एक बूढ़े बाबा हाथ में झंडा लिए बढ़े ही जा रहे थे, कईयों ने टोका क्योंकि चीफ मिनिस्टर का मंच सजा था, ऐसे कोई ऐरा-गैरा कैसे उनके मंच पर जा सकता था|
बब्बू आगे बढ़ के बोला “बाबा ! आप मंच पर मत जाइए, यहाँ बैठिये आप के लिए यही कुर्सी डाल देते हैं |”
“बाबा सुनिए तो…” पर बाबा कहाँ रुकने वाले थे|
जैसे ही ‘आयोजक’ की नज़र पड़ी, लगा दिए बाबा को दो डंडे, “बूढ़े तुझे समझाया जा रहा है, पर तेरे समझ में नहीं आ रहा”
आँख में आँसू भर बाबा बोले, “हाँ बेटा, आजादी के लिए लड़ने से पहले समझना चाहिए था हमें कि हमारी ऐसी कद्र होगी | ‘बहू-बेटा चिल्लाते रहते हैं कि बुड्ढा कागजों में मर गया २५ साल से …पर हमारे लिए बोझ बना बैठा है’, तो आज निकल आया पोते के हाथ से यह झंडा लेकर…, कभी यही झंडा बड़े शान से ले चलता था, पर आज मायूस हूँ जिन्दा जो नहीं हूँ ….|” आँखों से झर-झर आँसू बहते देख आसपास के सारे लोगों की ऑंखें नम हो गईं|
“बाबा सुनिए तो…” पर बाबा कहाँ रुकने वाले थे|
जैसे ही ‘आयोजक’ की नज़र पड़ी, लगा दिए बाबा को दो डंडे, “बूढ़े तुझे समझाया जा रहा है, पर तेरे समझ में नहीं आ रहा”
आँख में आँसू भर बाबा बोले, “हाँ बेटा, आजादी के लिए लड़ने से पहले समझना चाहिए था हमें कि हमारी ऐसी कद्र होगी | ‘बहू-बेटा चिल्लाते रहते हैं कि बुड्ढा कागजों में मर गया २५ साल से …पर हमारे लिए बोझ बना बैठा है’, तो आज निकल आया पोते के हाथ से यह झंडा लेकर…, कभी यही झंडा बड़े शान से ले चलता था, पर आज मायूस हूँ जिन्दा जो नहीं हूँ ….|” आँखों से झर-झर आँसू बहते देख आसपास के सारे लोगों की ऑंखें नम हो गईं|
बब्बू ने सोचा जो आजादी के लिए लड़ा, कष्ट झेला वह …और जिसने कुछ नहीं किया देश के लिए वह मलाई ….,छी:!
“पेट की मज़बूरी है बाबा वरना …|” रुँधे गले से बोल बब्बू चुप हो गया |
————–००—————००————
“पेट की मज़बूरी है बाबा वरना …|” रुँधे गले से बोल बब्बू चुप हो गया |
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filed under – independence, freedom, leader, fight for nation
लेखिका का संक्षिप्त परिचय
सम्पूर्ण नाम – सविता मिश्रा ‘अक्षजा’
शिक्षा -ग्रेजुएट
व्यवसाय..गृहणी (स्वतन्त्र लेखन )
लेखन की विधाएँ – लेखन विधा …लेख, लघुकथा, व्यंग्य, संस्मरण, कहानी तथा
मुक्तक, हायकु -चोका और छंद मुक्त रचनाएँ |
प्रकाशित पुस्तकें – .पच्चीस के लगभग सांझा-संग्रहों में हायकु, लघुकथा और कविता तथा कहानी प्रकाशित |
प्रकाशन विवरण .. 170 के लगभग रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा बेब पत्रिकाओं में छपी हुई हैं रचनाएँ |दैनिक जागरण- भाष्कर इत्यादि कई अखबारों में भी रचनाएँ प्रकाशित |
पुरस्कार/सम्मान – “महक साहित्यिक सभा” पानीपत में २०१४ को चीफगेस्ट के रूप में भागीदारी |
“कलमकार मंच” की ओर से “कलमकार सांत्वना-पुरस्कार” जयपुर (३/२०१८)
“हिन्दुस्तानी भाषा साहित्य समीक्षा सम्मान” हिंदुस्तान भाषा अकादमी (१/२०१८)
‘शब्द निष्ठा लघुकथा सम्मान’ २०१७ अजमेर, ‘शब्द निष्ठा व्यंग्य सम्मान’ २०१८ अजमेर में |
जय-विजय वेबसाइट द्वारा लघुकथा विधा में ‘जय विजय रचनाकार सम्मान’ लखनऊ (२०१६)
बोल हरयाणा पर प्रस्तुत ‘परिवेश’ नामक कथा,
“आगमन समूह” की आगरा जनपद की उपाध्यक्ष,
गहमर गाजीपुर में ‘पंडित कपिल देव द्विवेदी स्मृति’ २०१८ में सम्मान से सम्मानित |
सम्पूर्ण नाम – सविता मिश्रा ‘अक्षजा’
शिक्षा -ग्रेजुएट
व्यवसाय..गृहणी (स्वतन्त्र लेखन )
लेखन की विधाएँ – लेखन विधा …लेख, लघुकथा, व्यंग्य, संस्मरण, कहानी तथा
मुक्तक, हायकु -चोका और छंद मुक्त रचनाएँ |
प्रकाशित पुस्तकें – .पच्चीस के लगभग सांझा-संग्रहों में हायकु, लघुकथा और कविता तथा कहानी प्रकाशित |
प्रकाशन विवरण .. 170 के लगभग रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा बेब पत्रिकाओं में छपी हुई हैं रचनाएँ |दैनिक जागरण- भाष्कर इत्यादि कई अखबारों में भी रचनाएँ प्रकाशित |
पुरस्कार/सम्मान – “महक साहित्यिक सभा” पानीपत में २०१४ को चीफगेस्ट के रूप में भागीदारी |
“कलमकार मंच” की ओर से “कलमकार सांत्वना-पुरस्कार” जयपुर (३/२०१८)
“हिन्दुस्तानी भाषा साहित्य समीक्षा सम्मान” हिंदुस्तान भाषा अकादमी (१/२०१८)
‘शब्द निष्ठा लघुकथा सम्मान’ २०१७ अजमेर, ‘शब्द निष्ठा व्यंग्य सम्मान’ २०१८ अजमेर में |
जय-विजय वेबसाइट द्वारा लघुकथा विधा में ‘जय विजय रचनाकार सम्मान’ लखनऊ (२०१६)
बोल हरयाणा पर प्रस्तुत ‘परिवेश’ नामक कथा,
“आगमन समूह” की आगरा जनपद की उपाध्यक्ष,
गहमर गाजीपुर में ‘पंडित कपिल देव द्विवेदी स्मृति’ २०१८ में सम्मान से सम्मानित |
बेहद हृदयस्पर्शी