आपने वोट डाला की नहीं ? चुनाव शुरू हो गए हैं …इस महायज्ञ में एक दूसरे को उत्साहित करने वाले वाक्य अक्सर सुनाई देते रहेंगे, | सही भी है वोट डालना हमारा हक भी है और कर्तव्य भी | ज्यादातर लोग कर्तव्य समझ कर वोट डालते तो हैं पर किसी पार्टी के प्रति उनमें ख़ास लगाव या उत्साह नहीं रहता | एक उम्र आते -आते हमें नेताओं और उनके वादों पर विश्वास नहीं रह जाता , लेकिन जो पहली बार वोट डालने जाते हैं उनमें खासा उत्साह रहता है |और क्यों न हो दुनिया में हर पहली चीज ख़ास ही होती है , पहली बारिश , पहला साल , पहला स्कूल , पहला प्यार और …. पहली बार वोट डालना भी |
नए -नए वोटर
जब आप ये पढ़ रहे होंगे तो जरूर आप को भी वो दिन याद आ गया होगा जब आपने पहली बार वोट डाला होगा और हाथों में नीली स्याही के निशान को दिन में कई बार गर्व से देखा होगा, कितना खास होता है ये अहसास …देश का एक नागरिक होने का अहसास , अपने हक़ का अहसास , कर्तव्य का अहसास और साथ ही साथ इस बात का गर्व भी कि आप भी अपने सपनों के भारत के निर्माता बनने में योगदान कर सकते हैं | पहली बार वोट डालना उम्र का वो दौर होता है जब यूँ भी जिन्दगी में बहुत परिवर्तन हो रहे होते हैं | अभी कुछ साल पहले तक ही तो फ्रॉक और बेतरतीब बालों में घूमती लडकियाँ आइना देखना शुरू करती हैं और लड़के अपनी मूंछो की रेखा पर इतराना ….उस पर ये नयी जिम्मेदारी …बड़ा होना कितना सुखद लगता है |
उनका उत्साह देखकर मुझे उस समय की याद आ जाती है जब हमारे बड़े भैया को पहली बार वोट डालने जाना था | महीनों पहले से वो हद से ज्यादा उत्साहित थे | क्योंकि हम लोगों की उम्र में अंतर ज्यादा था , ऊपर से उनका बात -बात में चिढाने का स्वाभाव ,अक्सर हम लोगों को चिढ़ाया करते , ” हम इस देश के नागरिक हैं , हम सरकार बदल सकते हैं … और तुम लोग … तुम लोग तो अभी छोटे हो , जो सरकार होगी वो झेलनी ही पड़ेगी | यूँ तो भाई -बहन में नोक -झोंक होती ही रहती है पर इस मामले में तो ये सीधा एक तरफ़ा थी | कभी -कभी तो वो इतना चिढाते कि हम बहनों में बहुत हीन भावना आ जाती , लगता बड़े भैया ही सब कुछ है , क्योंकि वो बड़े हैं , इसलिए घर में भी उन्हीं की चलती है और अब तो देश में भी उन्हीं की चलेगी ….हम लोग तो कुछ हैं ही नहीं | कई बार रोते हुए माँ के पास पहुँचते , और माँ , अपना झगडा खुद ही सुलझाओ कह कर डांट कर भगा देतीं |
और हम दोनों बहनें अपनी इज्जत का टोकरा उठा कर मुँह लटकाए हुए वापस भैया द्वारा चिढाये जाने को विवश हो जाते |
वोट डालने के दो दिन पहले से तो उनका उत्साह उनके सर चढ़ कर बोलने लगा | नियत दिन सुबह जल्दी उठे , थोडा रुतबा जताने के लिए हम लोगों को भी तकिया खींच -खींच कर उठा दिया | हम अलसाई आँखों से देश के इस महान नागरिक को वोट देने जाते हुए देख रहे थे | भैया नहा – धोकर तैयार हुए , उन्होंने बालों में अच्छा खासा तेल लगाया , आखिरकार देश के संभ्रांत नागरिक की जुल्फे उडनी नहीं चाहिए , हमेशा सेंट से परहेज करने वाले भैया ने थोडा सा से सेंट भी लगाया , हम अधिकारविहीन लोग मुँह में रात के खाने की गंध भरे उनके इस रूप से अभिभूत हो रहे थे |
सुबह से ही वो कई बार घडी देख कर बेचैन हो रहे थे | एक एक पल बरसों का लग रहा था , शायद इतना इंतज़ार तो किसी प्रेमी ने अपनी प्रेमिका से मिलने का भी न किया हो | वो तो अल सुबह ही निकल जाते पर पिताजी बार -बार रोक रहे थे , अरे वोटिंग शुरू तो होने दो तब जाना | घर में तो पिताजी की ही सरकार थी इसलिए उन्हें मानने की मजबूरी थी | फिर भी वो माँ -पिताजी के साथ ना जाकर सबसे पहले ही डालने गए |
उस समय सभी पार्टी के कार्यकर्ता अपनी -अपनी टेबल लगा कर पर्ची काट कर देते थे , जिसमें टी एल सी नंबर होता था ताकि लोगों को वोट देने में आसानी हो | अंदाजा ये लगाया जाता था कि जो जिस पार्टी से पर्ची कटवाएगा वो उसी को वोट देगा …. इसी आधार पर एग्जिट पोल का सर्वे रिपोर्ट आती थी | वो कोंग्रेस का समय था … ज्यादातर लोग उसे को वोट देते थे | भैया को भी वोट तो कोंग्रेस को ही देना था पर अपना दिमाग लगते हुए उन्होंने बीजेपी की टेबल से पर्ची कटवाई | ताकि किसी को पता ना चले कि वो वोट किसको दे रहे हैं | आपका का मत गुप्त रहना चाहिए ना ?
उस समय छोटी सी लाइन थी , जल्दी नंबर आ गया |
पर ये क्या ? उनका वोट तो कोई पहले ही डाल गया था | उन्होंने बार -बार चेक करवाया पर वोट तो डल ही चुका था | भैया की मायूसी देख कर वहां मुहल्ले के एक बुजुर्ग ने सलाह दी , तुम दुखी ना हो, चलो तुम किसी और के नाम का वोट डाल दो , मैं बात कर लूँगा | फिर थोडा रुक कर बोले ,” पर्ची तो तुमने बीजेपी से ही कटवाई है पर वोट तुम कोंग्रेस को ही देना … पूरा मुहल्ला दे रहा है |”
भैया ने तुरंत मना कर दिया ,” नहीं , फिर जैसे मैं दुखी हो रहा हूँ कोई और भी दुखी होगा … और क्या पता वो किसी और पार्टी को वोट देना चाहता हो | कोई बात नहीं मैं अगली बार मताधिकार का प्रयोग कर लूँगा पर देश के द्वारा दिए गए इस अधिकार का दुरप्रयोग नहीं करूँगा |”
वो बुजुर्ग उनकी बात कर हंस कर बोले , ” नए -नए वोटर हो ना !”
भैया हाथ पर नीली स्याही का निशान लगवाये हुए घर लौट आये | काफी देर उदास बैठे रहे | मन पर एक गहरा धक्का लगा था | वो धक्का केवल इस बात का नहीं था कि वो वोट नहीं डाल पाए … वो धक्का पूरे सिस्टम पर विश्वास उठने से था | पूरा मुहल्ला जब किसी एक पार्टी को जिताने पर लग जाता है तो कितनी मुश्किल होती है एक आम आदमी के लिए जो अपनी मर्जी की सरकार चुनना चाहता है |
हम सब लोग जो अभी तक बड़े भैया से नाराज़ थे और थोड़ी -बहुत इर्ष्या भी कर रहे थे , एकदम से पसीज गए | हम सब ने भैया को घेर लिया और कहा ,” आप के साथ गलत हुआ पर आपने गलत काम ना करके एक सच्चे नागरिक होने का फर्ज अदा किया , हमें आप पर गर्व है |”
जवाब में भैया ने अपनी बिना स्याही लगी अंगुली दिखयी और हम सब हँस पड़े |
आज वैसे बलेट पेपर पर वोट नहीं डाले जाते न ही पोखरों में लोगों द्वारा चुने व्यक्ति के मतपत्रों से भरे पूरे ट्रक डुबो कर फर्जी मतपत्र गड़ना के लिए भेजे जाते हैं | ये सही है कि ई वी एम में अपनी त्रुटियाँ हैं | पर ऐसा कोई समय नहीं था जब हेर -फेर या त्रुटियाँ ना हो रही हूँ | जरूरी है अपने अधिकार को समझने की , सही फैसला लेने की , भैया की तरह गलत में साथ ना देने की और भैया से भी एक कदम आगे बढ़कर गलत की शिकायत करने की |
ये हमारा देश है और हम सब को स नीली स्याही के रूप में अपने अधिकारों और कर्तव्यों का सही प्रयोग करना है |अपने देश के सपनों में साझीदार बनने जा रहे नए -बाये वोटरों को हार्दिक शुभकामनाएं |
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अपने अधिकार का प्रयोग हम नहीं करेंगे तो कोई कहीं इसका दुरूपयोग न कर दे …
जागना होगा हर देश वासी को सोचना होगा अपना भविष्य खुद तय करना होगा और मतदान देना होगा …