतीं हैं पड़ाइन चाची
यहीं हाँ यहीं
जहाँ आज है नक्काशी दार गेट
वहां पर बिछी रहती थी उनकी खटिया
वहीँ जाड़े के दिनों में काटती रहती थीं
बथुआ , पालक , मेथी और सरसों
कद्दूकस करती रहती
गाज़र और मूली के लच्छे
गली से निकलने वाली हर बहु बेटी को रोक कर
अक्सर बांटती रहती थीं अपने स्नेह की दौलत
लाठी टेकती चली जाती थी
हर किसी की जचगी , हारी -बिमारी , मृत्यु पर
साथ में खड़े होने के लिए
नहीं बनी कभी उनकी कमजोरी व् उम्र रोड़ा
अब वहीँ आसमान से पोछ कर आँसू
सोचती हैं काकी
अब कंप्यूटर का जमाना है
जहाँ रिश्ते सहेजने के लिए उनमें रमने की नहीं
रैम बढ़ने की जरूरत होती है
क्योंकि व्हाट्स एप के युग में
आज रिश्ते निभाने नहीं
बनाये रखने में रह गया है यकीन
सच लिखा है …
आज नेट पे ज्यादा रहते हैं सब असल के रिश्ते निभाना मुश्किल हो गया है सब को …
आभासी दुनिए में जीते है सब … अच्छी रचना है …
सटीक आकलन।