फोटो –दैनिक भास्कर से साभार |
व्यक्ति कोई भी हो क्षेत्र कोई भी हो जब कोई व्यक्ति सफल होता है तो उसके पीछे उसकी कुछ ख़ास आदतें या गुण होते हैं | atootbandhann.com का प्रयास रहा है कि अपने पर्सनालिटी डीवैलपमेंट सेक्शन में उन शख्सियतों के गुणों की भी चर्चा की जाए , जिससे हम सब सब उन गुणों को अपने व्यक्तित्व में शामिल कर सकें | यहाँ पर ये बाध्यता नहीं है कि हम व्यक्ति को पसंद करते हैं कि नहीं पर आत्म विकास की राह में गुण ग्राही होना पहली शर्त है | प्रधानमंत्री मोदी जी के आलोचक भी उनकी लोकप्रियता और एक चायवाले से प्रधान मंत्री बनने की सफल यात्रा से इनकार नहीं कर सकते | अक्षय कुमार द्वारा लिए गए इंटरव्यू से कुछ ऐसेही आत्मविकास और सफलता के सूत्र ले कर आई हैं नीलम गुप्ता जी ….
प्रधानमंत्री मोदी -अक्षय कुमार इंटरव्यू से सीखने लायक बातें
अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा लिया गया प्रधानमंत्री मोदी का इंटरव्यू आजकल चर्चा
में हैं | वैसे तो ये गैर राजनैतिक इंटरव्यू है पर इसका प्रभाव राजनैतिक दृष्टि से
भी पड़ेगा इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता | ये वीडियो वायरल हो गया है | जाहिर है पक्ष –विपक्ष
वाले दोनों इसे देख रहे हैं और अपने –अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं | लेकिन मैं
ये कहना चाहूँगी कि आप मोदी जी के पक्ष में हो या विपक्ष में लेकिन अगर इस
इंटरव्यू से कुछ बातें सीखने को मिल रही हैं है तो उनसे सीखने में क्या हर्ज है |
हम और आप में से बहुत से लोग फेंकू कह कर मोदी जी पर हंस सकते हैं पर उन शिक्षाओं
पर अगर धयन दें तो अपने निजी जीवन में कुछ गुण जोड़ सकते हैं | तो आइये सीखते हैं
…
जिन्न पर नहीं कर्म
पर भरोसा रखो
जवाब मुझे बहुत अच्छा लगा |
में अलादीन का चिराग आ जाए तो आप क्या माँगेंगे |
माँगेगे और क्योंकि बात मोदी जी कई है चुनाव का माहौल है तो मुझे उम्मीद थी कि वो
कहेंगे कि अपने देश की खुशहाली मांगेंगे , बच्चों की शिक्षा या जवानों और किसानों
के लिए कुछ मांगेंगे | परन्तु मोदी जी का उत्तर इन सबसे जुदा था | उन्होंने कहा कि
, “ वो जिन्न से मांगेंगे कि जहाँ कहीं भी लिखी हैं उन सब को मिटा दो , कि कोई ऐसे
शक्ति होगी जो हमें बैठे –बैठे सब कुछ दिला देगी , ऐसी कहानियाँ बच्चों को नकारा
बनाती हैं | उन्हें सिर्फ ऐसी कहानियाँ सुनानी चाहिए कि जितनी मेहनत करोगे उतना ही
फल मिलेगा |
ऊपर सीरिज़ में किताबें भी आयीं , बेस्टसेलर बनी खूब बिकीं | “Law of attraction”
का नशा यूथ के सर चढ़ कर बोलने लगा | ऐसी ही मेरी एक रिश्तेदार की बेटी है जो उन
दिनों कहा करती थी कि उसने सीक्रेट से लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन सीख लिया है जिसे वो प्रयोग
में लाती है , उसका IIT में अवश्य चयन हो जाएगा | वो ज्यादा पद्थी नहीं थी पर उसे
उस किताब की विज्युलाइजेशन टेक्नीक पर भरोसा था | वो रात को सोते समय रोज सोचती की
वो IIT दिल्ली में पढ़ रही है , उस थ्रिल को , उस ख़ुशी को महसूस करती और सो जाती
|
से तो प्यार् था ही , वो सपनों में तो अपने को वहाँ देखना चाहते ही थे पर उसके लिए
कड़ी मेहनत भी करते थे | क्या तुमने कभी
किसी चयनित उमीदवार का इंटरव्यू नहीं सुना
? उनमें से किसी ने नहीं कहा कि वो सब उन्हें सपने देखने से मिल गया | सबने एक ही
सूत्र बताया , मेहनत , मेहनत और मेहनत |
मेहनत के ही मिल जाए तो वो मूर्ख ही तो कहलायेगा जिसने उसके लिए जान झोंक दी |
बारहवीं के बोर्ड एग्जाम में भी उसके बहुत कम नंबर आये थे | उसने मुझसे कहा कि
मैंने विज्युलाइजेशन टेक्नीक तो अपनाई थी पर मेरे मन में कहीं न कहीं यह विश्वास
भी था कि मैं पढ़ तो रही नहीं हूँ , क्या ये टेक्नीक वर्क करेगी |
रेपटीलियन ब्रेन होता है | जिसे सुस्त और आलसी रहना पसंद हैं | कभी देखा है घड़ियाल
या मगरमच्छ को घंटों एक जैसा पड़े हुए … वैसे ही हमारा दिमाग हर चीज यूँ ही पड़े –पड़े
प्राप्त कर लेना चाहता है, या थोडा सा परिश्रम करने के बाद फिर अपने आलसी मोड में
आ जाता है | जो लोग बहुत मेहनत करते हैं वो सब अपनी विल पॉवर का इस्तेमाल करते हैं
| ऐसी कहानियाँ , किताबें फिल्में हमारी विल पॉवर को कमजोर करती हैं और दिमाग को
फिर सुस्त हो जाने को विवश करती हैं |
जीवन के यथार्थ को समझ सकें … और मेहनत में विश्वास कर सकें |
सामूहिक खेलों से बढती है टीम भावना
आजकल बच्चे टी वी या फिर फोन में उलझे रहते हैं | पार्क में खेलने के स्थान पर बच्चे वीडियो गेम्स की ओर झुक रहे हैं | लेकिन ये एकांत प्रियता उनके सर्वंगीड विकास में बाधा है | बच्चे जब वो खेल खेलते हैं जिसमें टीम हो तो वो बहुत सी चीजें सीखते हैं | जैसे …
उनमें परस्पर सहयोग की भावना आती है |
नेतृत्व गुण आता है |
हार और जीत में भागीदारी लेना आता है |
क्योंकि दूसरी टीम एक व्यक्ति नहीं है इसलिए उसके प्रति भी मन में सम्मान का भाव आता है |
उन्होंने RSS शाखाओं में खिलाये जाने वाले खेल के बारे में बताया जहाँ सब लोग एक घेरा बना कर बैठ जाते हैं और हर व्यक्ति को अपने बगल में बैठे व्यक्ति की एक खूबी बतानी होती है | क्योंकि खेल है इसलिए लोग पहले से ही जानकारी इकट्ठी करते हैं हर किसी के बारे में जिससे बेगानापन दूर होता है | मान लीजिये कोई ऐसा व्यक्ति बगल में बैठा है जिससे मतभेद हैं लेकिन जब हम उसकी खूबी ढूंढते है तो उसमें भी खूबियाँ नज़र आने लगती हैं | दरअसल हम किसी भी व्यक्ति को चाहें जितना नापसंद करें , हर व्यक्ति में कुछ ना कुछ खूबियाँ होती ही हैं | जरूरत है नजरिया बदलने की | हर किसी में गुण देखने से हमारा फोकास बुराई की जगह अच्छाई पर जाता है |
अब जरा सोचिये एक फैमिली या मुहल्ले का गेट टुगेदर है , वहां पर ये खेल खेला जाए | सब को एक दूसरे का एक गुण बताना है | सास जो सुबह बहु को डांट रही थी , गुण ढूँढने बैठेगी तो कहेगी अरे मेरी बहु में तो ये गुण भी है , बहु को भी सुन के अच्छा लगेगा | सबके बीच में तारीफ़ सुनने वाले के मन का कलुष धुलेगा व् करने वाले को दूसरे व्यक्ति को देखने का एक नया नजरिया मिलेगा |
स्वास्थ्य सबसे बड़ी नियामत है
हमारे प्रधान मंत्रियों में से मोदी जी ही ऐसे रहे हैं जो अपने स्वास्थ्य पर शुरू से बहुत ध्यान देते रहे हैं | योग हो , घरेलु औषधियाँ हो, देसी भोजन हो या फिर जो आजकल कहा जाता है “मी टाइम ” मोदी जी उनमें निवेश करते हैं ,वो सब उनके स्वास्थ्य में परिलक्षित होता है | वो विशेष रूप से स्वक्षता पर ध्यान देते हैं इसलिए उन्होंने गाँव -गाँव में शौचालय बनाने पर जोर दिया है | आकाशी कुमार की टॉयलेट -एक प्रेम कथा भी इसी विषय पर बनी फिल्म थी | हालांकि वो एक सत्य कथा पर आधारित फिल्म थी | पहले स्वास्थ्य आता है तभी काम किया जा सकता है तभी धन कमाया जा सकता है |
देश और विदेश में योगा को पुनर्जीवित करने का श्रेय मोदी जी को जाता है |
आज हम सब ने विदेशी जीवन शैली अपना ली है , देर से खाना , देर से सोना , देर से उठना यह सब बिमारियों की वजह है | कहते हैं शाम का भोजन सूर्यास्त सेपहले कर लेनाचाहिये पर कितने लोग ऐसा करते है | ये सच है कि आज लाइफ स्पैन बढ़ा है पर वो मेडिकल सुविधाओं के कारण हुआ है | सच्चाई तो ये है कि आज बीमारियाँ उससे दोगुनी तेजी से बढ़ी हैं | बच्चों में मधुमेह व् उच्च रक्त चाप की बीमारियाँ बढ़ रहीं हैं | इस सब का कारण गलत जीवन शैली आहार विहार है | अगर हम देश के लिए , अपने परिवारके लिए या अपने लिए भी कुछ करना चाहते हैं तो सबसे पहलेअपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा | सही जीवन शैली अपनानी होगी |
अपने गुस्से को काबू में रखना
प्रधान मंत्री मोदी जी ने बताया कि उन्हें क्रोध नहीं आता है क्योंकि वो अपने गुस्से को काबू में रख लेते हैं | कोशिश करते हैं कि वो गुस्सा शब्दों में या भाव भंगिमा में ना उतरे | मन में ठहरे गुस्से पर नियंत्रण करने के लिए वो उसे लिखते हैं , साक्षी भाव से लिखते हैं और तब तक लिखते हैं जब तक गुस्सा शांत ना हो जाए | इसमें कई बार दूसरे का पक्ष भी समझ आता है और कई बार अपनी गलती भी समझ आती है |
हम सब जानते हैं कि गुस्सा एक नकारात्मक उर्जा है | जब कोई गुस्से पर नियंत्रण ना करके तुरंत कुछ कटु बोल देता है तो उसका नकारात्मक प्रभाव बहुत दिनों तक मन पर रहता है | एक बार मोटिवेशनल स्पीकर संदीप माहेश्वरी जी ने बताया कि उनकी एक टीचर उन्हें नाकारा कहती थीं , ये भी कहती थीं कि वो जिन्दगी में कभी सफल नहीं हो सकते | इसका प्रभाव उनके मन पर पड़ा और शुरूआती दौर में वो कई बार असफल भी हुए | हमारे पुरखे कहते थे कि शब्द ब्रह्म है उन्हें सोच समझ कर खर्च करो | परन्तु गुस्से में अनाप -शनाप बोलते समय हमें संतुलन कहाँ याद रहता है , कई बार बाद में खुद् भी पछतावा होता है पर तीर निशाने से निकल चुका होता है |
अब शब्दों पर तो नियंत्रण कर लिया पर मन से गुस्सा निकालना भी जरूरी होता है क्योंकि ये हमारे लिए घातक होता है | जिसके लिए मोदी जी की तरह उसे लिख सकते हैं , अक्षय कुमार की तरह पंचिंग बैग पर निकाल सकते हैं , ध्यान द्वारा निकाल सकते हैं या किसीभी अन्य तरीके से निकाल सकते हैं |
याद रखिये शांत मन हमेशा सकारात्मक उर्जा से भरा रहता है |
निदकों से कैसे निपटे
हम सब लोगों की जब कोई निंदा करता है तो या तो हम उसे उल्टा -पुल्टा कुछ बोल देते हैं या अपने दिल से लगा कर खुद को हीन समझने लगते हैं |दोनों ही परिस्थितियाँ ठीक नहीं हैं | क्योंकि अगर हम कुछ बोलते हैं तो फिर दूसरा कुछ और बोलता है | और एक टेनिस मैच शुरू हो जाता है जो कभी खत्म नहीं होता | जो पहल करता है उसका उद्देश्य ही ये होता है कि वो आपको चिढाये , आप कुछ बोले , वो फिर उसमें से कुछ पकड़े | यही उसकी जीत है | प्रधानमंत्री मोदी जी कहते हैं कि मैं ऐसी बातों पर कुछ नहीं कहता इससे उनकी खुद कहने (आरोप लगाने ) के बाद भी हार हो जाती है |
याद रखिये आप का रीएक्शन उनकी खुराक है , उनकी जीत है , ऐसे में बिना कुछ कहे आप जीत रहे हो तो शब्द क्यों खर्च किये जाएँ |
वहीँ दूसरी ओर ओर सोशल मीडिया पर अपने ऊपर बनाए गए तमाम कार्टून देख कर उन्हें लगता है कि आम लोग कितने रचनात्मक हैं जो क्षण भर में कितना कुछ सोच लेते हैं |
हम सब आलोचना से डरते हैं , खासकर उनसे जिनका उद्देश्य नकारात्मक होता है | लेकिन जितने भी सफल व्यक्ति हुए हैं उन्होंने आलोचना को सकारात्मक रूप में लिया है | हमें ये ध्यान रखना है कि नकारात्मक आलोचना का मुँह बंद करने का तरीका उसका उत्तर ना देना है , और सकारात्मक में उससे सीख कर खुद को सुधारना |
जरूरी है मी टाइम
जैसा की प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने बताया कि वो रोज सुबह का वक्त अपने साथ बिताते हैं , और पहले जब वो इतने व्यस्त नहीं थे तो दीपावली पर एक हफ्ते के लिए कहीं दूर चले जाते थे ,जहाँ एकांत में अपने साथ समय बिता सकें |
चाहें आप नौकरी करते हों , स्कूल में पढ़ते हों , व्यवसाय करते हों या गृहणी हों ये ‘मी टाइम’ हम सब के लिए जरूरी है | ‘मी टाइम’ एक तरह का मेडिटेशन भी है , खुद की खोज भी है और तनाव मुक्ति का एक आसान रास्ता भी |
आजकल कहते हैं कि खुदसे प्यार करो पर उससे पहले खुद को समझना भी जरूरी है |आप भी इस भागमभाग की जिन्दगी में थोडा सा वक्त अपने साथ बिताइए , खुद समझिये … जानिये कि आजकल उलझन क्यों हो रही है , गुस्सा क्यों बढ़ रहा है , रोना क्यों ज्यादा रहा है ? अपनी क्लास लेने के बाद आप जरूर एक परिणाम केसाथ वापस आयेंगे और जिन्दगी को ज्यादा बेहतर और अच्छे तरीकेसे जी पायेंगे |
तो मित्रों , ये थे कुछ तरीके जो मैंने इस इंटरव्यू सेसीखे और आप के साथ बाँटे | स्वीकारना ना स्वीकारना आपके हाथ है | अलबत्ता इतना जरूर है कि इस अराजनैतिक इंटरव्यू की तरह ये लेख भी पूर्णतया अराजनैतिक है |
नीलम गुप्ता
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बहुत ही विचारणीय लेख,नीलम दी।
hey, very nice site. thanks for sharing post
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