परीक्षा चाहें जीवन की हो या स्कूल की अपनि क्षमता का प्रतिशत तो हम सब सुधारना ही चाहते हैं …
जीवन की परीक्षा
परीक्षा केंद्र के बाहर एक माँ अपने बच्चे को समझा रही थी, ” क्या हुआ ये एक पेपर ही तो ठीक नहीं हुआ , अब इसी के बारे में सोचते रहोगे तो दिमाग तो इसी में लगा रहेगा फिर अगले पेपर पर ध्यान कैसे दोगे ? वो भी बिगड़ जायेगा , अगर बाकी पेपर अच्छे हो गए तो परसेंटेज तो सही रहेगा |
वैसे तो ये कोई ख़ास बात नहीं है हम सब अपने बच्चों को यही बताते हैं , हमारे माता -पिता ने भी हमें यही बताया था , पर कल मेरा ध्यान इस बात पर गया |
बहुत से लोग जो अतीत के गुस्से , नारजगी और दर्द को ढोते रहते हैं …मेरे साथ तो ससुरालवालों ने , मित्र ने , फलाना ने ढिकाना ने बहुत गलत किया ,या फिर कोई और दर्द जिसके बाद लगे कि जिन्दगी रुक गयी , अब कुछ नहीं हो सकता …
ये सही है कि वो दर्द नहीं जा सकता , पर उस दर्द पर ठहर कर बैठना उचित नहीं , जब मौका मिले , जहाँ मौका मिले अगले पेपर को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए | ये सच है कि बिगड़े हुए पेपर को ठीक नहीं किया जा सकता पर अगला पेपर सुधार कर जीवन में जीवंतता का प्रतिशत तो बढाया जा सकता है |
* कोशिश करिए अपने कल को आज पर हावी ना होने देने की ….फिर देखिये कैसे होते हैं जीवन की परीक्षा में सफल |
जीवन की परीक्षा में सफल होने के लिए बहुत प्रेरणादाई लेख।