भविष्य का पुरुष

एक शब्द है संस्कार … ये कहने को तो महज एक शब्द है पर इस पर किसी व्यक्ति का सारा जीवन टिका होता है | एक माँ के रूप में हर स्त्री के लिए जरूरी है कि अपने बेटों को संस्कारित करें , तभी भविष्य का पुरुष एक संतुलित व्यक्तित्व के रूप में उभरेगा |


भविष्य का पुरुष 



नलनी के हाथ तेजी से बर्तनों को रगड़   रहे थे | उसे सिंक भर बर्तन धोने में पन्द्रह मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगता | करीब दस  घरों में काम करती हैं | सुबह सात बजे की निकली रात सात बजे घर पहुँचती हैं | दम मारने की फुर्सत नहीं हैं , करे भी तो क्या , अकेली कमाने वाली है | तीनों बच्चे पढने वाले हैं और पति ….उसे तो वो खुद ही छोड़ आई हैं |




अक्सर अपना किस्सा सुनाती है , मेरा आदमी बहुत पीटता था भाभी , गांजे के नशे का आदी हो गया था ,अपनी कमाई और मेरी सभी उड़ा देता था | फिर भी इस आशा में पिटती रही किएक दिन सब ठीक हो जाएगा | बच्चे बड़े हो रहे थे और मेरी प्रतीक्षा धैर्य छोड़ रही थी | एक दिन फैसला कर लिया कि अब नहीं पिटना है |बस तीनों बच्चों को लेकर चली आई | अब तो अकेले ही काम करके बच्चों को पाल रही हूँ |




ऐसा कहते हुए उसकी आँखों में स्वाभिमान की चमक दिखाई देती | 




कितनी भी तेजी से उसके हाथ काम करें पर नलिनी हर घर की भाभियों , दीदीयों , आंटियों से बात करने का समय निकाल ही लेती है | बात भी कैसी ? … ज्यादातर उसे अपने घर के किस्से सुनाने होते | उसके घर के किस्सों में किसी की रूचि हो न हो पर उन्हें कह -कह कर कभी उसका दुःख निकल जाता तो कभी ख़ुशी दोगुनी हो जाती | 


अधिकतर घरेलु औरतें से उसका एक दोस्ती का रिश्ता हो जाता , ठाक वैसे ही जैसे ऑफिस में काम करते समय हम अपने साथ काम करने वालों से घुल -मिल जाते हैं चाहें वो बॉस ही क्यों ना हो | 




उस दिन नलिनी अपने छोटे बेटे और बेटी के झगड़ने का किस्सा सुना रही थी | उसकी आवाज़ में उत्साह था , ” भाभी कल मेरे बेटे ने बिटिया को इतना मारा कि पूछो मत , दोनों भाई बहन में बहुत ही कुत्तम -कुत्ता हुई | 




“क्यों मारा ?” शालिनी ने दाल का कुकर खाली  करते हुए पूछा 




” क्या बताये भाभी , चार घर छोड़ के अम्मां रहती हैं , आजकल वहां छोटी बहन आई हुई है | बिटिया ने जिद पकड़ ली कि जब तक मौसी हैं मैं वहीँ रहूंगी | अब छोटा बेटा जो उससे पांच साल छोटा है उसी का पाला हुआ है उसे उसके बिना घर में अच्छा नहीं लग रहा था , तो लगा रोकने | अब रोकने का सही तरीकतो आता नहीं … चोटी पकड के खींच दी , यहीं रह , नहीं जायेगी तू  नानी के घर | बिटिया भी कहाँ कम है , जिद पकड ली कि वो तो जायेगी ही | अब तो बेटे का गुस्सा सर चढ़ कर बोलने लगा | मारते -मारते बिटिया को जमीन पर गिरा दिया …पीटता जाये और बोलता जाए , तुझे नानी के घर नहीं जाने दूंगा | मुझे यहाँ तुम्हारे बिना अच्छा नहीं लगता , देखें कैसे जायेगी | 




बिटिया किसी तरह से निकल कर भाग कर नानी के यहाँ पहुँच गयी | तो पीछे -पीछे पहुँच गया … नहीं रहेगी तू यहाँ , मुझे अकेल घर में अच्छा नहीं लगता … फिर खींच के  ले ही आया | 




भाभी हमारे हाते में सब कह रहे थे , ” देखो कितना प्यार करता है अपनी बड़ी बहन से , अकेले अच्छा नहीं लगता है बहन के बिना , बेटे के प्रति गर्व माँ की आँखों में उतर आया | 




प्यार या … शालिनी के लब थरथरा उठे|


क्या भाभी जी ?


” ये प्यार नहीं है , अधिकार की भावना है , और अधिकार भी कैसा कि मार के पीट के चाहें जैसे रह मेरी इच्छा के अनुरूप ही रहे  | इसे अभी से रोको नलिनी , जो हाथ बहन पर उठ रहा है कल बीबी पर उठेगा … क्योंकि उसने प्यार की यही परिभाषा समझ रखी है | ११ साल का हो गया है इतना बच्चा भी तो नहीं है अब | समझाओ उसे , नहीं तो अपने पिता जैसा ही निकलेगा |”




नलिनी ने शालिनी की तरफ घूर कर देखा , फिर चुपचाप बर्तन साफ़ कर चली गयी | 




दो दिन तक नलिनी काम पर नहीं आई | शालिनी ने फोन करके उसकी माँ से पूछा | 


” उसने आपके यहाँ काम छोड़ दिया है , कह रही थी कि मेरे मासूम बेटे में ऐब ढूँढतीं हैं | भाई बहन के प्यार में पति -पत्नी की तकरार खोजतीं हैं | कहिये तो मैं आपके यहाँ काम करूँ | “




“बताउंगी” कहकर शालिनी ने फोन रख दिया |एक सवाल उसके सामने आ कर खड़ा हो गया |






भविष्य का पुरुष कैसा होगा इसकी जिम्मेदारी एक माँ की होती है और अक्सर माएं अपना कर्तव्य ठीक से नहीं निभाती हैं | 
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पितृसत्ता को कोसने से ही काम नहीं चलेगा , पितृसत्ता के इस विकृत स्वरुप में स्त्रियों का भी योगदान है | एक पुरुष को स्त्री जन्म ही नहीं देती , उसे आकर भी देती है , बहनों से उसकी मारपीट पर स्वीकृति , घर में काम ना करने की स्वीकृति और बहने से ज्यादा अच्छा भोजन में स्वीकृति देकर वो भावी पुरुष अहंकार को पोषित करती है | अगर हम चाहते हैं कि भविष्य में हमारी बेटियों को अच्छे सुलझे विचारों वाले पति मिलें तो उसका निर्माण हर माँ को आज ही करना होगा | 


नीलम गुप्ता 


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1 thought on “भविष्य का पुरुष”

  1. नीलम दी, जीवन की बहुत कड़वी सच्चाई व्यक्त की हैं आपने। भविष्य का पुरुष माँ ही बनाती हैं।

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